लखनऊ हाईकोर्ट में रोजगार सेवक समायोजन की सुनवाई:हाई कोर्ट ने कहा- ग्राम पंचायत को चुनौती देने का अधिकार नहीं, नियुक्ति रद् करने की थी मांग
लखनऊ हाईकोर्ट ने एक याचिका पर आदेश पारित करते हुए कहा कि रोजगार सेवक का किया गया समायोजन को ग्राम पंचायत को कोई अधिकार नहीं है उसको चुनौती देने का। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट कर दिया है की किए गए रोजगार सेवक के समायोजन से भले ही उससे सम्बंधित ग्राम पंचायत नियुक्ति प्राधिकारी न हो फिर भी वह , उस ग्राम पंचायत को रोजगार सेवक के विरुद्ध कार्यवाही के लिए सूचना दे सकता है जहां उसकी मूलतः नियुक्ति हुई थी। नियुक्ति रद् करने की थी मांग यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने अम्बेडकर नगर जनपद के प्रतापपुर चमुरखा ग्राम पंचायत की याचिका पर सुनवाई के पश्चात पारित किया। याची ग्राम पंचायत ने न्यायालय में याचिका के द्वारा जिलाधिकारी के आदेश को चुनौती दिया था। याचिका के द्वारा उसने जिलाधिकारी द्वारा किए गए अपने यहां एक रोजगार सेवक की नियुक्ति को रद् किए जाने की मांग की थी। ग्राम पंचायत की ओर से न्यायालय को बताया गया कि प्रावधानों के अनुसार रोजगार सेवक नियुक्ति के लिए यह जरूरी है की वह जिस ग्राम पंचायत का वह निवासी हो उसकी नियुक्ति वही किया जाए। याची ने न्यायालय को बताया कि यदि अपने ग्राम पंचायत से ग्राम सेवक की नियुक्ति दूसरे ग्राम पंचायत में किया गया तो याची उसका प्राधिकारी नहीं रह जाएगा। ऐसे में ग्राम सेवक द्वारा कोई भी नियम विरुद्ध कार्य करने पर वह उस पर कार्यवाही नहीं कर पाएगा। ग्राम पंचायत कर सकती है कार्यवाही सुनवाई के बाद न्यायालय ने कहा कि मामले से संबंधित रोजगार सेवक की नियुक्ति नहीं किया गया है, बल्कि एक ग्राम पंचायत से दूसरे ग्राम पंचायत में लाकर उसका समायोजन किया गया है। न्यायालय ने आगे कहा कि जहां तक कार्यवाही की बात है तो याची सम्बंधित रोजगार सेवक के मूल नियुक्ति वाले ग्राम पंचायत को उसके खिलाफ कार्यवाही के लिए कह सकती है।
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