हाथरस में किसानों को नहीं मिल रही डीएपी:समितियों पर लटके रहे ताले, कालाबाजारी का आरोप, ऊंचे दामों पर उपलब्ध

इस बार अतिवृष्टि से प्रभावित हुए किसानों के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। जिले में डीएपी खाद की भारी किल्लत ने किसानों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। सहकारी समितियों पर खाद की उपलब्धता न होने से किसान रोजाना खाली हाथ लौटने को मजबूर हैं। किसानों का आरोप है कि खाद की कालाबाजारी के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है, और प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा। आज भी जिले की अधिकांश सहकारी समितियां बंद रहीं। कई किसान समितियों पर पहुंचे, लेकिन ताले लटके देख निराश होकर लौट गए। किसानों ने आरोप लगाया कि समितियों के कर्मचारी और अधिकारी खाद वितरण में मनमानी कर रहे हैं और इसे चहेतों को बेचा जा रहा है। किसानों ने बताया कि उन्हें समितियों से खाद न मिलने के कारण बाजार से ऊंचे दामों पर खाद खरीदनी पड़ रही है, जिससे उनकी खेती की लागत बढ़ रही है। एक किसान ने कहा, *"हम रोजाना घंटों तक लाइन में खड़े रहते हैं, लेकिन समितियों पर ताले लगे रहते हैं। यह स्थिति बेहद निराशाजनक है।" समितियों पर हो रहा हंगामा खाद संकट को लेकर किसानों ने कई बार प्रदर्शन किए और अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपा, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। सहकारी समितियों पर रोजाना हंगामा हो रहा है, लेकिन इसके बावजूद खाद वितरण में पारदर्शिता नहीं दिख रही। किसानों ने खाद की कालाबाजारी का आरोप लगाते हुए कहा कि समितियों पर खाद नहीं मिल रही, जबकि बाजार में ऊंचे दामों पर यह आसानी से उपलब्ध है। एक अन्य किसान ने कहा, *"प्रशासन को कालाबाजारी पर लगाम लगानी चाहिए और खाद वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए।" खाद प्रक्रिया सुचारु करने का निर्देश हालांकि, प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि जिले में खाद की आपूर्ति की जा रही है और जल्द ही सहकारी समितियों पर पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध होगी। जिला कृषि अधिकारी ने बताया, "हम किसानों की समस्या का समाधान करने के लिए प्रयासरत हैं। खाद वितरण प्रक्रिया को सुचारु करने के निर्देश दिए गए हैं।"

Nov 25, 2024 - 11:50
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हाथरस में किसानों को नहीं मिल रही डीएपी:समितियों पर लटके रहे ताले, कालाबाजारी का आरोप, ऊंचे दामों पर उपलब्ध
इस बार अतिवृष्टि से प्रभावित हुए किसानों के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। जिले में डीएपी खाद की भारी किल्लत ने किसानों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। सहकारी समितियों पर खाद की उपलब्धता न होने से किसान रोजाना खाली हाथ लौटने को मजबूर हैं। किसानों का आरोप है कि खाद की कालाबाजारी के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है, और प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा। आज भी जिले की अधिकांश सहकारी समितियां बंद रहीं। कई किसान समितियों पर पहुंचे, लेकिन ताले लटके देख निराश होकर लौट गए। किसानों ने आरोप लगाया कि समितियों के कर्मचारी और अधिकारी खाद वितरण में मनमानी कर रहे हैं और इसे चहेतों को बेचा जा रहा है। किसानों ने बताया कि उन्हें समितियों से खाद न मिलने के कारण बाजार से ऊंचे दामों पर खाद खरीदनी पड़ रही है, जिससे उनकी खेती की लागत बढ़ रही है। एक किसान ने कहा, *"हम रोजाना घंटों तक लाइन में खड़े रहते हैं, लेकिन समितियों पर ताले लगे रहते हैं। यह स्थिति बेहद निराशाजनक है।" समितियों पर हो रहा हंगामा खाद संकट को लेकर किसानों ने कई बार प्रदर्शन किए और अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपा, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। सहकारी समितियों पर रोजाना हंगामा हो रहा है, लेकिन इसके बावजूद खाद वितरण में पारदर्शिता नहीं दिख रही। किसानों ने खाद की कालाबाजारी का आरोप लगाते हुए कहा कि समितियों पर खाद नहीं मिल रही, जबकि बाजार में ऊंचे दामों पर यह आसानी से उपलब्ध है। एक अन्य किसान ने कहा, *"प्रशासन को कालाबाजारी पर लगाम लगानी चाहिए और खाद वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए।" खाद प्रक्रिया सुचारु करने का निर्देश हालांकि, प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि जिले में खाद की आपूर्ति की जा रही है और जल्द ही सहकारी समितियों पर पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध होगी। जिला कृषि अधिकारी ने बताया, "हम किसानों की समस्या का समाधान करने के लिए प्रयासरत हैं। खाद वितरण प्रक्रिया को सुचारु करने के निर्देश दिए गए हैं।"

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