प्लास्टिक वेस्ट से नगर निगम बनाएगा ब्रिक:इंडो-जर्मन प्रोजेक्ट के तहत MRF प्लांट शुरू; इंडस्ट्रियल सूखा कूड़ा होगा प्रॉसेस
गंगा में प्लास्टिक वेस्ट को गिरने से रोकने के लिए इंडो-जर्मन प्रोजेक्ट के तहत पनकी सरायमिता में 5 टन प्रतिदिन क्षमता के मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (MRF) प्लांट को शुरू किया गया है। इस सेंटर में रोजाना कूड़े से निकलने वाले प्लास्टिक वेस्ट और कांच के वेस्ट को रिसाइकिल किया जाएगा। बुधवार को इसका महापौर प्रमिला पांडेय ने उद्घाटन किया। जर्मनी की कंपनी ने स्थापित किया प्लांट नगर आयुक्त सुधीर कुमार ने बताया कि नदियों के जरिये समुद्र में प्लास्टिक वेस्ट न जाए, इसके लिए देश में कानपुर, पोर्टब्लेयर और कोच्चि का चयन किया गया था। इसके तहत जर्मनी की कंपनी जीआईजेड कंपनी कंपनी ने एमआरएफ प्लांट कानपुर में स्थापित किया है। इंडस्ट्रियल एरिया से लिया जाएगा सूखा कूड़ा प्रोजेक्ट सेल के अभियंता दिवाकर भास्कर ने बताया कि अभी सूखा कूड़ा शहर से नहीं मिल रहा है। इसके लिए पनकी इंडस्ट्रियल एरिया का चयन किया गया है। यहां से सूखा कूड़ा लिया जाएगा। प्लास्टिक बोतल समेत अन्य प्लास्टिक वेस्ट को रिसाइकिल कर उससे प्लास्टिक के दाने और ब्रिक का निर्माण किया जाएगा। संचालन के लिए दिया जाएगा प्रशिक्षण प्लांट के संचालन के लिए तैनात किए गए कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्लांट का प्लास्टिक वेस्ट लगातार मिलता रहे, इसके लिए नई कार्ययोजना भी तैयार की जाएगी। प्लांट में प्लास्टिक पेपर, ग्लास एवं अन्य सामग्री जो कूड़े में पाई जाती है उनको रिसाइकल किया जाएगा। प्लांट के उद्घाटन मौके पर जीआईजेड कंपनी के प्रतिनिधि सबेस्टियन, नगर आयुक्त सुधीर कुमार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी अमित सिंह, अजय संखवार व अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

प्लास्टिक वेस्ट से नगर निगम बनाएगा ब्रिक: इंडो-जर्मन प्रोजेक्ट के तहत MRF प्लांट शुरू
भारत में प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इस इंडो-जर्मन प्रोजेक्ट के तहत, नगर निगम प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग करके ब्रिक बनाने की योजना बना रहा है। इसके लिए एक अत्याधुनिक MRF (Material Recovery Facility) प्लांट की स्थापना की जाएगी, जो उद्योगों से प्राप्त सूखे कूड़े को प्रोसेस करेगा। यह प्रोजेक्ट न केवल पर्यावरण को स्वच्छ बनाएगा, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।
MRF प्लांट के लाभ
यह MRF प्लांट प्लास्टिक रीसाइक्लिंग में एक बड़ी क्रांति ला सकता है। यहाँ पर इंडस्ट्रियल सूखे कूड़े को प्रोसेस करके उच्च गुणवत्ता की ईंटें बनाई जाएंगी। इससे न केवल प्लास्टिक वेस्ट का पुनः उपयोग होगा, बल्कि निर्माण उद्योग को भी सस्ती और टिकाऊ सामग्री मिलेगी। इस प्रकार, यह प्रोजेक्ट 'स्वच्छ भारत मिशन' के उद्देश्यों के अनुरूप है।
प्रोजेक्ट की विशेषताएँ
इंडो-जर्मन प्रोजेक्ट का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर प्लास्टिक वेस्ट को प्रोसेस करना और उसे उपयोगी उत्पादों में बदलना है। यह प्लांट उच्च तकनीक पर आधारित होगा, जिससे कुशलता से और कम लागत में कूड़े का प्रबंधन किया जा सकेगा। स्थानीय नागरिकों को इस प्रोजेक्ट में शामिल करने से उन्हें नए कौशल सिखाने और रोजगार के नए अवसर प्रदान करने की दिशा में एक अनुकूल वातावरण बनेगा।
सामुदायिक प्रभाव
इस प्रोजेक्ट का समुदाय पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। नगर निगम के अधिकारियों का मानना है कि यह प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन की समस्या को हल करने का एक सही तरीका है। ब्रिक बनाने की प्रक्रिया के माध्यम से, स्थानीय निवासियों के बीच प्लास्टिक वेस्ट के सही प्रबंधन के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी।
इस सफलता के साथ, अन्य नगर निगमों को भी प्रेरणा मिलेगी कि वे कैसे अपने कूड़े को पुन: उपयोग कर सकते हैं और अपने शहरों को साफ और स्थायी बना सकते हैं।
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