बाजारों में खुलेआम बिक रही कच्ची शराब:50 साल से चल रहा पुश्तैनी धंधा, आबकारी और पुलिस विभाग अंजान

रायबरेली जिले में कच्ची शराब का बनाना और बेचना अब एक आम बात हो गई है। खुलेआम प्लास्टिक के पानी के पाउचों में कच्ची शराब बिक रही है, जो बाजारों में दुकानों पर नजर आती है। इस कारोबार के बारे में जिला आबकारी प्रशासन और पुलिस को पूरी जानकारी होने के बावजूद, कच्ची शराब माफिया के सामने जिला प्रशासन नतमस्तक नजर आ रहा है। यह अवैध कारोबार जिले के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से फैल चुका है। गुरबक्श गंज के कोरियर गांव में कच्ची शराब का धंधा ताजा मामला रायबरेली जिले के गुरबक्श गंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत कोरियर गांव का है। यहां पर हर सप्ताह सोमवार और शुक्रवार को बाजार लगती है, जहां खुलेआम कच्ची महुआ शराब बेची जाती है। शराब को प्लास्टिक के पानी में पैक करके पाउच में बेचा जाता है। यह कच्ची शराब अब कोई नई बात नहीं है, बल्कि पिछले 50 वर्षों से इस गांव में कच्ची महुआ शराब बनाने और बेचने का पुश्तैनी कार्य चल रहा है। कच्ची शराब का स्वाद और कारोबारियों की बयानबाजी दैनिक भास्कर की टीम ने मौके पर जाकर इस बाजार का निरीक्षण किया, तो पाया कि शराब का स्वाद लेने वाले लोग इसे अंग्रेजी और देसी शराब से बेहतर मानते हैं। उनका कहना है कि बीस रुपये के गिलास में पीने से दिमाग से लेकर पूरे शरीर को ताजगी मिल जाती है। वहीं शराब बेचने वाली महिलाओं ने बताया कि यह उनका पारंपरिक धंधा है और वे पुलिस और आबकारी विभाग को महीने में पैसे देती हैं। उनके अनुसार, यह शराब गांव के सूअर बड़े से लेकर तालाब के किनारे चुपचाप बनाई जाती है और इसके बारे में सिर्फ गांव के लोग ही जानते हैं। पुलिस और आबकारी विभाग की नाकामी यहाँ के शराब माफिया ने अपनी ताकत इस कदर बढ़ा ली है कि वे पुलिस और आबकारी विभाग से नियमित पैसे लेकर अपना अवैध कारोबार चलाते हैं। इस मामले में प्रशासन की चुप्पी सवाल खड़ी करती है कि आखिर क्यों इतने वर्षों से प्रशासन इस कच्ची शराब के कारोबार को रोकने में असमर्थ रहा है।

Nov 19, 2024 - 10:45
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बाजारों में खुलेआम बिक रही कच्ची शराब:50 साल से चल रहा पुश्तैनी धंधा, आबकारी और पुलिस विभाग अंजान
रायबरेली जिले में कच्ची शराब का बनाना और बेचना अब एक आम बात हो गई है। खुलेआम प्लास्टिक के पानी के पाउचों में कच्ची शराब बिक रही है, जो बाजारों में दुकानों पर नजर आती है। इस कारोबार के बारे में जिला आबकारी प्रशासन और पुलिस को पूरी जानकारी होने के बावजूद, कच्ची शराब माफिया के सामने जिला प्रशासन नतमस्तक नजर आ रहा है। यह अवैध कारोबार जिले के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से फैल चुका है। गुरबक्श गंज के कोरियर गांव में कच्ची शराब का धंधा ताजा मामला रायबरेली जिले के गुरबक्श गंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत कोरियर गांव का है। यहां पर हर सप्ताह सोमवार और शुक्रवार को बाजार लगती है, जहां खुलेआम कच्ची महुआ शराब बेची जाती है। शराब को प्लास्टिक के पानी में पैक करके पाउच में बेचा जाता है। यह कच्ची शराब अब कोई नई बात नहीं है, बल्कि पिछले 50 वर्षों से इस गांव में कच्ची महुआ शराब बनाने और बेचने का पुश्तैनी कार्य चल रहा है। कच्ची शराब का स्वाद और कारोबारियों की बयानबाजी दैनिक भास्कर की टीम ने मौके पर जाकर इस बाजार का निरीक्षण किया, तो पाया कि शराब का स्वाद लेने वाले लोग इसे अंग्रेजी और देसी शराब से बेहतर मानते हैं। उनका कहना है कि बीस रुपये के गिलास में पीने से दिमाग से लेकर पूरे शरीर को ताजगी मिल जाती है। वहीं शराब बेचने वाली महिलाओं ने बताया कि यह उनका पारंपरिक धंधा है और वे पुलिस और आबकारी विभाग को महीने में पैसे देती हैं। उनके अनुसार, यह शराब गांव के सूअर बड़े से लेकर तालाब के किनारे चुपचाप बनाई जाती है और इसके बारे में सिर्फ गांव के लोग ही जानते हैं। पुलिस और आबकारी विभाग की नाकामी यहाँ के शराब माफिया ने अपनी ताकत इस कदर बढ़ा ली है कि वे पुलिस और आबकारी विभाग से नियमित पैसे लेकर अपना अवैध कारोबार चलाते हैं। इस मामले में प्रशासन की चुप्पी सवाल खड़ी करती है कि आखिर क्यों इतने वर्षों से प्रशासन इस कच्ची शराब के कारोबार को रोकने में असमर्थ रहा है।

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