यूपी में बिजली महंगी करने की तैयारी:बिजली कंपनियों ने नियामक आयोग में दाखिल किया ARR, 15-20 % तक महंगी होने की संभावना

यूपी में 3.50 करोड़ रुपए उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का झटका लग सकता है। बिजली कंपनियों ने साल 2025-26 के लिए नियामक आयोग में वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) यानी, बिजली दरों का मसौदा दाखिल कर दिया है। इसमें खर्च और आय में करीब 13 हजार करोड़ रुपए का अंतर दिखाया गया है। कंपनियों ने आयोग में खुद इसकी भरपाई का प्रस्ताव दिया है। अगर आयोग में इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया तो करीब 5 साल बाद यूपी में बिजली महंगी हो सकती है। इसमें 15 से 20 फीसदी तक महंगी बिजली का प्रस्ताव तैयार हो सकता है। ऐसे में प्रति यूनिट बिजली एक रुपए तक महंगी हो सकती है। उपभोक्ता परिषद ने दर्ज कराया विरोध राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस ARR में तमाम खामियों की बात कही है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि मंगलवार को नियामक आयोग में इसके खिलाफ प्रस्ताव दाखिल किया जाएगा। बिजली कंपनियों को 30 नवंबर तक नियामक आयोग में ARR दाखिल करना होता है। 30 नवंबर को देर रात बिजली कंपनियों ने गुपचुप तरीके से साल 2023-24 का ट्रू अप और साल 2025-26 का ARR नियामक आयोग को सौंप दिया। 1 लाख 60 हजार मिलियन यूनिट बिजली की जरूरत बताया जा रहा है कि साल 2025-26 में 1 लाख 60 हजार मिलियन यूनिट बिजली की जरूरत होगी। इसमें बिजली खरीब पर 95 हजार करोड़ रुपए तक का खर्च आ सकता है। बिजली आपूर्ति की कुल लागत और बिलों के तौर पर मिलने वाले राजस्व में कंपनियों ने 12,800 से 13,000 करोड़ रुपए का अंतर बताया है। 33 हजार करोड़ रुपए कंपनियों के पास है अवधेश वर्मा ने बताया कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपए बकाया है। इस रकम के बदले में उन्हें बिजली दरों में कमी का प्रस्ताव देना चाहिए था। लेकिन बिजली कंपनियां चोर दरवाजे से बिजली दरों में इजाफा करवाना चाहती हैं। यही वजह है कि खुद अंतर का जिक्र करके सब कुछ नियामक आयोग पर छोड़ दिया है।

Dec 3, 2024 - 01:50
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यूपी में बिजली महंगी करने की तैयारी:बिजली कंपनियों ने नियामक आयोग में दाखिल किया ARR, 15-20 % तक महंगी होने की संभावना
यूपी में 3.50 करोड़ रुपए उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का झटका लग सकता है। बिजली कंपनियों ने साल 2025-26 के लिए नियामक आयोग में वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) यानी, बिजली दरों का मसौदा दाखिल कर दिया है। इसमें खर्च और आय में करीब 13 हजार करोड़ रुपए का अंतर दिखाया गया है। कंपनियों ने आयोग में खुद इसकी भरपाई का प्रस्ताव दिया है। अगर आयोग में इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया तो करीब 5 साल बाद यूपी में बिजली महंगी हो सकती है। इसमें 15 से 20 फीसदी तक महंगी बिजली का प्रस्ताव तैयार हो सकता है। ऐसे में प्रति यूनिट बिजली एक रुपए तक महंगी हो सकती है। उपभोक्ता परिषद ने दर्ज कराया विरोध राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस ARR में तमाम खामियों की बात कही है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि मंगलवार को नियामक आयोग में इसके खिलाफ प्रस्ताव दाखिल किया जाएगा। बिजली कंपनियों को 30 नवंबर तक नियामक आयोग में ARR दाखिल करना होता है। 30 नवंबर को देर रात बिजली कंपनियों ने गुपचुप तरीके से साल 2023-24 का ट्रू अप और साल 2025-26 का ARR नियामक आयोग को सौंप दिया। 1 लाख 60 हजार मिलियन यूनिट बिजली की जरूरत बताया जा रहा है कि साल 2025-26 में 1 लाख 60 हजार मिलियन यूनिट बिजली की जरूरत होगी। इसमें बिजली खरीब पर 95 हजार करोड़ रुपए तक का खर्च आ सकता है। बिजली आपूर्ति की कुल लागत और बिलों के तौर पर मिलने वाले राजस्व में कंपनियों ने 12,800 से 13,000 करोड़ रुपए का अंतर बताया है। 33 हजार करोड़ रुपए कंपनियों के पास है अवधेश वर्मा ने बताया कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपए बकाया है। इस रकम के बदले में उन्हें बिजली दरों में कमी का प्रस्ताव देना चाहिए था। लेकिन बिजली कंपनियां चोर दरवाजे से बिजली दरों में इजाफा करवाना चाहती हैं। यही वजह है कि खुद अंतर का जिक्र करके सब कुछ नियामक आयोग पर छोड़ दिया है।

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