बिहार चुनाव आयोग को SC का निर्देश: आधार कार्ड और राशन कार्ड को मतदाता सूची में मान्यता देने पर विचार

नई दिल्ली : बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान कड़े सवाल उठाए और आयोग से आधार कार्ड, राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र को वैध दस्तावेज के रूप में शामिल करने पर …

Jul 10, 2025 - 18:27
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बिहार चुनाव आयोग को SC का निर्देश: आधार कार्ड और राशन कार्ड को मतदाता सूची में मान्यता देने पर विचार
नई दिल्ली : बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision

बिहार चुनाव आयोग को SC का निर्देश: आधार कार्ड और राशन कार्ड को मतदाता सूची में मान्यता देने पर विचार

नई दिल्ली: बिहार में चुनाव आयोग द्वारा आयोजित मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से आधार कार्ड, राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र को वैध दस्तावेज के रूप में शामिल करने को लेकर गंभीर सवाल उठाए। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि “न्याय के हित में आयोग को उन दस्तावेजों पर विचार करना चाहिए जो नागरिकता और निवास प्रमाण के रूप में स्वीकार्य हैं।” Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - India Twoday

कोर्ट की चिंता

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान, जस्टिस धूलिया ने टिप्पणी की, "यदि मतदाता सूची में नागरिकता की जांच करनी थी, तो यह काम पहले करना चाहिए था। चुनावों के कुछ महीने पहले यह संशोधन लोकतंत्र की नींव पर आक्रमण की तरह है।" उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भले ही मतदाता सूची में संशोधन चुनाव आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी है, लेकिन प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

चुनाव आयोग का रुख और बहस

चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने तर्क किया कि आधार कार्ड पहचान के लिए मान्य हो सकता है, लेकिन यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि अब तक लगभग 5.5 से 6 करोड़ फॉर्म भरे जा चुके हैं, जिनमें से आधे अपलोड भी हो चुके हैं। इसके अलावा, दिव्यांगता जैसी श्रेणियों के लिए भी कोई नाम स्वतः मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा जब तक वह वैधानिक रूप से अपात्र नहीं है।

आधार कार्ड की आवश्यकता पर सवाल

जस्टिस धूलिया ने सवाल किया, "यदि जाति प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों को SIR में मान्यता दी गई है, तो आधार कार्ड जैसे मूलभूत दस्तावेज को क्यों बाहर रखा गया है?" इस पर चुनाव आयोग ने जवाब दिया कि आधार अधिनियम स्वयं नागरिकता या निवास का प्रमाण नहीं मानता, इसलिए इसे शामिल करना सही नहीं होगा।

SIR की जरूरत क्यों?

चुनाव आयोग ने SIR की आवश्यकता को बताते हुए कहा कि पिछला पूर्ण पुनरीक्षण वर्ष 2003 में हुआ था, और अब सूची को अपडेट करने का समय आ गया है। आयोग ने बताया कि लगभग 1.1 करोड़ मृत मतदाताओं और 70 लाख पलायन कर चुके मतदाताओं के आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए, यह गहन पुनरीक्षण अनिवार्य हो गया है।

आगामी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 21 जुलाई तक विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी। याचिका में विपक्षी नेताओं और नागरिक संगठनों ने बिना पर्याप्त सूचना के नाम काटने और सामान्य संवर्गों के खिलाफ भेदभाव की आशंका व्यक्त की है।

अधिवक्ता द्वारा उठाई गई मांग

याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट से अपील की कि आधार, वोटर ID और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को SIR प्रक्रिया में मान्यता दी जाए। उन्होंने कहा, "कोर्ट ने यह स्वीकार किया है कि चुनाव आयोग यदि चाहे तो इन दस्तावेजों को स्वीकार कर सकता है। इसमें कोई बाध्यता नहीं है, लेकिन यह जरूरी है कि आयोग पारदर्शिता बरते।"

यह सुनवाई यह सुनिश्चित करती है कि बिहार का चुनाव आयोग नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित करने में पारदर्शिता बनाए रखे। दिल्ली की न्यायपालिका यह महत्वपूर्ण कदम उठाकर सुनिश्चित करती है कि भारतीय लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों का संरक्षण हो सके। कम शब्दों में कहें तो यह मामला न केवल चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को प्रभावित करेगा, बल्कि नागरिकों की पहचान और प्रतिभागिता को भी सुनिश्चित करेगा। अधिक जानकारी के लिए विजिट करें India Twoday.

सादर, टीम इंडिया टुडे - नीतू सिंह

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