साउथ अफ्रीका की खदान में 100 मजदूरों की मौत:2 महीने से फंसे थे 400 मजदूर, भूख और प्यास से गई जान
साउथ अफ्रीका में बंद पड़ी एक सोने की खदान में करीब 400 से ज्यादा मजदूर फंसे हुए हैं। अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 100 से ज्यादा मजदूरों की मौत हो गई है। मौके पर राहत बचाव के लिए स्पेशल माइनिंग रेस्क्यू टीम को भेजा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक भूख और प्यास की वजह से मजदूरों को अपनी जान गवांनी पड़ी है। ये मजदूर पिछले कई महीनों से खदान में फंसे हुए थे। राजधानी जोहान्सबर्ग से 90 किमी दूर स्टिलफोंटेन के पास इस खदान से सोमवार को रेस्क्यू टीम ने कई लोगों को बाहर निकाल लिया है। 9 शव भी बरामद हुए हैं। खदान में काम करने वालों मजदूरों से जुड़ी सामाजिक संस्था माइनिंग अफेक्टेड कम्युनिटीज यूनाइटेड इन एक्शन (MACUA) के मुताबिक पिछले साल पुलिस ने अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। इसके बाद से ये मजदूर खदान में फंसे हुए थे। पुलिस ने खदान की रस्सियों को हटाया था पुलिस ने पिछले साल नवंबर में इस खदान को सील करने की कोशिश की थी। इसके लिए मजदूरों से बाहर निकलने के लिए कहा था। हालांकि गिरफ्तारी के डर के मजदूरों ने खदान से बाहर निकलने से मना कर दिया था। MACUA के मुताबिक मजदूरों के मना करने के बाद पुलिस ने खदान में अंदर जाने और बाहर निकलने के लिए इस्तेमाल होने वाली रस्सी और पुली को हटा दिया था। इसके बाद मजदूर खदान में फंस गए थे। साउथ अफ्रीकी अखबार संडे टाइम्स के मुताबिक रेस्क्यू टीम ने एक पिंजरा तैयार किया है जिसे खदान में 3 किमी नीचे उतारा जा रहा है। इस पिंजरे के मदद से बचे हुए लोगों को पहले बाहर निकाला जा रहा है। 4 चरणों में की जाती है गोल्ड की माइनिंग... पहली स्टेज- सोने की खदान को खोजना वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक किसी जगह सोने का भंडार मिलने के बाद भी उसकी माइनिंग में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए टाइम, फाइनेंशियल रिसोर्स और कई एक्सपर्ट्स की जरूरत होती है। गोल्ड रिजर्व के शुरुआती साक्ष्य मिलने के बाद आगे माइनिंग करने की संभावना 1% से भी कम होती। यही वजह के दुनिया में मौजूद गोल्ड खदानों में से सिर्फ 10% में ही माइनिंग के लिए पर्याप्त सोना है। एक बार जब यह तय हो जाता है कि सोना निकालने के लिए माइनिंग की जा सकती है तो इसके लिए डिटेल में मॉडल तैयार किया जाता है। इस पूरी प्रोसेस में 1 से लेकर 10 साल तक का वक्त लग सकता है। दूसरी स्टेज- सोने की खदान को डेवलप करना एक बार जब यह तय हो जाता है किसी खदान में गोल्ड की माइनिंग की जा सकती है, तो आगे की खुदाई के लिए खदान को डेवलप किया जाता है। माइनिंग कंपनियां खुदाई की प्रोसेस शुरू करने से पहले परमिट और लाइसेंस के लिए अप्लाई करती हैं। आम तौर पर इस पूरी प्रोसेस में कई साल लग सकते हैं। कागजी कार्यवाही पूरी होने के बाद माइनिंग कंपनियां काम करने वाले वर्कर्स के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करती हैं। इस पूरी प्रोसेस में 1 से 5 साल तक का वक्त लग सकता है। तीसरी स्टेज- गोल्ड माइनिंग गोल्ड माइनिंग में तीसरी स्टेज सबसे महत्वपूर्ण होती है। आमतौर पर गोल्ड अयस्क के साथ मिलता है। इस स्टेज में अयस्क से सोना अलग किया जाता है। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड की कीमत, माइनिंग की कॉस्ट और सोने की शुद्धता जैसे कई फेक्टर असर डालते हैं। टेक्नोलॉजी के डेवलपमेंट की वजह से माइनिंग की प्रोसेस आसान हुई है। खदानों को अब टेक्नोलॉजी को ध्यान में रखकर ही डेवलप किया जा रहा है। इस सारी प्रोसेस में 10 से 30 साल का वक्त लग सकता है। चौथी स्टेज- खदान को बंद करना माइनिंग की प्रोसेस खत्म होने के बाद कंपनियों को खदान को बंद करने में 1 से लेकर 5 साल तक का वक्त लग सकता है। यह काफी मुश्किल प्रोसेस होती है। इस दौरान कंपनियां खदान को बंद करके इलाके की साफ सफाई करती हैं और पौधे लगाती हैं। खनन कंपनी को खदान बंद होने के बाद भी लंबे समय तक खदान की निगरानी करनी होती है।

साउथ अफ्रीका की खदान में 100 मजदूरों की मौत
हाल ही में, दक्षिण अफ्रीका की एक खदान में हुई त्रासदी ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। 100 से अधिक मजदूरों की जान चली गई है, जबकि 400 मजदूर पिछले दो महीनों से फंसे हुए थे। यह अत्यंत गंभीर स्थिति भूख और प्यास के कारण उत्पन्न हुई, जिसने मजदूरों के जीवन को संकट में डाल दिया।
घटनाक्रम की पृष्ठभूमि
दक्षिण अफ्रीका में के खनन क्षेत्र में यह एक दुखद घटना है, जिसमें मजदूरों की सुरक्षा और उनकी कार्य स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। यह घटना उस समय घटी, जब खदान की प्रतियोगिताओं और खतरनाक कार्य स्थितियों के कारण मजदूरों को बाहर निकलने का अवसर नहीं मिला।
भूख और प्यास के कारण हुई मौते
फंसे हुए मजदूरों के पास सीमित संसाधन थे, जिससे उन्हें भूख और प्यास का सामना करना पड़ा। इस दुखद स्थिति ने न केवल उनके जीवन को संकट में डाला बल्कि उनके परिवारों पर भी प्रभाव डाला। जागरूकता की इस कमी के कारण, खनन कंपनियों की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठ रहे हैं।
सरकार और खनन कंपनियों की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद, दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने खनन कंपनियों से तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है। जमीनी स्थितियों में सुधार लाने और मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए जाने की उम्मीद है।
उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस त्रासदी से सीख लेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगी।
इस घटना ने न केवल मजदूर समुदाय को बल्कि पूरे देश को प्रभावित किया है। इस विषय पर और अधिक जानकारी हेतु, कृपया News by indiatwoday.com पर जाएं। Keywords: दक्षिण अफ्रीका खदान दुर्घटना, मजदूरों की मौत, भूख और प्यास से मौत, खनन क्षेत्र में संकट, मजदूरों का फंसना, सुरक्षा नियम, सरकार की प्रतिक्रिया, खनन कंपनियों की जिम्मेदारी, मजदूर समुदाय की स्थिति, त्रासदी की जानकारी.
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