हाईप्रोफाइल लोगों को कैसे डिजिटल अरेस्ट कर रहे लुटेरे:अनजान लिंक पर क्लिक करना खतरनाक; जानें फर्जी पुलिसवालों को कैसे पहचानें, पार्ट-2

अनजान नंबरों से वीडियो कॉल। रिसीव करते ही सामने दिखता है पुलिस की वर्दी में एक शख्स। पीछे दीवार पर महापुरुषों की तस्वीरें। ये देखते ही कॉल रिसीव करने वाला हड़बड़ा जाता है- मैंने ऐसी क्या गलती कर दी कि पुलिस ने कॉल किया है। इसी का फायदा उठाते हैं डिजिटल अरेस्ट करने वाले लुटेरे। ये लुटेरे पुलिस ऑफिसर बनकर डराते हैं, कई-कई घंटे घर में कैद रहने को मजबूर करते हैं। देशद्रोही, आतंकी, रेपिस्ट बताकर लाखों-करोड़ों रुपए लूट लेते हैं। दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज 'ऑपरेशन डिजिटल अरेस्ट' के पार्ट-1 में रिपोर्टर ने 6 घंटे के लिए खुद को डिजिटल अरेस्ट कराकर इन्हें बेनकाब किया। आज पार्ट-2 में एक्सपट्‌र्स के जरिए जानिए- कैसे इन ऑनलाइन लुटेरों को पहचान सकते हैं... क्या होता है डिजिटल अरेस्ट ? यदि पुलिस मामले की जांच करती है तो उसकी क्या प्रोसेस है पुलिस अधिकारियों के अनुसार पुलिस जांच और पूछताछ की एक प्रोसेस होती है। पुलिस के सामने कोई भी मामला आने पर पहले FIR दर्ज की जाती है। इसकी एक कॉपी परिवादी और एक कॉपी आरोपी को दी जाती है। इसमें बताया जाता है कि आपके खिलाफ ये मामला है। पूछताछ के लिए भी पहले आरोपी को नोटिस भेजा जाता है और उसे थाने में बयान के लिए एक तारीख दी जाती है। कोई भी बयान ऑनलाइन नहीं होता। यदि गिरफ्तारी करनी है तो उसे पुलिस सीधे पहले गिरफ्तार नहीं करती। थाने में उसके बयान लेने के बाद पुलिस हिरासत में रखती है और इसके बाद गिरफ्तारी होती है। गिरफ्तार होने के बाद इसकी सूचना परिवार को दी जाती है। बताया जाता है कि उसे किस आरोप में गिरफ्तार किया गया है। 24 घंटे के अंदर उसे कोर्ट में पेश किया जाता है। डिजिटल अरेस्ट के जाल से बचने के लिए क्या सावधानी बरतें? किस तरह काम करता है ये नेटवर्क? यह ठग अलग-अलग प्रदेशों से अपने नेटवर्क को ऑपरेट करते हैं। अलग-अलग माध्यम से हाईप्रोफाइल लोगों के मोबाइल नंबर और पर्सनल डेटा जुटा लेते हैं। एक टीम और होती है जो ठगी के रुपए को खपाने का काम करती है। ये अलग-अलग शहरों में बेरोजगार युवाओं को ढूंढती है, जिनके खाते किराए पर लिए जा सकें। ...... डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए... पहली बार कैमरे पर डिजिटल अरेस्ट वाले लुटेरे:भास्कर रिपोर्टर 6 घंटे कैद रहा, LIVE रिकॉर्ड की हर साजिश, कैसे फंसते हैं हाईप्रोफाइल लोग, पार्ट-1 देशभर में डिजिटल अरेस्ट करने वाले ऑनलाइन लुटेरे। कभी फर्जी IPS ताे कभी CBI अफसर बनकर हाईप्रोफाइल लोगों को देशद्रोही, आतंकी, रेपिस्ट, स्मगलर बताकर लाखों-करोड़ों रुपए लूट लेते हैं। घंटों घर में कैद रहने को मजबूर कर देते हैं। (यहां पढ़ें पूरी खबर)

Nov 8, 2024 - 10:10
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हाईप्रोफाइल लोगों को कैसे डिजिटल अरेस्ट कर रहे लुटेरे:अनजान लिंक पर क्लिक करना खतरनाक; जानें फर्जी पुलिसवालों को कैसे पहचानें, पार्ट-2
अनजान नंबरों से वीडियो कॉल। रिसीव करते ही सामने दिखता है पुलिस की वर्दी में एक शख्स। पीछे दीवार पर महापुरुषों की तस्वीरें। ये देखते ही कॉल रिसीव करने वाला हड़बड़ा जाता है- मैंने ऐसी क्या गलती कर दी कि पुलिस ने कॉल किया है। इसी का फायदा उठाते हैं डिजिटल अरेस्ट करने वाले लुटेरे। ये लुटेरे पुलिस ऑफिसर बनकर डराते हैं, कई-कई घंटे घर में कैद रहने को मजबूर करते हैं। देशद्रोही, आतंकी, रेपिस्ट बताकर लाखों-करोड़ों रुपए लूट लेते हैं। दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज 'ऑपरेशन डिजिटल अरेस्ट' के पार्ट-1 में रिपोर्टर ने 6 घंटे के लिए खुद को डिजिटल अरेस्ट कराकर इन्हें बेनकाब किया। आज पार्ट-2 में एक्सपट्‌र्स के जरिए जानिए- कैसे इन ऑनलाइन लुटेरों को पहचान सकते हैं... क्या होता है डिजिटल अरेस्ट ? यदि पुलिस मामले की जांच करती है तो उसकी क्या प्रोसेस है पुलिस अधिकारियों के अनुसार पुलिस जांच और पूछताछ की एक प्रोसेस होती है। पुलिस के सामने कोई भी मामला आने पर पहले FIR दर्ज की जाती है। इसकी एक कॉपी परिवादी और एक कॉपी आरोपी को दी जाती है। इसमें बताया जाता है कि आपके खिलाफ ये मामला है। पूछताछ के लिए भी पहले आरोपी को नोटिस भेजा जाता है और उसे थाने में बयान के लिए एक तारीख दी जाती है। कोई भी बयान ऑनलाइन नहीं होता। यदि गिरफ्तारी करनी है तो उसे पुलिस सीधे पहले गिरफ्तार नहीं करती। थाने में उसके बयान लेने के बाद पुलिस हिरासत में रखती है और इसके बाद गिरफ्तारी होती है। गिरफ्तार होने के बाद इसकी सूचना परिवार को दी जाती है। बताया जाता है कि उसे किस आरोप में गिरफ्तार किया गया है। 24 घंटे के अंदर उसे कोर्ट में पेश किया जाता है। डिजिटल अरेस्ट के जाल से बचने के लिए क्या सावधानी बरतें? किस तरह काम करता है ये नेटवर्क? यह ठग अलग-अलग प्रदेशों से अपने नेटवर्क को ऑपरेट करते हैं। अलग-अलग माध्यम से हाईप्रोफाइल लोगों के मोबाइल नंबर और पर्सनल डेटा जुटा लेते हैं। एक टीम और होती है जो ठगी के रुपए को खपाने का काम करती है। ये अलग-अलग शहरों में बेरोजगार युवाओं को ढूंढती है, जिनके खाते किराए पर लिए जा सकें। ...... डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए... पहली बार कैमरे पर डिजिटल अरेस्ट वाले लुटेरे:भास्कर रिपोर्टर 6 घंटे कैद रहा, LIVE रिकॉर्ड की हर साजिश, कैसे फंसते हैं हाईप्रोफाइल लोग, पार्ट-1 देशभर में डिजिटल अरेस्ट करने वाले ऑनलाइन लुटेरे। कभी फर्जी IPS ताे कभी CBI अफसर बनकर हाईप्रोफाइल लोगों को देशद्रोही, आतंकी, रेपिस्ट, स्मगलर बताकर लाखों-करोड़ों रुपए लूट लेते हैं। घंटों घर में कैद रहने को मजबूर कर देते हैं। (यहां पढ़ें पूरी खबर)

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