सरकार अगले 6 महीने में ₹8 लाख करोड़ कर्ज लेगी:ये कुल सालाना कर्ज का 54%; सरकारी आय और खर्च का अंतर कम होगा
केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में बाजार से 8 लाख करोड़ का कर्ज लेगी। ये पूरे साल के लोन टारगेट (14.82 लाख करोड़ रुपए) का 54% है। सरकार ने ये कर्ज लेने का फैसला FY26 में GDP के 4.4% फिस्कल डेफिसिट (वित्तीय घाटे) के टारगेट को पूरा करने के लिए लिया है। इससे सरकार को खर्च और आय का अंतर को कम करने में मदद मिलेगी। ₹10,000 करोड़ के ग्रीन बॉन्ड जारी करेगी सरकार बाजार से पैसे जुटाने के लिए सरकार ₹10,000 करोड़ के ग्रीन बॉन्ड जारी करेगी। इसके साथ ही FY26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में हर हफ्ते 19,000 करोड़ के ट्रेजरी बिल जारी किए जाएंगे। इन बॉन्ड्स के जरिए बाजार से पैसे जुटाएगी सरकार वित्त वर्ष 2026 में राजकोषीय घाटा 4.4% रहने का अनुमान 25 मार्च को लोकसभा से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने फाइनेंस बिल पेश किया था। लोकसभा में उन्होंने कहा वित्त वर्ष 2026 में राजकोषीय घाटा 4.4% रहने का लक्ष्य रखा गया है। फाइनेंस बिल से जुड़ी 4 बड़ी बातें... ये खबर भी पढ़ें लोकसभा से फाइनेंस बिल पास: डिजिटल टैक्स खत्म करने सहित 35 संशोधन, 7 पॉइंट में जानें बजट लागू होने की प्रोसेस लोकसभा से फाइनेंस बिल 25 मार्च को 35 संशोधनों के साथ पास हो गया। इसमें ऑनलाइन एडवर्टाइजमेंट पर 6% डिजिटल टैक्स को खत्म करने जैसे संशोधन शामिल हैं।अब ये बिल राज्य सभा में जाएगा।संसद के दोनों सदनों से फाइनेंस बिल के पारित होने के बाद, इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। पूरी खबर पढ़ें...

सरकार अगले 6 महीने में ₹8 लाख करोड़ कर्ज लेगी: ये कुल सालाना कर्ज का 54%; सरकारी आय और खर्च का अंतर कम होगा
भारत सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि वह अगले 6 महीनों में ₹8 लाख करोड़ का कर्ज लेने की योजना बना रही है। यह कर्ज कुल सालाना कर्ज का 54% है। इस कदम का उद्देश्य सरकारी आय और खर्च के बीच के अंतर को कम करना है। इस समाचार से न केवल आर्थिक विशेषज्ञों में चर्चा का माहौल बना है, बल्कि आम जनता के बीच भी बहुत सी प्रतिक्रियाएं आई हैं।
सरकारी कर्ज के उद्देश्य
सरकार द्वारा कर्ज लेने का मुख्य उद्देश्य विकासशील योजनाओं को वित्त पोषित करना, अधोसंरचना परियोजनाओं में निवेश बढ़ाना और आर्थिक स्थिरता को बनाए रखना है। इससे विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। इससे यह भी संकेत मिलता है कि सरकार आर्थिक मंदी से उबरने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है।
आय और खर्च का अंतर
सरकारी आय और खर्च का अंतर कम करने का यह कदम बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। यदि आय बढ़ती है, तो यह सभी क्षेत्रों के लिए लाभकारी होता है। कर्ज लेने से सरकारी योजनाओं में तेजी आएगी और सामाजिक कल्याण योजनाओं का भी लाभ होगा। हालांकि, कर्ज के बढ़ने से दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता पर भी विचार करना आवश्यक है।
आर्थिक विशेषज्ञों की राय
कई आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि कर्ज लेने का यह निर्णय आवश्यक था, लेकिन इसे संभालने के लिए सख्त वित्तीय अनुशासन की जरूरत है। उनका मानना है कि सरकार को खर्चों में कटौती करनी चाहिए और कर्ज की राशि को महत्वाकांक्षी योजनाओं में सही तरीके से लगाना चाहिए।
पुनर्विचार की आवश्यकता
सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि कर्ज का उपयोग सही दिशा में हो। इसके लिए एक भावी योजना तैयार करना भी आवश्यक है, जिसके तहत दीर्घकालिक विकास के लिए संसाधनों का कुशल प्रबंधन किया जा सके।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि सरकार का यह कदम विकास के लिए सकारात्मक है, परंतु इसके साथ ही होने वाले आर्थिक परिणामों पर ध्यान देना भी आवश्यक है।
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