सर्द रातों में गोरखनाथ पुल पर रात गुजार रहे गरीब:कोई घर से लड़ाई कर पत्नी संग सोता मिला तो किसी को रैन बसेरा में घुसने नहीं दिया
'अपना खुदा है रखवाला' कुछ इसी अंदाज में शहर के सैकड़ों गरीब मजदूर अपनी हर रात मौत के साए में गुजारते हैं। गर्मी हो, बरसात या फिर सर्दी, इनके सिर पर छत मयस्सर नहीं होती। यहां मजदूरों की 'मौत की सेज' हर रात गोरखपुर के फुटपाथों पर सजती है। भारत से नेपाल को जोड़ने वाली गोरखनाथ ओवरब्रिज समेत शहर के तमाम फूटपाथों पर ये गरीब कभी भी हिट एंड रन का शिकार हो सकते हैं। लेकिन न तो प्रशासन को इसकी परवाह है और न ही यहां के जनप्रतिनिधियों को इसकी सुधि। हालांकि, ऐसा नहीं है कि शहर में इन गरीबों को रहने के लिए व्यवस्थाएं नहीं हैं। महानगर में 14 रैन बसेरा है। लेकिन, इसके दावे हकीकत से बिलकुल अलग हैं। भास्कर टीम इस 17°C टेंप्रेचर के ठंड शहर में शहर के फुटपाथों पर सोने वाले गरीबों का हाल जानने निकली। आइए जानते हैं, जान की बाजी लगाकर फुटपाथ पर क्यों सोते हैं गरीब... हर पल हादसे का खतरा गुरुवार रात भास्कर रिपोर्टर ने गोरखनाथ पुल पर सोने वालों से बातचीत की। नेपाल रोड होने की वजह से रात के वक्त पुल पर बड़ी गाड़ियां ही गुजरती हैं। पुल की बनावट कुछ ऐसी है कि हादसे की आशंका बनी ही रहती है। कभी भी अगर किसी गाड़ी का नियंत्रण छूटा तो एक साथ कई जिंदगियां दांव पर लग जाएंगी। यहीं बिता दी जिंदगी भास्कर रिपोर्टर के साथ बातचीत में यहां सोने वालों ने बताया कि ये सिलसिला बीते कई दशकों से जारी है। तमाम लोगों ने तो इस पुल पर ही अपनी पूरी जिंदगी ही गुजार दी। यहां सो रहे गरीब मजदूरों ने बताया कि इस बीच कई बार रात में सोने के दौरान गाड़ियों के चपेट में आने से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। लेकिन कोई और ठिकाना न होने के चलते यहां रात बिताना इनकी मजबूरी है। काम नहीं मिला तो पुल पर सो गया भूखा मजदूर यहां सो रहे मजदूर सुनील ने बताया कि महराजगंज से काम की तलाश में गोरखपुर आया था। दो दिनों से उसे कोई काम नहीं मिला। इस बीच उसका झोला भी चोरी हो गया। अब उसके पास खाने तक के पैसे नहीं हैं। ऐसे में वह यहां सो रहे अन्य लोगों को देख खुद भी इस ठंड में पुल पर सो गया। वह कहता है कि अगर गाड़ी चढ़ जाए तो अच्छा ही होगा। कम से कम इस गरीबी से तो छूटकारा मिल जाएगा। घर में विवाद हुआ तो पत्नी संग पुल पर सो गया इतना ही नहीं, इसी पुल पर अपनी पत्नी के साथ रह रहे बबलू साहनी ने बताया कि वह दाउदपुर का रहने वाला है। परिवार में किसी बात को लेकर विवाद हो गया तो वह पत्नी संग घर से निकल गया। कहीं रहने का ठिकाना नहीं मिला तो पत्नी की साड़ी से घेरकर पुल पर ही घर जैसा बना लिया और खुद इस ठंड में पुल पर पत्नी के साथ सो गया। काम की तलाश में आते हैं शहर पुल पर सो रहे मजदूर अब्दुल हमीद ने बताया कि ये वो लोग हैं जो बिहार और आसपास के जिलों से काम की तलाश में गोरखपुर आते हैं। जब रहने का ठिकाना ढूंढते हैं तो पता चलता है कि कमाई का एक बड़ा हिस्सा किराए में ही निकल जाएगा। ऐसे में यह पुल ही उनके लिए एकमात्र आसरा होता है। अब्दुल हमीद के मुताबिक गर्मी के दिनों में पुल पर सोते है। काफी अधिक ठंड और बारिश होने पर वे पुल के नीचे चले जाते हैं। मजदूरों को रैन बसेरा में नहीं जाने देते बबलू ने बताया कि वह पहले रैन बसेरा में भी गया था लेकिन उसे वहां यह कहकर वापस भेज दिया गया कि रैन बसेरा में सभी बेड फुल हो चुके हैं। अब वहां रहने के लिए जगह नहीं है। इसके बाद हम धर्मशाला पुल के नीचे पहुंचे। यहां नगर निगम के बस स्टैंड पर करीब दर्जन भर लोग सो रहे थे। यहां सोने वाले अयोध्या के रहने वाले राजाराम बताया कि वह मजदूरी करता है। रैन बसेरा में जाने पर कहा जाता है कि कहीं बेड कम है तो कहीं गरीबों को अंदर घुसने तक नहीं दिया जाता। आखिर किस काम हैं रैन बसेरे ऐसा नहीं है कि इस शहर में गरीबों के रात गुजाने के लिए रैन बसेरे नहीं हैं। यहां कुल 14 रैन बसेरे शहर में ठीक इसी ओवरब्रिज के नीचे गोरखनाथ सहित बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, कचहरी बस स्टेशन, धर्मशाला बाजार, गोलघर काली मंदिर, मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, हांसूपुर और बरगदवां में हैं। लेकिन मजदूरों का कहना है कि उन्हें या तो वहां जगह नहीं मिलती या फिर अधिकांश को इसकी जानकारी ही नहीं है। ऐसे में उन तमाम गरीबों को मजबूरन हर रात मौत से आंख-मिचौली करते हुए गुजारनी पड़ती है।
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