मसूरी गोलीकांड की 31वीं बरसी: सीएम धामी का नया ऐलान, मसूरी की पहचान में आएगा बदलाव

मसूरी: 2 सितंबर को उत्तराखंड के इतिहास में एक काला दिन माना जाता है। 31 साल पहले इसी दिन, अलग राज्य की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों पर मसूरी में पुलिस ने गोलियां चलाई थीं, जिसमें कई लोग शहीद हो गए थे। इस बलिदान को याद करने के लिए मसूरी शहीद स्थल पर …

Sep 2, 2025 - 18:27
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मसूरी गोलीकांड की 31वीं बरसी: सीएम धामी का नया ऐलान, मसूरी की पहचान में आएगा बदलाव
मसूरी: 2 सितंबर को उत्तराखंड के इतिहास में एक काला दिन माना जाता है। 31 साल पहले इसी दिन, अलग राज्य की

मसूरी गोलीकांड की 31वीं बरसी: सीएम धामी का नया ऐलान, मसूरी की पहचान में आएगा बदलाव

कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड के मसूरी में 2 सितंबर को गोलीकांड की 31वीं बरसी मनाई जा रही है, जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। यह घटना 1994 में हुई थी, जब अलग राज्य की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस ने गोलियां चलाई थीं।

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मसूरी: यह दिन, 2 सितंबर, उत्तराखंड के इतिहास में एक काला दिन माना जाता है। 31 साल पहले इसी दिन, राज्य के लिए आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने गोलियां चलाई थीं, जिसमें कई लोग शहीद हो गए थे। इस बलिदान की याद में हर साल मसूरी के शहीद स्थल पर श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया जाता है, लेकिन इस बार समारोह केवल याद करने तक सीमित नहीं रहा। इस मौके पर मुख्यमंत्री धामी के महत्वपूर्ण घोषणाएं और उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के नेता उस पर तीखे आरोप भी देखने को मिले।

मुख्यमंत्री धामी की घोषणाएं

इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि मसूरी की माल रोड का नाम बदलकर ‘आंदोलनकारी माल रोड’ रखा जाएगा। मुख्यमंत्री ने जोर दिया कि यह सड़क केवल एक रास्ता नहीं, बल्कि उस आंदोलन का गवाह है जिसने उत्तराखंड राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मुख्यमंत्री ने शहीद बलबीर सिंह नेगी, बेलमती चौहान, हंसा धनाई, धनपत सिंह, राय सिंह बंगारी और मदन मोहन ममगई के परिवारों को सम्मानित किया। उन्होंने 2 सितंबर 1994 को “उत्तराखंड के इतिहास का काला दिन” मानते हुए कहा कि उनकी सरकार इस बलिदान को कभी भूलने नहीं देगी।

मुख्यमंत्री की अन्य घोषणाएं निम्नलिखित हैं:

  • उत्तराखंड आंदोलन के प्रमुख नेता स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी की जन्मशताब्दी बड़े धूमधाम से मनाई जाएगी।
  • मसूरी में स्थित गढ़वाल सभा भवन को संस्कृति और विरासत के केंद्र के रूप में पुनः विकसित किया जाएगा।
  • शिफन कोर्ट में वर्षों से रह रहे 84 परिवारों का जल्द ही पुनर्वास किया जाएगा।
  • स्थानीय पटरी व्यापारियों के लिए वेंडर ज़ोन बनाए जाएंगे, ताकि उन्हें स्थायी जगह और एक सम्मानजनक आजीविका मिल सके।

यूकेडी का विरोध

मुख्यमंत्री धामी के कार्यक्रम के समापन से पहले, उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के कार्यकर्ताओं ने जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। उन्होंने "शहीदों के कातिलों को सज़ा दो" जैसे नारे लगाए। यूकेडी नेताओं आशीष नेगी और किरण रावत कश्यप ने आरोप लगाया कि शहीद स्थल का कार्यक्रम अब आम जनता और असली आंदोलनकारियों के लिए नहीं रहा, बल्कि इसे केवल वीआईपी नेताओं के लिए आरक्षित कर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि कई पुराने आंदोलनकारियों को गांधी चौक पर ही रोक दिया गया, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची।

यूकेडी के नेताओं ने भाजपा पर दोहरे चरित्र का आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ भाजपा शहीदों को श्रद्धांजलि देती है, जबकि दूसरी तरफ उत्तराखंड आंदोलन के दौरान गोली चलाने का आदेश देने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को पद्म भूषण सम्मान दिया जाता है। उनका कहना है कि यह उत्तराखंड के शहीदों का अपमान है।

यूकेडी ने 2027 के विधानसभा चुनाव में मजबूती से उतरने का ऐलान किया और कहा कि उन्हें कांग्रेस और भाजपा मिलकर भी नहीं रोक पाएंगे। उन्होंने दावा किया कि राज्य की भावना को केवल एक क्षेत्रीय दल ही सही मायने में समझ सकता है।

आने वाले दिनों में मसूरी के विकास की योजनाएं और मुख्यमंत्री की घोषणाएं प्रभावित कर सकती हैं। यह बदलाव न केवल मसूरी की पहचान को नया रूप दे सकता है, बल्कि पूरे उत्तराखंड की राजनीतिक landscape को भी बदल सकता है।

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सादर,

टीम इंडिया टूडेज़, प्रिया शर्मा

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