सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण कार्यालय पर कांग्रेस का धावा, चुनाव रद्द करने की मांग
देहरादून। लिब्बररेहड़ी सहकारी गन्ना विकास समिति लिमिटेड, मंगलौर के हालिया चुनाव में धांधली के आरोपों को लेकर कांग्रेस ने सोमवार को शास्त्रीनगर स्थित सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण के अध्यक्ष तारा दत्त पांडे के कार्यालय पर जमकर हंगामा किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व मुख्यमंत्री हरिश रावत, एआईसीसी सचिव एवं मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन, प्रदेश कांग्रेस के …

सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण कार्यालय पर कांग्रेस का धावा, चुनाव रद्द करने की मांग
कम शब्दों में कहें तो, देहरादून में लिब्बररेहड़ी सहकारी गन्ना विकास समिति लिमिटेड के चुनाव में धांधली के आरोपों को लेकर कांग्रेस ने ताजा हंगामा खड़ा किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के सदस्यों के साथ मिलकर शास्त्रीनगर में सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण के अध्यक्ष तारा दत्त पांडे के कार्यालय पर प्रदर्शन किया और चुनाव रद्द करने की मांग की। Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - India Twoday
प्रदर्शन का कारण
लिब्बररेहड़ी सहकारी गन्ना विकास समिति लिमिटेड के चुनाव के दौरान धांधली के गंभीर आरोप लगाते हुए, कांग्रेस ने यह दावा किया है कि भाजपा ने चुनाव में अन्यायपूर्ण साधनों का सहारा लिया। पूर्व मुख्यमंत्री हरिश रावत, एआईसीसी सचिव काजी निजामुद्दीन और प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने इस मामले में आरोप लगाए हैं कि गलत तरीके से मतदान करवाई गई, जिसमें अपात्र लोगों ने भी मत डालने का प्रयास किया।
क्या हैं आरोप?
कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि चुनाव में उच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि वैध मतों के खिलाफ पेंसिल से निशान लगाकर कुल मतों को अवैध घोषित कर दिया गया, जिससे भाजपा के प्रत्याशियों को अनुचित लाभ मिला। इस तरह की गतिविधियों ने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
नेताओं की चेतावनी
हरिश रावत ने कहा, "यदि सरकार ने प्रतिकूल चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की कोशिश की तो सहकारिता जैसे जनांदोलन को खतरा होगा।" वहीं काजी निजामुद्दीन ने चेतावनी दी कि सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग हुआ, तो प्रस्तावित बुनियादी ढांचे का विश्वास जनता हानि में जा सकता है।
भाजपा पर प्रतिबंध का आरोप
सूर्यकांत धस्माना ने स्पष्ट किया कि भाजपा का लोकतंत्र और पारदर्शिता से कोई सरोकार नहीं है। उनकी राय में, राजनीतिक लाभ के लिए सभी स्तरों पर चुनावों में हस्तक्षेप करने की कोशिशें लोकतंत्र के लिए अत्यधिक खतरनाक हैं। इस प्रकार कांग्रेस पार्टी आगामी चुनावों में एक सशक्त विरोध करने के लिए तैयार हो गई है।
प्राधिकरण का रुख
सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण के अध्यक्ष तारा दत्त पांडे ने कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल को स्पष्ट किया कि चुनाव अब संपन्न हो चुके हैं और किसी भी प्रकार की कार्यवाही केवल सहकारिता न्यायाधिकरण के माध्यम से संभव है। उन्होंने यह भी कहा कि प्राधिकरण केवल चुनाव के पूर्व कार्रवाई कर सकता है, जो कि उनकी भूमिका को सीमित करता है।
अगला कदम
कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि यदि आगामी सहकारिता चुनावों में धांधलियाँ जारी रहीं और प्राधिकरण ने उचित कार्रवाई नहीं की, तो कांग्रेस आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिए बाध्य होगी। उन्होंने इस बात का संकेत दिया कि वे चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए संघर्ष करना जारी रखेंगे।
प्रतिनिधिमंडल में अनेक किसान नेता जैसे वीरेंद्र रावत, चौधरी योगेन्द्र सिंह राठी, चौधरी वीरेंद्र सिंह, सचिन चौधरी और अन्य शामिल थे।
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यह हंगामा निश्चित रूप से राजनीतिक प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकताओं को उजागर करता है। आने वाले समय में देखना होगा कि क्या कांग्रेस अपने वादों पर खरा उतरने में सफल होती है या फिर यह मामला एक और चुनावी विवाद में बदलता है।
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