लखनऊ में डेंगू मरीजों की संख्या 1550 के पार:लखनऊ में 2 मौत के बाद 56 नए केस रिपोर्ट, मरीजों में बुखार से प्लेटलेट में गिरावट जारी
लखनऊ में डेंगू का अटैक बेकाबू हो चुका हैं। लगातार मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा हैं। इस सीजन राजधानी में अब तक 1562 मरीज सामने आ चुके हैं। लखनऊ में महज 12 दिन में 1100 से ज्यादा डेंगू संक्रमित मरीज सामने आए थे। इस बीच मंगलवार को डेंगू के 56 और मरीज मिले। यहां मिले सबसे ज्यादा मरीज 24 घंटे में सबसे ज्यादा 9 मामले चंदरनगर में सामने आए। वहीं, अलीगंज में 8 और इंदिरानगर व सिल्वर जुबली इलाके के 7-7 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई। एनके रोड इलाके में 5, ऐशबाग व सरोजनीनगर में 4-4, बीकेटी व चिनहट में 3-3, मोहनलालगंज, गोसाईंगंज और टूड़ियागंज में 2-2 मरीज पाए गए। 2 दिन में हुई थी 2 मौतें रविवार को रिटायर आबकारी अधिकारी की पत्नी की निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इस दिन में डेंगू के 15 नए मरीज सामने आए थे। इससे पहले शनिवार रात को गोमती नगर वास्तु खंड निवासी अशोक कुमार की मां कमलेश (84) की बलरामपुर अस्पताल में इलाज के दौरान डेंगू से मौत हो गई थी।हालांकि इन दोनों ही मौत पर लखनऊ CMO ऑफिस की तरफ से बिना डेथ ऑडिट हुए डेंगू से मौत की पुष्टि न करने की बात कही गई थी। तेज बुखार से प्लेटलेट में थी गिरावट जानकीपुरम विस्तार में रहने वाले दीपक शुक्ला आबकारी अधिकारी के पद से रिटायर हैं। उनकी पत्नी बबिता शुक्ला (55) को कई दिन बुखार आ रहा था। प्लेटलेट्स लगातार गिर रही थी। दीपक शुक्ला ने बताया, तबीयत बिगड़ने पर उन्होंने पत्नी बबिता को इंदिरा नगर के शेखर अस्पताल में दो दिन पहले भर्ती कराया था, जहां इलाज चल रहा था। रविवार को बबिता की मौत हो गई। लखनऊ में 20 दिन के अंदर 1062 नए संक्रमित सामने आ चुके हैं। नए मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने से हॉस्पिटल भी अलर्ट मोड पर हैं। होगा डेथ ऑडिट गोमती नगर वास्तु खंड निवासी 84 साल की महिला कमलेश की शनिवार देर रात इलाज के दौरान मौत हो गई। कमलेश बलरामपुर अस्पताल में भर्ती थीं। CMO डॉ. मनोज अग्रवाल का कहना है कि मौत का असल कारण जानने के लिए डेथ ऑडिट किया जाएगा। कमलेश राजकीय नर्सेज संघ के प्रदेश महामंत्री अशोक कुमार की मां थीं। वह बताते हैं, करीब एक सप्ताह पहले बुखार की शिकायत पर मां को बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया था। जांच में वह डेंगू पॉजिटिव पाई गईं। इलाज के बाद भी उनकी सेहत में सुधार नहीं हुआ। ICU में चल रहा था इलाज हॉस्पिटल में इंटरनल ब्लीडिंग के साथ उन्हें खून की उल्टी भी हुई। शनिवार रात उनकी हालत बिगड़ गई। चिकित्सकों ने उन्हें गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में भेजा, मगर उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। डॉक्टरों का कहना है कि कमलेश डेंगू शॉक सिंड्रोम की स्थिति में आ गई थीं। सरकारी आंकडे में डेंगू के इन मरीजों की मौत फैजुल्लागंज इलाके में 24 सितंबर को बुखार से पीड़ित महिला सामंती की मौत हो गई थी। सामंती कार्ड टेस्ट में डेंगू पॉजिटिव पाई गई थीं। इसी तरह 26 सितंबर को फैजुल्लागंज प्रथम के श्रीनगर के रहने वाले प्रदीप श्रीवास्तव के बेटे श्रेयांश 18 की मौत हो गई थी। श्रेयांश भी डेंगू पॉजिटिव पाए गए थे। डेंगू से 40 साल की उम्र के विशाल गुप्ता की भी 26 सितंबर पॉजिटिव रहे काकोरी के व्यवसायी को ही मौत हो गई थी। लखनऊ में ऐसे बढ़ा डेंगू का डंक मरीजों में पेट और बदन दर्द के लक्षण, तेजी से गिर रहा प्लेटलेट सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि फिलहाल सबसे ज्यादा डेंगू के मरीज ही गंभीर हालत में आ रहे हैं। कुछ मरीजों में प्लेटलेट तेजी से गिर रहा हैं। इसके चलते ब्लड भी चढ़ाने पड़ रहा हैं। हालांकि राहत की बात ये हैं कि अभी हालात बेकाबू नही हैं और धीरे धीरे मौसम में ठंड बढ़ने के साथ ही डेंगू मरीजों की संख्या में कमी भी आएगी। इनको रहना होगा ज्यादा अलर्ट डेंगू उन लोगों के लिए ज्यादा घातक साबित हो रहा हैं, जिनकी इम्युनिटी बेहद कमजोर हैं। ऐसे सभी लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत हैं। डेंगू को लेकर लापरवाही बरतना ठीक नही हैं। वायरल इंफेक्शन में टेस्टिंग, ट्रीटमेंट और मॉनिटरिंग सभी बेहद जरूरी हैं। उल्टी, दस्त और बदन दर्द के लक्षण के मरीज ज्यादा डॉ.राजेश ने बताया कि इस बार भी डेंगू के लक्षण हर बार के जैसे ही सामने आ रहे हैं। पर कुछ मरीजों में बदन दर्द और उल्टी जैसी शिकायत ज्यादा सामने आ रही हैं। इसके अलावा ब्लीडिंग की लक्षण को लेकर भी अलर्ट रहना होगा। जांच के दौरान मरीज प्लेटलेट के मैन्युअल काउंट पर जा सकते हैं। इलाज को लेकर सतर्क रहना जरूरी KGMU के डॉ. हिमांशु कहते हैं कि डेंगू होने पर इलाज बेहद सतर्कता के साथ करना जरूरी है। आमतौर पर फ्लूइड मैनेजमेंट को लेकर लोगों जानकारी की कमी रहती है। इस बार डेंगू के कुछ मरीजों में फ्लूइड की मात्रा ज्यादा होने की शिकायत भी मिल रही। इसके चलते मरीजों में पेट फूलने के अलावा लीवर और लंग्स पर भी असर पड़ रहा है। यही कारण हैं कि डेंगू ट्रीटमेंट में बिना एक्सपर्ट चिकित्सक के इलाज करना ठीक नही है। तेजी से गिर रहा है प्लेटलेट्स डॉ. हिमांशु कहते हैं कि डेंगू होने के शुरुआती 3 दिन तक हाई ग्रेड फीवर यानी तेज बुखार के लक्षण रहते हैं। इसके बाद बुखार कम होने पर प्लेटलेट की संख्या में तेजी से गिरावट देखी जा रही है। इस दौरान बेहद सतर्कता की जरूरत है। डॉक्टर की निगरानी में ब्लड की जांच कराना जरूरी है। यदि प्लेटलेट की संख्या 40 हजार से कम हो जाती है। इसके बाद हर 12 घंटे पर जांच कराई जा सकती है। हालांकि बेहद सहज तरीके से बिना पैनिक होकर इलाज कराने से मरीज को फायदा मिलेगा।
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