यूपी बोर्ड के मूल्यांकन से पहले माध्यमिक शिक्षकों में आक्रोश:बोर्ड कॉपियों को पहुंचाने के लिए गाड़ी न मिलने पर भड़के शिक्षक, निदेशक को लिखा पत्र

यूपी बोर्ड परीक्षाओं की कॉपियों के मूल्यांकन से पहले एक बार फिर शिक्षकों में आक्रोश बढ़ रहा हैं। वाराणसी और मऊ समेत कुछ जिलों में बोर्ड कॉपियों को मूल्यांकन केंद्र तक पहुंचाने की ड्यूटी में लगाए गए शिक्षकों को अलग से वाहन न मुहैया कराने के मामले पर शिक्षक संघ ने तीखी प्रतिक्रिया दी हैं। शिक्षक संघ की तरफ से माध्यमिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर पूरा मामला में रोष जताते हुए शिक्षकों की सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया हैं। निदेशक महेंद्र देव को लिखे गए पत्र में कहा गया हैं कि निर्देशों के बावजूद मऊ में शिक्षकों को केंद्र व्यवस्थापक द्वारा गाड़ी नहीं मुहैया कराई गई। और ट्रक से मूल्यांकन केंद्र जाने का दबाव डाला गया। इसके अलावा 2024 में मुजफ्फरनगर के हादसे में ड्यूटी पर रहे वाराणसी के शिक्षकों की पुनः कॉपी ले जाने की ड्यूटी लगाए जाने को भी संगठन ने अमानवीय करार दिया हैं। मऊ के संकलन केंद्र में हुआ विवाद मऊ के तलीमुद्दीन इंटर कॉलेज स्थित संकलन केंद्र से कॉपियों को ले जाने के लिए प्रिंसिपल मोहम्मद मजहर ने ट्रक के जरिए ही शिक्षकों को जाने की बात कही। इसको लेकर जब शिक्षकों पर दबाव बनाए जाने लगा तो कुछ शिक्षक बिफर पड़े। बात शिक्षक संगठनों तक पहुंची तो लखनऊ से फोन DIOS वीरेंद्र प्रताप सिंह के पास गया। फिर उनके हस्तक्षेप के बाद शिक्षकों के लिए गाड़ी मुहैया कराई गई, तब कहीं जाकर शिक्षक मूल्यांकन केंद्र के लिए रवाना हुए। हालांकि, इस मामले पर जब मऊ के जिला विद्यालय निरीक्षक वीरेंद्र प्रताप सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ऐसा कोई मामला नहीं था। मूल्यांकन केंद्र तक कॉपी को भेजे जाने के लिए लगाए गए सभी शिक्षक ड्यूटी पर लगाए गए सभी शिक्षक साथ में गए हैं। 2024 की घटना के बाद से शिक्षकों में उबाल बीते वाराणसी के एक शिक्षक की मुजफ्फरनगर के मूल्यांकन केंद्र तक कॉपी पहचाने के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद बड़ी शिक्षकों की तरफ से मूल्यांकन प्रक्रिया का बहिष्कार किया गया था। शिक्षक संगठनों की मांग थी कि बोर्ड कॉपियों को पहुंचाने के लिए शिक्षकों की ड्यूटी लगाने अनुचित हैं। सुरक्षा बलों की निगरानी में ही कॉपियों को मूल्यांकन केंद्र भेजा जाए। हालांकि, बाद में शिक्षक अलग से गाड़ी मुहैया कराने और साथ में स्टॉफ और पर्याप्त सुरक्षा बलों की ड्यूटी लगाए जाने की बात पर मान गए थे। पर इस बार कुछ जिलों में जब ये व्यवस्था नहीं हुई तो शिक्षक संगठन ने एक बार फिर से मुखर होकर माध्यमिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिखा हैं। शिक्षक संघ के खोला मोर्चा राजकीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद पांडे ने बताया कि मऊ से जुड़ा मामला सामने आने के बाद तत्काल DIOS मऊ से संपर्क किया गया। फिर शिक्षकों के लिए गाड़ी मुहैया कराई गई। जब लखनऊ से निदेशक की तरफ से पहले ही इस बाबत निर्देश जारी कर दिए गए हैं तब आदेश को अमल में क्यों नहीं लाया जा रहा। वहीं, संगठन के महामंत्री सत्य शंकर मिश्रा ने बताया कि ऐसे मामले मूल्यांकन में अनावश्यक व्यवधान पैदा करते हैं। शिक्षकों का मनोबल ठीक तरीके से रहेगा तो तय समय में बोर्ड परीक्षा की कॉपियों का मूल्यांकन काम भी पूरा हो सकेगा। 3 करोड़ कॉपियों का होना हैं मूल्यांकन यूपी बोर्ड परीक्षा के बाद अब उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन होना हैं। 19 मार्च से इसकी शुरुआत होगी। 2 अप्रैल तक इसे पूरा करने का लक्ष्य दिया गया हैं। 15 दिन के अंदर 3 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करना होगा। कुल 261 केंद्रों पर करीब डेढ़ लाख शिक्षकों द्वारा मूल्यांकन का काम किया जाना हैं। ऐसे में शिक्षकों का काम बेहद महत्वपूर्ण हैं, यही कारण हैं कि शिक्षकों के लिए विशेष सुविधा की मांग की गई हैं।

Mar 17, 2025 - 01:00
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यूपी बोर्ड के मूल्यांकन से पहले माध्यमिक शिक्षकों में आक्रोश:बोर्ड कॉपियों को पहुंचाने के लिए गाड़ी न मिलने पर भड़के शिक्षक, निदेशक को लिखा पत्र
यूपी बोर्ड परीक्षाओं की कॉपियों के मूल्यांकन से पहले एक बार फिर शिक्षकों में आक्रोश बढ़ रहा हैं। व

यूपी बोर्ड के मूल्यांकन से पहले माध्यमिक शिक्षकों में आक्रोश

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शिक्षकों का प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश बोर्ड के मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही माध्यमिक शिक्षकों में आक्रोश देखने को मिल रहा है। शिक्षकों ने अपने गुस्से का इजहार करते हुए निदेशक को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने समय पर कॉपियों को पहुंचाने के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी की शिकायत की है।

गाड़ी न मिलने पर शिक्षकों का नाराज़गी

शिक्षकों ने कहा कि उन्हें उचित मात्रा में गाड़ी नहीं मिली है, जिससे उन्हें बोर्ड की कॉपियों को सही समय पर पहुंचाने में समस्या हो रही है। इस स्थिति ने शिक्षकों को मजबूर कर दिया है कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाएँ। इस प्रकार का आक्रोश शिक्षा प्रणाली में समस्याओं को उजागर करता है, जिसे जल्द से जल्द हल करने की आवश्यकता है।

पत्र में उठाए गए मुद्दे

शिक्षकों द्वारा भेजे गए पत्र में कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं। इनमें शामिल हैं: कॉपियों के प्रभावी मूल्यांकन के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी, मूल्यांकन प्रक्रिया में सुधार के लिए मार्गदर्शन और शिक्षकों के लिए उचित सुविधाएं सुनिश्चित करना। शिक्षकों की मांग है कि यदि जल्द ही कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो यह स्थिति परीक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकती है।

समस्या का समाधान

शिक्षक समुदाय ने अधिकारियों से जल्द से जल्द समस्या का समाधान मांगते हुए कहा है कि अगर उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो वे और अधिक उग्र प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे। इस स्थिति में जिम्मेदारी सरकार की है कि वह शिक्षकों की आवश्यकताओं को समझे और उन्हें पूरा करने की दिशा में कदम उठाए।

निष्कर्ष

यूपी बोर्ड में मूल्यांकन प्रक्रिया से पहले शिक्षकों का यह आक्रोश शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर कर रहा है। यह जरूरी है कि सरकार इस बातचीत को गंभीरता से ले और शिक्षकों की समस्याओं का शीघ्र समाधान करे।

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