प्रयागराज में रैन बसेरों की दशा पर जवाब तलब:हाईकोर्ट ने 6 हफ्ते का समय दिया, विधि छात्रों ने दाखिल की जनहित याचिका
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से प्रयागराज के रैन बसेरों की दशा पर जवाब मांगा है। जवाब के लिए सरकार को छह सप्ताह का समय दिया गया है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने देश के विभिन्न विश्विद्यालय में अध्ययनरत ह्यूमन राइट्स लीगल नेटवर्क में इंटर्नशिप कर रहे विधि छात्रों की जनहित याचिका पर दिया है। अनुष्का सिंह समेत कई अन्य विधि छात्रों की ओर से प्रयागराज के रैन बसेरों की खस्ता हालात पर एक विस्तृत फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट के आधार पर दाखिल जनहित याचिका में कहा गया है कि विधि छात्र-छात्राओं की टीम ने अपनी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में यह बताया कि रैन बसेरों में बेघर लोगो के रहने एवं खाने की सुविधा मुहैया कराने का दायित्व राज्य सरकार का है। लेकिन प्रयागराज के रैन बसेरों में बिना आईडी कार्ड के प्रवेश नहीं दिया जाता है। इन रैन बसेरों में सिर्फ पुलिसकर्मी रुक रहे हैं। साथ ही इन रैन बसेरों में रहने, खाने, आकस्मिक स्वास्थ्य व बाथरूम की सुविधा निम्न स्तर की है।

प्रयागराज में रैन बसेरों की दशा पर हाईकोर्ट का ध्यान
प्रयागराज में रैन बसेरों की दशा को लेकर उच्च न्यायालय ने सख्त कदम उठाए हैं। कोर्ट ने इस विषय पर उत्तर देने के लिए 6 हफ्ते का समय दिया है, जबकि विधि के छात्रों ने इस मुद्दे के प्रति जागरूकता फैलाते हुए जनहित याचिका दाखिल की है। इस याचिका का मुख्य उद्देश्य है कि रैन बसेरों में रह रहे गरीबों और जरूरतमंदों की स्थिति में सुधार किया जाए।
जनहित याचिका का उद्देश्य
जनहित याचिका में कहा गया है कि प्रयागराज में मौसमी रैन बसेरों में अत्यधिक अयोग्यता और कमी की शिकायतें सामने आई हैं। ये बसेरे न केवल असुविधाजनक हैं, बल्कि कई बार तो बिना छत के भी होते हैं। विधि छात्रों ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उनकी उम्मीद है कि कोर्ट इस समस्या का समाधान जल्द करेगा और प्रशासन को आवश्यक निर्देश देगा।
हाईकोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे 6 हफ्ते के अंदर स्थिति की रिपोर्ट जमा करें। इस रिपोर्ट में रैन बसेरों की वर्तमान स्थिति, सुविधाओं की उपलब्धता और उस पर होने वाले खर्च के बारे में जानकारी शामिल होनी चाहिए। इससे यह स्पष्ट होगा कि आम लोगों को राहत देने के लिए क्या प्रयास किए गए हैं।
प्रशासन की जिम्मेदारी
प्रशासन पर यह जिम्मेदारी आती है कि वह रैन बसेरों की स्थिति में सुधार लाने के लिए ठोस कदम उठाए। शहर में ठंड के महीनों में जिन लोगों को आश्रय की आवश्यकता होती है, उनके लिए अच्छे सुविधाओं के साथ रैन बसेरों की जरूरत लगातार बढ़ती जा रही है। इसके अलावा, प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि रैन बसेरों में पर्याप्त खाद्य सामग्री और स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो।
इस विषय पर आगे की कार्रवाई को लेकर प्रशासन और अदालत की कार्रवाई पर नजर रखना आवश्यक होगा। News by indiatwoday.com प्रयागराज, रैन बसेरों की दशा, हाईकोर्ट आदेश, जनहित याचिका, विधि छात्रों, प्रशासन की जिम्मेदारी, रैन बसेरों की सुविधाएं, प्रयागराज में ठंड, रैन बसेरों में सुधार, जरूरतमंदों की स्थिति, असुविधाजनक बसेरे, मौसमी रैन बसेरे
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