लखनऊ में LDA के बर्खास्त बाबू के खिलाफ FIR:84.50 लाख रुपए की जमीन के नाम पर की थी ठगी
लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाने ने एलडीए से बर्खास्त बाबू मुसाफिर सिंह के समेत चार लोगों के खिलाफ 84.50 लाख की धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज हुई है। जेसीपी एलओ ने गोरखपुर के बडगो निवासी सुनील सिंह की शिकायत पर थाना पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जमीन दिलाने के नाम पर लिए गए थे पैसे पीड़ित सुनील ने बताया कि परिचित सतीश कुमार ने उनकी मुलाकात मुसाफिर सिंह से फीनिक्स प्लासियो मॉल में कराई थी। एलडीए कर्मी मुसाफिर ने उनसे कहा कि उनकी सरोजनीनगर के अरदौना मऊ में जमीन है। जहां प्लाटिंग कर रहा है। उसकी बातों में आकर एक प्लाट का सौदा 84.50 लाख रुपए में तय कर लिया। जिसके बाद सुनील को पूरे पैसे दे दिए, लेकिन रजिस्ट्री नहीं हुई। फर्जी रजिस्ट्री दिखा लिए थे पैसे पीड़ित का कहना है कि जांच में पता चला कि मुसाफिर के पास जमीन है ही नहीं। उसने फर्जी जमीन की रजिस्ट्री दिखाई थी। पैसा वापस मांगने पर मुसाफिर ने पहले अपनी अमौसी स्थित जमीन, फिर अपनी पत्नी और बेटे सोमेंद्र की संपत्ति पीड़ित के नाम पर करने की बात कही। पैसा मांगने पर मुसाफिर, उसके बेटे सोमेंद्र और रिश्तेदार शिवाकांत व सतीश ने गाली-गलौज कर भगा दिया। इंस्पेक्टर अंजनी मिश्रा के मुताबिक एफआईआर दर्ज कर साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं।

लखनऊ में LDA के बर्खास्त बाबू के खिलाफ FIR:84.50 लाख रुपए की जमीन के नाम पर की थी ठगी
News by indiatwoday.com
लखनऊ में ठगी का मामला: संक्षिप्त जानकारी
लखनऊ में भूमि विकास प्राधिकरण (LDA) के एक बर्खास्त बाबू के खिलाफ एक बड़ी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। इस मामले में आरोपी पर 84.50 लाख रुपए की जमीन के नाम पर ठगी करने का आरोप लगाया गया है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए FIR दर्ज की है। यह मामला न केवल एक आम नागरिक की धनराशि की हानि से संबंधित है, बल्कि यह सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी और पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है।
ग्राहक की शिकायत और जांच प्रक्रिया
हाल ही में एक ग्राहक ने LDA के बर्खास्त बाबू पर आरोप लगाया कि उसने उसे एक जमीन का फर्जी दस्तावेज दिखाया, जिसके आधार पर उसने 84.50 लाख रुपए की मांग की। जब ग्राहक ने आगे की प्रक्रिया के लिए वित्तीय लेनदेन किया, तब उसे ठगी का एहसास हुआ। इस शिकायत के बाद, जांच टीम ने तुरंत मामले की जांच शुरू की और संबंधित दस्तावेजों की गहनता से समीक्षा की।
आरोपी की पहचान और संभावित कार्रवाई
आरोपी बाबू की पहचान हो चुकी है, और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है। अगर आरोप सिद्ध होते हैं, तो उसे सख्त सजा का सामना करना पड़ सकता है। इस प्रकार के अपराधों को रोकने के लिए, अधिकारियों ने सार्वजनिक जागरूकता अभियान शुरू करने की योजना बनाई है, ताकि लोग ऐसी ठगी के शिकार न हों।
चल रही जांच और भविष्य की कार्रवाई
पुलिस और LDA अधिकारियों की विशेष टीम इस मामले की गहन जांच कर रही है। ठगी के तकनीकी पहलुओं पर गहन अध्ययन किया जा रहा है, और अन्य संभावित आरोपी भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए, LDA ने ठगी के खिलाफ सख्त नियम और लाइसेंसिंग प्रक्रियाएँ लागू करने पर विचार किया है।
इस घटना से यह साबित होता है कि सरकारी विभागों में अनियमितताएँ कम होने की आवश्यकता है ताकि आम जनता को सुरक्षा मिल सके।
सारांश
इस ठगी के मामले ने लखनऊ में प्रशासन और नागरिकों के बीच विश्वास को हिला दिया है। प्रशासन को इस विषय में तुरंत कदम उठाने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों। इसके द्वारा सिद्ध होता है कि किसी भी संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है ताकि भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी से बचा जा सके।
समापन नोट
लोगों को ऐसे मामलों की जानकारी को साझा करना चाहिए और किसी भी संदिग्ध स्थिति की रिपोर्ट करने के लिए प्राथमिकता देनी चाहिए। इस प्रकार, समाज में सामुदायिक सहयोग से ठगी को प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है। Keywords: लखनऊ, LDA, बर्खास्त बाबू, FIR, ठगी का मामला, जमीन ठगी, 84.50 लाख रुपए, सरकारी धोखाधड़ी, प्रशासनिक अनियमितता, नागरिक सुरक्षा, भूमि विकास प्राधिकरण, धोखाधड़ी रोकथाम, जागरूकता अभियान, कानूनी कार्रवाई, स्थानीय पुलिस, जांच प्रक्रिया
What's Your Reaction?






