रूस-यूक्रेन युद्ध: भारतीय युवक राहुल की दुखद कहानी जो रूसी सेना के लिए लड़ा
यूक्रेन : यूक्रेन-रूस युद्ध के मैदान में एक नई मोड़ आ गया है। यूक्रेनी सेना ने मंगलवार को दावा किया कि उन्होंने एक भारतीय युवक को गिरफ्तार किया है, जो रूसी सेना की तरफ से लड़ रहा था। 23 वर्षीय राहुल वर्मा (काल्पनिक नाम, गोपनीयता के लिए) की यह कहानी न केवल युद्ध की क्रूरता …

रूस-यूक्रेन युद्ध: भारतीय युवक राहुल की दुखद कहानी जो रूसी सेना के लिए लड़ा
यूक्रेन : यूक्रेन-रूस युद्ध की जटिलताओं में एक नया मोड़ आया है। हाल ही में यूक्रेनी सेना ने एक भारतीय युवक को गिरफ्तार किया है, जो रूसी सेना की ओर से संघर्ष कर रहा था। 23 वर्षीय राहुल वर्मा (काल्पनिक नाम, गोपनीयता के लिए) की यह कहानी न केवल युद्ध की क्रूरता को दर्शाती है, बल्कि उन भारतीय युवाओं की मजबूरियों को भी उजागर करती है जो गरीबी और बेरोजगारी के कारण विदेशी युद्धक्षेत्रों में अपनी जान को जोखिम में डाल देते हैं। Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - India Twoday
कम शब्दों में कहें तो, राहुल की कहानी उन युवाओं के लिए एक चेतावनी है जो सपनों का पीछा करते हुए अनजान रास्तों पर निकल पड़ते हैं। अधिक जानकारी के लिए, यहाँ क्लिक करें.
एक गरीब परिवार का सपना
राहुल का जन्म उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के हरदेवपुर गांव में हुआ था। उसके पिता, रामस्वरूप, एक किसान थे जो सूखे के कारण आर्थिक कठिनाईयों का सामना कर रहे थे। उनकी मां, सरला, घर का काम संभालती थीं और कभी-कभी पड़ोसी के घर झाड़ू-पोंछा कर कुछ पैसे जोड़ती थीं। उनके परिवार के पास राहुल के अलावा दो छोटी बहनें भी थीं, जिनकी शादी का बोझ उन पर था।
राहुल ने बचपन से पढ़ाई का सपना देखा था, लेकिन आर्थिक तंगी ने उसे मजबूर किया। उसने दिल्ली में फैक्ट्री में मजदूरी की और बाद में गुजरात के एक कारखाने में भी काम किया। लेकिन महामारी के बाद उसकी नौकरी चली गई। “जब मैं घर लौटा, मेरे पिता बीमार हो गए थे और हमें कर्ज चुकााने के लिए कुछ करना था,” राहुल ने यूक्रेनी अधिकारियों को बताया।
सोशल मीडिया का जाल
2024 के अंत में, राहुल को फेसबुक पर एक विज्ञापन मिला जो कह रहा था, ‘रूस में हाई सैलरी जॉब, केवल 12वीं पास। हर महीने 1 लाख रुपये कमाओ’। एजेंट ने उसे आश्वासन दिया कि इसे ‘सपोर्ट स्टाफ’ के रूप में काम मिलेगा, जिसमें कुकिंग, ड्राइविंग या लॉजिस्टिक्स शामिल होंगे। राहुल ने अपने परिवार से 2 लाख रुपये का लोन लिया और एजेंट को पैसे दिए। फरवरी 2025 में वह मॉस्को पहुँच गया, लेकिन वास्तविकता कुछ और निकली।
रूसी एजेंटों ने उसे धमकाया, “ट्रेनिंग लो, वरना पैसे वापस नहीं मिलेंगे।” दो हफ्ते की बेसिक ट्रेनिंग के बाद, राहुल को यूक्रेन सीमा पर भेजा गया। “मैंने सोचा था कि सपोर्ट में काम होगा, पर मुझे बंदूक थमा दी गई। जब भागने की कोशिश की, तो मुझसे मारपीट की गई,” उसने उल्लेख किया।
युद्ध के मैदान की क्रूरता
रूसी सेना में राहुल को ‘वagner ग्रुप’ जैसी निजी मिलिशिया में शामिल कर दिया गया। यह डोनेट्स्क क्षेत्र में तैनात था, जहाँ यूक्रेनी ड्रोन और आर्टिलरी हमलों का खतरा बना रहता था। “रातें बेहद डरावनी थीं। मेरे साथी सैनिक मारे जा रहे थे, लेकिन हमें आगे बढ़ने के लिए मजबूर किया जाता था। मैंने गोली कभी नहीं चलाई, परंतु हमेशा छिपता रहा,” राहुल ने कहा।
एक महीने पहले, एक यूक्रेनी ऑपरेशन में राहुल का समूह घेर लिया गया। भूखे-प्यासे और घायल अवस्था में, राहुल ने सरेंडर कर दिया। यूक्रेनी इंटेलिजेंस ने उसे पूछताछ के लिए थाने ले लिया।
यूक्रेन की जांच और परिणाम
यूक्रेनी मीडिया ‘कीव पोस्ट’ ने जानकारी दी कि सेना ने डोनबास क्षेत्र में एक ‘फॉरेन फाइटर’ को पकड़ा है। पूछताछ में राहुल ने अपने अनुभव साझा किए। यूक्रेनी अधिकारी अब्दुल्लोह नासिमोव ने कहा, "वह जबरन भर्ती किए गए लगते हैं। हम भारतीय दूतावास से संपर्क कर रहे हैं।" यूक्रेन ने ऐसे कई मामलों में विदेशी नागरिकों को रिहा किया है, अगर वे स्वेच्छा से लड़ने के लिए नहीं गए हों।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने मामले को गंभीरता से लिया है। प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, “हमारे नागरिकों की सुरक्षा प्राथमिकता है। दूतावास कीव में राहुल से संपर्क कर रहा है और हम एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।” पिछले वर्ष, भारत ने रूस को चेतावनी दी थी कि भारतीय नागरिकों को युद्ध में भर्ती न किया जाए, परंतु अवैध नेटवर्क अभी भी सक्रिय हैं।
परिवार का दर्द
हरदेवपुर के गांव में राहुल की मां सरला की आँखों में आँसू हैं। वह कहती हैं, “बेटा नौकरी के बहाने गया था, अब युद्ध में फंस गया है। कब लौटेगा?” गांव के लोग एजेंटों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। राहुल की बहनें स्कूल छोड़कर मजदूरी करने लगी हैं।
एक सबक या चेतावनी?
राहुल की कहानी उन हजारों भारतीय युवाओं की है जो विदेशी सपनों की तलाश में निकल पड़ते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध में 100 से अधिक भारतीय नागरिकों के शामिल होने की खबरें आ चुकी हैं, जो मुख्यतः आर्थिक परेशानियों के चलते ऐसा कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को रोजगार सृजन पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि युवा युद्ध में न फंसें। इस समय, राहुल कीव में एक सुरक्षित स्थान पर है और उम्मीद है कि वह जल्दी घर लौटेगा।
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