शिमला पुलिस से धक्का-मुक्की के दौरान दृष्टिहीन नाले में गिरा:सचिवालय के बाहर कर रहे थे चक्का जाम, नौकरियों की मांग

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में वीरवार को दृष्टिबाधित संघ के सदस्यों ने सचिवालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। पुलिस और दृष्टिबाधित के बीच धक्का-मुक्की के दौरान एक दृष्टिहीन नाले में गिर गया, जिसे पुलिस ने बचा लिया है। प्रदर्शनकारी दृष्टिबाधित लंबे समय से बैकलॉग भर्तियों की मांग कर रहे थे। दृष्टिबाधित संघ के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बताया कि वे पिछले कई दिनों से धरने पर बैठे हैं। लेकिन सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है। उनका कहना है कि साल 1995 के बाद से कोई भर्ती नहीं हुई है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि विभिन्न विभागों में लंबित बैकलॉग कोटा भर्तियां नहीं भरी जा रही हैं, जिसके कारण दृष्टिबाधितों में खासा आक्रोश है। उन्होंने कहा कि सरकार के साथ कई दौर की बातचीत हुई, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिले। प्रदर्शन के दौरान एक व्यक्ति गिर गया। वहीं पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटाने की कोशिश की, जिससे दोनों पक्षों में हल्की धक्का-मुक्की हुई। प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री धनीराम शांडिल के खिलाफ नारेबाजी की। दृष्टिबाधित संघ ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। प्रदर्शन के कारण सचिवालय के बाहर लंबा जाम लग गया। जिसको खोलने में पुलिस को कड़ी मशक्त करनी पड़ी ।

Mar 27, 2025 - 20:00
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शिमला पुलिस से धक्का-मुक्की के दौरान दृष्टिहीन नाले में गिरा:सचिवालय के बाहर कर रहे थे चक्का जाम, नौकरियों की मांग
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में वीरवार को दृष्टिबाधित संघ के सदस्यों ने सचिवालय के बाहर जोरद

शिमला पुलिस से धक्का-मुक्की के दौरान दृष्टिहीन नाले में गिरा: सचिवालय के बाहर कर रहे थे चक्का जाम, नौकरियों की मांग

शिमला में हाल ही में एक शर्मनाक घटना घटी जब दृष्टिहीन व्यक्ति ने पुलिस से धक्का-मुक्की के दौरान नाले में गिर गया। यह विवाद तब प्रारंभ हुआ जब दृष्टिहीन युवकों ने सचिवालय के बाहर चक्का जाम किया और नौकरियों की मांग की। यह विरोध प्रदर्शन न्यायालय के समक्ष उनकी आवाज उठाने का एक तरीका था, जहां उन्होंने अपनी स्थिति और नौकरियों की कमी पर निराशा व्यक्त की।

घटना का विवरण

घटना के वक्त, दृष्टिहीन युवाओं का एक समूह सचिवालय के बाहर एकत्रित हुआ था। उनके अनुसार, सरकार ने उनकी नौकरी के अवसरों को नजरअंदाज किया है, और इसलिए उन्होंने प्रदर्शन का निर्णय लिया। जब पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश की, तब कुछ शारीरिक संघर्ष हुआ, जिससे एक दृष्टिहीन व्यक्ति नाले में गिर गया। इस घटना ने न केवल उसके परिवार बल्कि समस्त समुदाय को झकझोर दिया।

प्रदर्शन का महत्व

यह घटना उन मुद्दों को उजागर करती है जिनका सामना दृष्टिहीन और विकलांग व्यक्तियों को जीवन में करना पड़ता है। उन्होंने सरकार से मांग की कि उनके लिए नौकरी के अवसर प्रदान किए जाएं और उचित सहायता संबंधित नीतियों को लागू किया जाए। दृष्टिहीन व्यक्तियों का प्रदर्शन यह दर्शाता है कि उन्हें न्याय और समानता चाहिए, और वे इसके लिए अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं।

सरकारी प्रतिक्रिया

स्थानीय सरकार ने इस घटना के बाद एक समिति गठित की है जो दृष्टिहीन वृद्धों की समस्याओं का समाधान करने के लिए काम करेगी। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि वे मामले को संज्ञान में लेंगे और जल्द से जल्द उचित उपाय करेंगे। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि विकलांग व्यक्तियों की आवाज को अनसुना नहीं किया जा सकता।

समाज में सभी वर्गों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना आवश्यक है, और ऐसी घटनाएं उन्हें अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित करती हैं।

निष्कर्ष

शिमला में हुई यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमें आर्थिक और सामाजिक न्याय की दिशा में क्या कदम उठाने की आवश्यकता है। सभी नागरिकों को समान अवसर प्राप्त करने का हक है, और इसे सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है। इस मुद्दे को उठाने के लिए दृष्टिहीन वर्ग के प्रदर्शन से हमें जागरूकता बढ़ाने का अवसर मिलता है।

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