बलरामपुर में निशुल्क सिलाई केंद्र:जल निगम से सेवानिवृत्त इंजीनियर ने शुरू किया सेंटर, 102 महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भर

बलरामपुर। जिले के तुलसीपुर तहसील के रमवापुर गांव में जल निगम से सेवानिवृत्त इंजीनियर मोहम्मद अयूब ने समाज सेवा की नई मिसाल पेश की है। उन्होंने गरीब परिवारों की बेटियों और महिलाओं के लिए निशुल्क सिलाई-कढ़ाई ट्रेनिंग सेंटर की शुरुआत की है। वर्तमान में इस सेंटर में 102 महिलाएं और बेटियां आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। सेवानिवृत्ति के बाद शुरू किया अभियान मोहम्मद अयूब ने जल निगम में 40 वर्षों तक सेवा देने के बाद अपने गांव लौटकर यह पहल शुरू की। उनका कहना है, "मेरी कोई बेटी नहीं है, लेकिन मेरी कोशिश है कि जिन परिवारों की बेटियां हैं, वे सशक्त बनें। सेवा निवृत्ति के बाद मैंने समाज के लिए कुछ करने का संकल्प लिया था।" उन्होंने अपनी पूंजी से इस सेंटर की स्थापना की, ताकि गांव की महिलाएं अपने परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद कर सकें। तीन शिफ्ट में हो रहा प्रशिक्षण सेंटर में तीन प्रशिक्षिकाओं की देखरेख में प्रशिक्षण तीन शिफ्ट में चलता है। स्थानीय महिलाओं पूनम और रश्मि ने भी सेंटर के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये महिलाएं अन्य महिलाओं को प्रशिक्षित करने में अपना योगदान दे रही हैं। गांव की बेटियों को मिली नई दिशा 6 महीने में बदल जाएगी जिंदगी सेंटर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही महिलाओं को उम्मीद है कि 6 महीने का कोर्स पूरा करने के बाद वे अपने मायके और ससुराल दोनों में आर्थिक और सामाजिक योगदान दे सकेंगी। मोहम्मद अयूब की इस पहल की गांव के लोग जमकर सराहना कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह सेंटर न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि गांव के विकास में भी अहम भूमिका निभाएगा।

Nov 24, 2024 - 12:55
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बलरामपुर में निशुल्क सिलाई केंद्र:जल निगम से सेवानिवृत्त इंजीनियर ने शुरू किया सेंटर, 102 महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भर
बलरामपुर। जिले के तुलसीपुर तहसील के रमवापुर गांव में जल निगम से सेवानिवृत्त इंजीनियर मोहम्मद अयूब ने समाज सेवा की नई मिसाल पेश की है। उन्होंने गरीब परिवारों की बेटियों और महिलाओं के लिए निशुल्क सिलाई-कढ़ाई ट्रेनिंग सेंटर की शुरुआत की है। वर्तमान में इस सेंटर में 102 महिलाएं और बेटियां आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। सेवानिवृत्ति के बाद शुरू किया अभियान मोहम्मद अयूब ने जल निगम में 40 वर्षों तक सेवा देने के बाद अपने गांव लौटकर यह पहल शुरू की। उनका कहना है, "मेरी कोई बेटी नहीं है, लेकिन मेरी कोशिश है कि जिन परिवारों की बेटियां हैं, वे सशक्त बनें। सेवा निवृत्ति के बाद मैंने समाज के लिए कुछ करने का संकल्प लिया था।" उन्होंने अपनी पूंजी से इस सेंटर की स्थापना की, ताकि गांव की महिलाएं अपने परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद कर सकें। तीन शिफ्ट में हो रहा प्रशिक्षण सेंटर में तीन प्रशिक्षिकाओं की देखरेख में प्रशिक्षण तीन शिफ्ट में चलता है। स्थानीय महिलाओं पूनम और रश्मि ने भी सेंटर के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये महिलाएं अन्य महिलाओं को प्रशिक्षित करने में अपना योगदान दे रही हैं। गांव की बेटियों को मिली नई दिशा 6 महीने में बदल जाएगी जिंदगी सेंटर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही महिलाओं को उम्मीद है कि 6 महीने का कोर्स पूरा करने के बाद वे अपने मायके और ससुराल दोनों में आर्थिक और सामाजिक योगदान दे सकेंगी। मोहम्मद अयूब की इस पहल की गांव के लोग जमकर सराहना कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह सेंटर न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि गांव के विकास में भी अहम भूमिका निभाएगा।

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