पहलगाम हमले के विरोध में मुस्लिम समाज का प्रदर्शन:काली पट्टी बांधकर निकाला कैंडल मार्च, पाकिस्तान मुर्दाबाद के लगाए नारे
हरदोई के संडीला नगर में मुस्लिम धर्मगुरुओं और सामाजिक संगठनों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का विरोध किया। प्रदर्शनकारियों ने काली पट्टी बांधकर कैंडल मार्च निकाला और शहीदों को श्रद्धांजलि दी। नायब शहर काजी हकीम सय्यद असद मेराज के नेतृत्व में कैंडल मार्च मोहल्ला मलकाना स्थित हकीम मेराज मस्जिद से शुरू हुआ। यह मार्च छोटा चौराहा होते हुए वापस मस्जिद तक पहुंचा। मार्च के दौरान लोगों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद और आतंकवाद विरोधी नारे लगाए। नायब शहर काजी ने इस हमले को मानवता की हत्या बताया। उन्होंने कहा कि यह निर्दोषों पर हमला देश और इंसानियत पर सीधा प्रहार है। गरीब नवाज फाउंडेशन के सचिव तबस्सुम हुसैन ने आतंकवाद को इंसानियत का दुश्मन बताया। कार्यक्रम में दरगाह हजरत सागर मियां के सज्जादानशीन मुईज उद्दीन सागरी चिश्ती, दरगाह दादा मियां के सज्जादानशीन सूफी इसहाक अली खां साबरी समेत कई धार्मिक और सामाजिक नेता शामिल हुए। सभी ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। साथ ही दोषियों को जल्द सजा दिलाने की अपील की।

पहलगाम हमले के विरोध में मुस्लिम समाज का प्रदर्शन
शांति और एकता की मांग
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए हमले के विरोध में मुस्लिम समाज ने अपने संवेदनाओं का इज़हार काली पट्टी बांधकर कैंडल मार्च निकालकर किया। इस अवसर पर सैकड़ों लोग एकत्रित हुए और हमले में मारे गए लोगों की आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की। यह मार्च शांति और एकता के उद्देश्य से निकाला गया था, जिसमें समाज के लोगों ने एकजुट होकर बाहरी ताकतों के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाई।
प्रदर्शन का उद्देश्य
कैंडल मार्च के दौरान लोगों ने "पाकिस्तान मुर्दाबाद" के नारे भी लगाए। ये नारे उस निराशा और आक्रोश का प्रतिनिधित्व करते हैं जो आम जनता में ऐसी घटनाओं के कारण उत्पन्न होता है। आयोजकों के अनुसार, यह प्रदर्शन न केवल पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त करने का माध्यम था, बल्कि यह आतंकवाद के खिलाफ एक आंदोलन के रूप में भी देखा जा सकता है।
समाज का समर्थन
इस प्रदर्शन में विभिन्न समुदायों के लोगों ने भाग लिया, जो यह दर्शाता है कि जब एकता की बात आती है, तो धर्म और जाति की दीवारें ध्वस्त हो जाती हैं। मुस्लिम समाज के नेताओं ने सभी नागरिकों से एक साथ आने की अपील की है ताकि वे सभी मिलकर आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से खड़े हो सकें।
महिलाओं और बच्चों ने कैंडल लेकर मार्च में हिस्सा लिया, जो दर्शाता है कि समाज का हर वर्ग इस मुद्दे की गंभीरता को समझता है। इस तरह के प्रदर्शनों से समाज में एकजुटता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलता है।
समाज का भविष्य
इन घटनाओं के बाद, मुस्लिम समुदाय ने यह तय किया है कि वे व्याप्त सांप्रदायिकता के खिलाफ और शांति की स्थापना के लिए सक्रिय रहेंगे। यह न केवल एक राजनीतिक अपील है, बल्कि लोगों के दिलों में भरे घृणा और भय को मिटाने की आवश्यकता की पहचान भी है।
इस आंदोलन के अंतर्गत होने वाले आगामी जनसभाओं में सभी को शामिल होने का आह्वान किया गया है। ऐसे प्रदर्शनों से यह साफ होता है कि समाज अरक्षित रूप से नफरत और हिंसा से हमेशा के लिए मुक्ति चाहता है।
अंत में, यह घटना हमें यह सिखाती है कि एकजुटता में शक्ति होती है, और समाज को एक साथ आकर अपने अधिकारों और सुरक्षा के लिए लड़ना चाहिए। इस प्रकार के शांतिपूर्ण आंदोलनों से ही हम वास्तविक परिवर्तन ला सकते हैं।
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