बलरामपुर के हलौरा में तेंदुए का आतंक:तीन तेदुआ क्षेत्र में आतंकियों के हमले, गांव में पिंजरा लगाने की कहानी। Indiatwoday.
बलरामपुर के हलौरा गांव में बीते तीन महीने से तेंदुए का आतंक कम होने का नाम नहीं ले रहा है। एक के बाद एक तेंदुए गांव के इर्द-गिर्द नजर आ रहे हैं, जिससे स्थानीय निवासियों में भय का माहौल बना हुआ है। हाल ही में एक तेंदुआ पकड़ा गया था, लेकिन तीन दिन के भीतर स्थिति फिर से बिगड़ गई है और अब तीन तेंदुए क्षेत्र में घूमते हुए देखे जा रहे हैं। बीते शुक्रवार को एक तेंदुआ गांव के पास देखा गया, जो गन्ने के खेत में जा बैठा। वहीं, ग्रामीणों ने आशंका जताई है कि रात के समय भी तेंदुए गन्ने के खेतों में हो सकते हैं। इस क्षेत्र में तेंदुए अपने शिकार के लिए गाय, बकरी, मुर्गी सहित पालतू जानवरों को निशाना बना रहे हैं, जिसके कारण दहशत और बढ़ गई है। सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग के तुलसीपुर रेंज के अंतर्गत हलौरा में तेंदुए के दिखने से ग्रामीणों में डर का माहौल बन गया है। रोजाना दो से तीन तेंदुए दिखाई दे रहे पिछले तीन महीनों में इस क्षेत्र में तेंदुओं के साथ कुत्तों द्वारा पालतू मवेशियों के शिकार की कई घटनाएं सामने आई हैं। ग्रामीणों की सुरक्षा को देखते हुए वन विभाग ने गांव में तेंदुए पकड़ने के लिए पिंजरा लगाया है। हालांकि, पहले से ही एक मादा तेंदुआ इस पिंजरे में कैद हो चुकी है, लेकिन फिर भी रोजाना दो से तीन तेंदुए दिखाई दे रहे हैं, जिससे ग्रामीणों की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। तेंदुओं के sightings से उनकी चिंता बढ़ी छह दिन पूर्व मादा तेंदुए के पकड़े जाने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली थी, लेकिन अब फिर से तेंदुओं के sightings से उनकी चिंता बढ़ गई है। हलौरा निवासी अब्दुल हमीद ने बताया कि जब वह शाम को संग्रामपुर लेबर की व्यवस्था के लिए बाइक से जा रहे थे, तब उन्हें रास्ते में दो तेंदुए दिखाई पड़े। तेंदुआ देखते ही उनके होश उड़ गए और उन्होंने तुरंत वापस लौटने का निर्णय लिया। तेंदुआ पकड़ने के लिए पिंजरा लगाया ग्रामीण अब वन विभाग से और अधिक सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं ताकि इस खतरे को जल्द समाप्त किया जा सके। मामले पर एसडीओ मनोज कुमार ने बताया कि तेंदुओं के दिखने की सूचना मिली है। वन विभाग की टीम ने पहले से ही तेंदुआ पकड़ने के लिए पिंजरा लगा रखा है और लगातार निगरानी रख रही है। लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अधिक उपाय करने की आवश्यकता है ताकि ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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