पाकिस्तान लौट रहीं महिलाएं अटारी बॉर्डर पर रोकीं:मायके आई थीं, नागरिकता न होने की वजह से परमिशन नहीं दी; 191 लोग गए
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुक्रवार को भी पाकिस्तानी नागरिक अमृतसर के अटारी बॉर्डर से वापस लौट रहे हैं। वीजा खत्म होने से पहले पाकिस्तान लौट रहीं कई महिलाओं को बॉर्डर पर रोक दिया गया, लेकिन उनके बच्चों को जाने दिया गया। अधिकारियों ने उनसे कहा कि आपके पास पाकिस्तान की नागरिकता नहीं है। महिलाओं ने कहा कि वह भारत में पली बढ़ी हैं, लेकिन उनकी शादी पाकिस्तान में हुई है। वह अपने मायके आई हुई थीं। अधिकारियों ने दलीलें सुनने के बाद भी उन्हें आगे जाने की परमिशन नहीं दी। अधिकारियों ने महिलाओं से कहा कि उन्हें आदेश मिले हैं कि भारतीय पासपोर्ट वालों को पाकिस्तान न जाने दिया जाए। इसके बाद महिलाएं वापस अपने मायके लौट गईं। शुक्रवार को 191 पाकिस्तानी नागरिक अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान लौट गए। वहीं 287 भारतीय नागरिक भी पाकिस्तान से भारत लौटे। अटारी बॉर्डर पर रोकी गईं महिलाओं ने क्या कहा, जानिए... अफसीन बोली- सिर्फ बच्चों को जाने दिया राजस्थान के जोधपुर की रहने वाली अफसीन जहांगीर ने कहा, “मेरी शादी कराची में हुई थी। मेरे बच्चे पाकिस्तानी नागरिक हैं। उन्हें तो बॉर्डर पार कर जाने दिया गया, लेकिन मुझे रोक दिया गया। बताइए, कौन सी सरकार मां को बच्चों से अलग करने का हक रखती है?” अरूदा बोली- यहीं बैठे रहेंगे, यहीं मर जाएंगे अरूदा ने बताया कि मेरी 20 साल पहले पाकिस्तान में शादी हुई थी। मेरे 2 बच्चे हैं, जो पाकिस्तानी नागरिक हैं। हम एक महीने के लिए अपने मां-बाप से मिलने भारत आए थे। हमारे पास 27 तारीख की वापसी का टिकट था, लेकिन हालात देखकर 4 दिन पहले ही निकलने की कोशिश की। हमें बॉर्डर पर रोक दिया गया, किसी ने ढंग से बात तक नहीं की। हम तो बस अपने घर, अपने बच्चों के पास लौटना चाहते हैं। हम यहीं मर जाएंगे, हम यहीं बैठेंगे, अब वापस नहीं जाएंगे।” शनिजा ने कहा- शौहर वाघा बॉर्डर पर खड़े हैं शनिजा ने कहा, मेरी शादी 15 साल पहले कराची में हुई थी। मैं दिल्ली में अपने माता-पिता से मिलने आई थी, लेकिन अब वापस पाकिस्तान लौटना चाह रहे हैं, तो वाघा बॉर्डर पर उन्हें रोका जा रहा है। मेरे बच्चों को वीजा नहीं मिला, इसलिए मैं अकेली आई थी। अब मुझे वापसी की इजाजत नहीं दी जा रही। मेरा केस पाकिस्तान में जमा है। मेरे शौहर वाघा बॉर्डर के उस पार मेरा इंतजार कर रहे हैं। मेरी बस इतनी अपील है कि मुझे अपने बच्चों के पास जाने दिया जाए।” 24 अप्रैल को 28 लोग पाकिस्तान लौटे एक दिन पहले 24 अप्रैल को 105 भारतीय पाकिस्तान से लौटे थे। वहीं 28 पाकिस्तानी नागरिक वापस अपने देश गए। गुरुवार को हुई रिट्रीट सेरेमनी के दौरान दोनों देशों के गेट नहीं खुले। बंद गेटों के बीच दोनों देशों के झंडे उतारे गए। इसके साथ BSF के जवानों ने पाक रेंजर्स से हाथ भी नहीं मिलाया। वहीं सेरेमनी में लोगों की संख्या भी कम रही। रोजाना करीब 20 हजार लोग पहुंचते थे, लेकिन गुरुवार को सिर्फ 10 हजार लोग ही सेरेमनी में पहुंचे। ============== ये खबर भी पढ़ें :- हिसार में पाकिस्तानी परिवार पकड़ा:वीजा खत्म होने के बाद भी रह रहा था; सभी 15 सदस्यों को दिल्ली के पाकिस्तानी कैंप भेजा हरियाणा में हिसार के बालसमंद से एक पाकिस्तानी हिंदू परिवार को दिल्ली भेज दिया गया है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की है। इस परिवार में कुल 15 सदस्य हैं। परिवार पिछले 7 महीने से बालसमंद में रह रहा था। पढ़ें पूरी खबर

पाकिस्तान लौट रहीं महिलाएं अटारी बॉर्डर पर रोकीं
हाल ही में, अटारी बॉर्डर पर एक महत्वपूर्ण घटना सामने आई है, जहाँ पाकिस्तान लौट रहीं महिलाओं को रोका गया। ये महिलाएं अपने मायके आई थीं, लेकिन नागरिकता न होने की वजह से उन्हें लौटने की अनुमति नहीं दी गई। इस घटना में कुल 191 लोग शामिल हैं, जो विभिन्न कारणों से अपने देश वापस लौटने का प्रयास कर रहे थे।
घटनाक्रम का विवरण
पाकिस्तान से आए इन महिलाओं को अटारी बॉर्डर पर रोका गया और उनकी यात्रा को जारी रखने के लिए उन्हें आवश्यक परमिशन दी जानी चाहिए थी। लेकिन नागरिकता संबंधी समस्याओं के कारण इन महिलाओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। यह घटना न केवल उन महिलाओं के लिए बल्कि उनके परिवार वालों के लिए भी चिंता का विषय बन गई है।
नागरिकता की समस्या
भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों के चलते अक्सर नागरिकता से जुड़ी समस्याएं सामने आती हैं। ये महिलाएं, जो नागरिकता की कमी के कारण रोक दी गईं, उन समस्याओं का एक उदाहरण हैं। अदालती प्रक्रियाओं और कागजी कामकाज के चलते ऐसे मामलों में शिथिलता देखने को मिलती है।
विश्वास का संकट
इस तरह की घटनाएं लोगों के मन में एक बड़ा विश्वास संकट पैदा करती हैं। परिवार के सदस्य अपने प्रियजनों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। सीमाओं पर इस तरह की रुकावटें रिश्तों को प्रभावित कर सकती हैं, और ज़रूरत है कि दोनों देशों के बीच संवाद को बढ़ाया जाए ताकि ऐसी समस्याएं सतत न रहें।
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि सीमा व्यवस्थाएं कितनी जटिल हो सकती हैं। हालांकि, चूंकि सभी लोगों को वापस अपने देश लौटने का हक है, आशा है कि भविष्य में ऐसी समस्याओं का समाधान निकाला जाएगा।
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