लखनऊ के गोमती तट पर संस्कृत संगम का आयोजन:डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने प्रतिभागियों का सम्मान किया
गोमती तट के रिवर फ्रंट पर संस्कृति विभाग के द्वारा दो दिवसीय आयोजन 'संगम:संस्कृतियों का महाकुंभ' किया गया। जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। उद्घाटन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया। आयोजन में तमिल समाज, केरला समाज, ओडिशा समाज, उत्तराखंड समाज, बंगाली समाज, कश्मीरी समाज आदि विभिन्न राज्यों के समाज के द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां प्रस्तुत की गई। इसी कड़ी में तमिल समाज की तरफ से भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी गई। सर्वप्रथम प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना सौम्या वर्मा की एकल प्रस्तुति हुई। वैष्णवी और प्रिया ने संयुक्त रूप से नृत्य प्रस्तुत किया। अंत में एक बार पुनः सौम्या वर्मा के द्वारा कार्यक्रम में पहुंची लखनऊ की नगर प्रमुख सुषमा खर्कवाल के समक्ष एकल प्रस्तुति दी गई। सौम्या की रोमांचकारी प्रस्तुति ने सभी दर्शकों का दिल जीत लिया। नगर महापौर सुषमा खर्कवाल ने सौम्या के नृत्य की भरपूर सराहना की। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भरतनाट्यम कलाकार सौम्या वर्मा, वैष्णवी, प्रिया व तमिल समाज के मुगरेशन को सम्मानित किया। सौम्या के गुरु ज्ञानेंद्र दत्त बाजपेई व ललिथा गणेश ने खुशी जताई।
लखनऊ के गोमती तट पर संस्कृत संगम का आयोजन
लखनऊ के ऐतिहासिक गोमती तट पर संस्कृत संगम का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम, केशव प्रसाद मौर्य ने किया। इस अवसर पर उन्होंने प्रतिभागियों को सम्मानित किया और संस्कृत भाषा एवं संस्कृति को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यक्रम की विशेषताएं
संस्कृत संगम के इस आयोजन में न केवल शिक्षाविदों बल्कि छात्रों और संस्कृत प्रेमियों ने भाग लिया। विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिसमें संस्कृत काव्य पाठ, नृत्य प्रस्तुतियाँ और शैक्षिक प्रस्थान शामिल थे।
डिप्टी सीएम का संदेश
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अपने भाषण में कहा कि संस्कृत हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है और इसे उजागर करना आवश्यक है। उन्होंने युवाओं से संस्कृत भाषा के प्रति रुचि रखने की अपील की और कहा कि यह ना केवल एक भाषा है बल्कि हमारी सभ्यता और संस्कृति का भी प्रतिनिधित्व करती है।
भविष्य के आयोजन
कार्यक्रम के सफल समापन के बाद, आयोजकों ने यह घोषणा की कि आने वाले समय में और भी संस्कृत-संबंधी गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। इसका उद्देश्य संस्कृत के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसे युवा पीढ़ी में लोकप्रिय बनाना है।
इस प्रकार, लखनऊ के गोमती तट पर आयोजित संस्कृत संगम ने न केवल सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा दिया, बल्कि सभी उपस्थित लोगों को अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने का अवसर भी प्रदान किया।
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