आजमगढ़ में 40 दिन में बदला पुलिसिया कानून:70 लाख की झूठी सूचना देने वाला दोषी तो 3.92 हजार लूट की झूठी सूचना देने वाला निर्दोष कैसे

आजमगढ़ जिले में लूट की झूठी सूचना देकर पुलिस को गुमराह करने वाले दो अलग-अलग मामलों में पुलिस का अलग-अलग कानून भी सामने आया है। एक मामले में जहां 392000 की झूठी लूट की सूचना देने वाले आरोपी व्यापारी चंदन अग्रवाल को बरी कर दिया गया। वही लूट की झूठी सूचना देने वाले देवगांव कोतवाली क्षेत्र के व्यापारी शिवकुमार जायसवाल और उनकी एक सहयोगी पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया। यह दोनों घटनाएं 40 दिन के भीतर हुई हैं। जहां चंदन अग्रवाल ने 18 दिसंबर 2024 को 392000 लूट की सूचना पुलिस और डायल 112 को दी थी। वही देवगांव कोतवाली क्षेत्र के रहने वाले कोल्ड ड्रिंक व्यापारी शिवकुमार जायसवाल ने 27 जनवरी 2025 को 70 लख रुपए लूट की झूठी सूचना पुलिस को दी थी। दोनों ही मामलों की सूचना मिलने के बाद जिले के एसपी हेमराज मीणा मौके पर पहुंचे थे। और मामले में कड़ी कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे। हालांकि 70 लाख की लूट के मामले में आजमगढ़ मंडल के डीआईजी सुनील कुमार सिंह भी मौके पर पहुंचे थे। इस मामले में आरोपी व्यापारी शिवकुमार और कार्यालय की सहायिका जेबा पर धारा 217 और 121बीएनएस के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इस मुकदमे के अंतर्गत 1 साल से 5 साल तक की जेल और ₹10000 तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। केस नंबर एक बहन के पैसे ना देना पड़े इसलिए रची थी व्यापारिक चंदन अग्रवाल ने लूट की साजिश आजमगढ़ जिले के शहर कोतवाली के रहने वाले व्यापारी चंद अग्रवाल ने 18 दिसंबर 2024 को 392 000 की फर्जी लूट की सूचना पुलिस को दी थी। यह पूरी साजिश व्यापारी चंदन अग्रवाल ने इसलिए रची थी। जिससे उन्हें अपनी बहन से लिए पैसे वापस न करना पड़े। चंदन अग्रवाल ने अपनी बहन से लिए पैसे को शेयर बाजार में लगा दिया था जहां से घाटा होने के बाद उन्होंने यह साजिश रची थी। इस मामले में जब पीड़ित से विस्तृत पूछताछ की गई तो बताया गया कि व्यापारी चंदन अग्रवाल ने 3 दिसंबर को अपनी बहन से 3 लाख रुपए लिये थे, वह पैसा उन्हें अपने बैंक में जमा करके अपनी बहन को ट्रांसफर करना था। 4 दिसंबर को उन्होंने इस पैसे को ट्रेडिंग में लगा दिया और जब ट्रेडिंग में उनको घाटा हो गया। इसके बाद व्यापारी द्वारा प्लान के तहत अपने साथ लूट की घटना होना पुलिस को बताया। जो कि उनके साथ कोई लूटी घटना नहीं हुई थी। व्यापारी द्वारा यह स्वीकार भी किया गया है कि उनके द्वारा उनकी बहन को पैसा वापस न देना पड़े। इसके लिए उनके द्वारा यह मनगढ़ंत फर्जी लूट की घटना रची गई थी। मामले की जानकारी होने के बाद जिले के एसपी हेमराज मीणा एसपी ट्रैफिक विवेक त्रिपाठी एसपी सिटी शैलेंद्र लाल सहित बड़ी संख्या में पुलिस के अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया था। हालांकि इस मामले का खुलासा देर रात्रि कोतवाली की पुलिस और SOG की टीम में संयुक्त रूप से कर लिया था। इस मामले में व्यापारी चंदन अग्रवाल को छोड़ दिया गया था। एजेंसी बचाने के लिए रची शिवकुमार ने साजिश आजमगढ़ जिले की पुलिस ने व्यापारी से 70 लाख की झूठी लूट का खुलासा कर लिया है। जिले के देवगांव कोतवाली क्षेत्र के शिव शक्ति इंटरप्राइजेज के मालिक शिव कुमार जायसवाल देवगांव का चेवार रुद्रपुर गांव पेप्सी का गोदाम है। व्यापारी ने पुलिस को झूठी 70 लाख की लूट की सूचना दी थी। मामले की सूचना मिलते ही जिले के एसपी हेमराज मीणा, डीआईजी सुनील कुमार सिंह, स्वाट टीम, सर्विलांस टीम, डाग स्क्वायड और फारेंसिक घटना स्थल पर पहुंचकर मामले की जांच में जुट गई। प्राथमिक जांच में ही यह पूरा मामला संदिग्ध पाया गया। ऐसे में पुलिस ने इस पूरे मामले का पांच घंटे में ही खुलासा भी कर लिया। इस मामले में पुलिस को फर्जी सूचना देने वाले व्यापाकर शिव कुमार जायसवाल और कंप्यूटर ऑपरेटर जेबा पत्नी इम्तियाज के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इस नटवरलाल व्यापारी ने जिले के पुलिस अधिकारियों के माथे पर सर्दी के मौसम में भी पसीना ला दिया। कंपनी को पैसा न देना पड़े इसलिए आरोपी ने रची साजिश इस मामले का खुलासा करते हुए जिले के एसपी हेमराज मीणा ने बताया कि देवगांव कोतवाली क्षेत्र के रहने वाले व्यापारी शिव कुमार जायसवाल ने कंपनी को पैसा न देना पड़े। इसलिए लूट की झूठी कहानी गढ़ी थी। मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने सीसीटीवी फूटेज के सम्बन्ध में पूछा गया तो बताया कि 24 ताऱीख से खराब है। आस-पास के दुकानों का सीसीटीवी फूटेज देखने से आवेदक द्वारा बताये गये समय पर लूट होने के सम्बन्ध वहां पर कोई भी व्यक्ति का आना-जाना नहीं मिला। जब पुलिस ने पीड़ित और उसके आरपेटर से अलग-अलग पूछतॉछ शुरू की तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। पुलिस पूछतॉछ में आरोपी शिव कुमार जायसवाल ने बताया कि 2023-2024 में दो अलग-अलग बैंकों से एक करोड़ पांच लाख का लोन लिया था। जिसे अदा नहीं कर पा रहा था। ऐसे में आरोपी को जनवरी माह में 70 लाख रूपए जमा करने थे। वह भी यह जमा नहीं कर पा रहे थे। इसके साथ ही जिस कंपनी पेप्सी का काम लिया था। उसका पैसा भी काफी दिनों से नहीं जा रहा था। ऐसे में कंपनी ने भी चेतावनी दी थी कि यदि पैसा नहीं मिला तो एजेंसी किसी और को दे दी जाएगी। जिसके बाद यह साजिश रची गई।

Jan 28, 2025 - 03:59
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आजमगढ़ में 40 दिन में बदला पुलिसिया कानून:70 लाख की झूठी सूचना देने वाला दोषी तो 3.92 हजार लूट की झूठी सूचना देने वाला निर्दोष कैसे
आजमगढ़ जिले में लूट की झूठी सूचना देकर पुलिस को गुमराह करने वाले दो अलग-अलग मामलों में पुलिस का अल

आजमगढ़ में 40 दिन में बदला पुलिसिया कानून: 70 लाख की झूठी सूचना देने वाला दोषी तो 3.92 हजार लूट की झूठी सूचना देने वाला निर्दोष कैसे

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पुलिसिया कानून का नया रूप

आजमगढ़ में पिछले 40 दिनों में पुलिस के कानून में आए बदलाव ने काफी चर्चा उत्पन्न की है। पुलिस द्वारा किए गए इस बदलाव से अधिकारियों और आम जनता के बीच सवाल उठ रहे हैं। इस स्थिति में, एक मामला विशेष रूप से ध्यान आकर्षित कर रहा है, जिसमें 70 लाख रुपये की झूठी सूचना देने वाले को दोषी ठहराया गया है जबकि केवल 3.92 हजार रुपये की लूट की झूठी सूचना देने वाले को निर्दोष मान लिया गया है।

मामले की विस्तृत जानकारी

हाल ही में, आजमगढ़ में पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया जिसने 70 लाख रुपये की लूट के बारे में झूठी सूचना दी थी। इस पर विचार करते हुए, न्यायालय ने उसे दोषी करार दिया। इसी समय, एक दूसरा मामला सामने आया जिसमें एक व्यक्ति ने 3.92 हजार रुपये की लूट की झूठी सूचना दी, लेकिन उसे निर्दोष माना गया। यह असमानता और भेदभाव से भरी स्थिति लोगों में कानून के बारे में अविश्वास पैदा कर रही है।

समाज में उठ रहे सवाल

हालात को देखते हुए, सवाल उठता है कि कैसे दो भिन्न मामलों में इतना विरोधाभास है। लोग जानना चाहते हैं कि इस असमानता के पीछे की वजह क्या है? क्या पुलिस को किसी प्रकार की कुंठा है या फिर यह एक प्रणालीगत मुद्दा है? विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसा प्रतीत होता है कि इन मामलों में न्याय का प्रयोग केवल आकस्मिक कारणों पर निर्भर कर रहा है।

अधिकारी और विशेषज्ञों की धारणा

पुलिस विभाग के कई अधिकारी इस विषय पर अपने विचार साझा कर रहे हैं। कुछ का कहना है कि कानून व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है, जबकि अन्य का मानना है कि एक ठोस नीति बनानी होगी ताकि किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव न हो। इसके अलावा, कानूनी विशेषज्ञ भी इस विषय पर चर्चा कर रहे हैं कि हमारे देश में क्या सही न्याय सुनिश्चित किया जा रहा है या नहीं।

निष्कर्ष

आजमगढ़ में हुई इस पुलिसिया परिवर्तन ने कई अहम सवाल खड़े कर दिए हैं। जब इस तरह की असमानता सामने आती है, तो यह कानून और व्यवस्था दोनों पर सवाल उठाती है। ये मामले न केवल आजमगढ़ में बल्कि पूरे देश में कानून के प्रति विश्वास को चुनौती देते हैं। आगे बढ़कर, हमें उम्मीद है कि संबंधित अधिकारियों द्वारा पारदर्शिता और जिम्मेदारी से इस विषय में कार्रवाई की जाएगी।

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