कानपुर के हैलट अस्पताल में मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने गठिया मरीजों को किया जागरूक: गठिया किट बांटी गई
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर के हैलट अस्पताल के अस्थि रोग विभाग में शनिवार को विश्व गठिया दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मरीजों को जागरूक किया गया। उप प्राचार्य प्रो. रिचा गिरी, हैलट अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ.आरके सिंह, अस्थि रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.संजय कुमार, डॉ. फहीम खान ने टीम के साथ गठिया ग्रस्त मरीजों को सलाह दी। इसके साथ ही मरीजों को नी कैंप, हॉटपैड्स, पिंगपॉग बॉल व बैग का वितरण किया गया। गठिया गंभीर समस्या है विभागाध्यक्ष डॉ. संजय कुमार ने बताया कि आर्थराइटिस (गठिया) जोड़ों को प्रभावित करने वाली गंभीर समस्या है, जिसका खतरा बढ़ता जा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक 30 वर्ष की उम्र से पहले ही कई लोग गठिया का शिकार हो रहे है, जो काफी चिंता का विषय है, इसकी मुख्य वजह है गलत खानपान, व्यायाम या योग न करना, शराब, तंबाकू व गुटखा का सेवन और अनियमित जीवनशैली। वहीं, पर्यावरण में बदलाव भी इसका बड़ा कारण है। बताया कि ओपीडी में पहुंचे करीब तीन सौ मरीजों को परामर्श दिया गया, जिनमें से करीब 70 लोग गठिया ग्रस्त मिले, जो सिर्फ आम दर्द की समस्या लेकर ओपीडी में दिखाने पहुंचे थे, जिनमें से 60 प्रतिशत महिलाएं शामिल थी। मरीजों को उपचार की जानकारी दी वरिष्ठ आर्थो सर्जन डॉ. चंदन कुमार ने अस्टियो अर्थराइटिस, गॉट्स अर्थराइटिस व एंकिलॉजिंग स्पॉंडिलाइटिस के कारण, लक्षण, बचाव व उपचार की जानकारी दी। डॉ.फहीम अंसारी ने मरीजों को जीवनशैली में बदलाव करने, पोषक तत्वों का सेवन करने और व्यायाम व योग की जानकारी दी। इस दौरान डॉ.सीमा द्विवेदी, डॉ. सौरभ सक्सेना, डॉ.रोहित नाथ व अस्थि रोग विभाग के जेआर आदि मौजूद रहे। यूरिक एसिड को रखना चाहिए नियंत्रित उप प्राचार्य प्रो. रिचा गिरी ने बताया कि शरीर में होने वाले किसी भी दर्द को हल्के में नहीं लेना चाहिए। गठिया सौ से भी ज्यादा प्रकार का होता है। यह रोग प्यूरिन नामक प्रोटीन के मेटाबॉलिज्म की विकृति से होता है। खून में यूरिक ऐसिड की मात्रा बढ़ जाती है। व्यक्ति जब कुछ देर के लिए बैठता या फिर सोता है तो यह यूरिक एसिड जोड़ों में एकत्र हो जाते है, जो अचानक चलने या उठने में तकलीफ देता है। शरीर में यूरिक ऐसिड की मात्रा काफी बढ़ जाने पर यह गठिया का रूप ले लेता है।
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