बच्चों में बढ़ रही बड़ों की बीमारी:लाइफस्टाइल से खतरे में है सेहत; लखनऊ में एक्सपर्ट बोले-लापरवाही कम कर सकती है उम्र

नौनिहालों पर गंभीर बीमारी का खतरा मंडरा रहा है। लाइफ स्टाइल, अनहेल्दी ईटिंग हैबिट और मोबाइल-TV पर ज्यादा स्क्रीन टाइम देने से बच्चों में बीमारियां बढ़ रही है। नींद में कमी और आउट डोर एक्टिविटी में गिरावट ओवर ऑल हेल्थ को डैमेज कर रहा है। हालात इस कदर बिगड़े हैं कि 20 से 30% बच्चे इस समस्या से जूझ रहे हैं। वहीं, 40 से 50% बच्चों में पहले से ही कुपोषण या अंडरवेट की समस्या है। यही कारण है कि महज 20 से 30% बच्चे ही नॉर्मल कैटेगरी यानी सामान्य कैटेगरी में आ रहे हैं। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 25वें एपिसोड में यूपी पीडियाट्रिक एसोसिएशन के प्रमुख डॉ. संजय निरंजन से खास बातचीत... डॉ. संजय निरंजन ने बताया कि 100 साल पहले देश में 50% मृत्यु दर थी। जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में 500 दम तोड़ देते थे। 1970 के दशक में ये संख्या 250 तक पहुंच गई। आज के दौर में इसमें बहुत सुधार हुआ है। अब जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में 40 बच्चों की मौत हो रही है। अभी यूपी में 5 साल तक के बच्चों के लिए ये संख्या 60 है। पर हम सभी का फोकस इसे हर हाल में कम करने पर है।

Oct 24, 2024 - 07:10
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बच्चों में बढ़ रही बड़ों की बीमारी:लाइफस्टाइल से खतरे में है सेहत; लखनऊ में एक्सपर्ट बोले-लापरवाही कम कर सकती है उम्र
नौनिहालों पर गंभीर बीमारी का खतरा मंडरा रहा है। लाइफ स्टाइल, अनहेल्दी ईटिंग हैबिट और मोबाइल-TV पर ज्यादा स्क्रीन टाइम देने से बच्चों में बीमारियां बढ़ रही है। नींद में कमी और आउट डोर एक्टिविटी में गिरावट ओवर ऑल हेल्थ को डैमेज कर रहा है। हालात इस कदर बिगड़े हैं कि 20 से 30% बच्चे इस समस्या से जूझ रहे हैं। वहीं, 40 से 50% बच्चों में पहले से ही कुपोषण या अंडरवेट की समस्या है। यही कारण है कि महज 20 से 30% बच्चे ही नॉर्मल कैटेगरी यानी सामान्य कैटेगरी में आ रहे हैं। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 25वें एपिसोड में यूपी पीडियाट्रिक एसोसिएशन के प्रमुख डॉ. संजय निरंजन से खास बातचीत... डॉ. संजय निरंजन ने बताया कि 100 साल पहले देश में 50% मृत्यु दर थी। जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में 500 दम तोड़ देते थे। 1970 के दशक में ये संख्या 250 तक पहुंच गई। आज के दौर में इसमें बहुत सुधार हुआ है। अब जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में 40 बच्चों की मौत हो रही है। अभी यूपी में 5 साल तक के बच्चों के लिए ये संख्या 60 है। पर हम सभी का फोकस इसे हर हाल में कम करने पर है।

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