फर्जी दस्तावेजों से नौकरी करने वाले शिक्षक को सजा:श्रावस्ती कोर्ट ने सुनाई 5 साल 11 माह की जेल, 10,500 का लगाया जुर्माना
श्रावस्ती में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षक की नौकरी करने के मामले में न्यायालय ने बड़ी कार्रवाई की है। सीजेएम कोर्ट ने आरोपी शोभानाथ को दोषी करार देते हुए कड़ी सजा सुनाई है। संतकबीर नगर के महुली थाना क्षेत्र के जमीरा निवासी शोभानाथ पर थाना गिलौला में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया था। मामला वर्ष 2018 का है, जिसमें आरोपी ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षक के पद पर नौकरी हासिल की थी। यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा चलाए जा रहे 'ऑपरेशन कनविक्शन' अभियान का हिस्सा है। इस अभियान की निगरानी गोरखपुर जोन के अपर महानिदेशक और देवीपाटन परिक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक द्वारा की जा रही है। श्रावस्ती के पुलिस अधीक्षक श्री घनश्याम चौरसिया के निर्देशन में मॉनिटरिंग सेल, विशेष लोक अभियोजक और कोर्ट पैरोकार की टीम ने इस मामले में प्रभावी पैरवी की। 20 मार्च 2025 को सीजेएम कोर्ट ने आरोपी को धारा 419, 420, 467, 468, 471 के तहत दोषी पाया। कोर्ट ने आरोपी को 5 साल 11 माह की जेल की सजा के साथ 10,500 रुपए का अर्थदंड भी लगाया है।

फर्जी दस्तावेजों से नौकरी करने वाले शिक्षक को सजा
श्रावस्ती कोर्ट ने हाल ही में एक शिक्षक को फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से नौकरी करने के मामले में 5 साल 11 माह की जेल की सजा सुनाई है। इसके अलावा, उसे 10,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इस मामले ने शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े के मामलों पर एक बार फिर सवाल उठाए हैं और यह दर्शाता है कि ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए न्यायिक प्रणाली कितनी सक्रिय है।
मामले का विवरण
प्राप्त जानकारी के अनुसार, आरोपी शिक्षक ने विभिन्न सरकारी दस्तावेजों का उपयोग करके नौकरी हासिल की थी। जब इस बात की जानकारी स्थानीय प्रशासन को हुई, तो मामले की जांच शुरू की गई। यह जांच इस बात की पुष्टि करने के लिए की गई थी कि क्या आरोपी ने वास्तव में अयोग्य प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी प्राप्त की थी। जाँच में यह साबित हो गया कि आरोपी ने दस्तावेजों में हेरफेर की थी, जिसके चलते उसे सजा दी गई।
सजा का महत्व
यह सजा न केवल आरोपी के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह अन्य शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों के लिए भी एक संदेश है कि फर्जी तरीके से नौकरी पाना और दस्तावेजों में छेड़छाड़ करना गंभीर अपराध है। कोर्ट ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाया है और fर्ज़ी दस्तावेज़ों के उपयोग को रोकने के लिए कठोर सजा का फैसला किया।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
श्रावस्ती कोर्ट के इस निर्णय के बाद, शिक्षा विभाग ने अपनी नीतियों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता महसूस की है। प्रशासन ने ऐसे मामलों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने का आश्वासन दिया है। इस मामले ने यह भी उजागर किया है कि दस्तावेजों की पुष्टि करने में अधिक सावधानी बरते जाने की आवश्यकता है।
News by indiatwoday.com हमें उम्मीद है कि इस सजा से सभी सरकारी कर्मचारियों को एक महत्वपूर्ण संदेश मिलेगा। इससे यह भी साबित होता है कि न्याय प्रणाली ऐसे फर्जीवाड़े के खिलाफ सख्त है और इस पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। Keywords: फर्जी दस्तावेज, श्रावस्ती कोर्ट, नौकरी के मामले, शिक्षक की सजा, शिक्षा विभाग, भ्रष्टाचार, जालसाजी, सरकारी नौकरी, न्याय प्रणाली, सजाए जेल, 10,500 का जुर्माना, शिक्षा में सुधार, दस्तावेज़ों की जांच.
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