हिमाचल को नहीं चाहिए नए IAS-IPS:केंद्र के पत्र का सरकार ने दिया जवाब; ब्यूरोक्रेसी के दबाव में शांता को पलटना पड़ा था फैसला

हिमाचल सरकार ने इस बार नए IAS-IPS को लेकर बड़ा फैसला लिया है। केंद्र द्वारा हिमाचल सरकार को भेजे गए पत्र के जवाब में राज्य सरकार ने 2025 बैच के लिए IAS-IPS लेने को इनकार किया है। मुख्यमंत्री सुक्खू से चर्चा के बाद कार्मिक विभाग ने केंद्र को जवाब भेज दिया है। सूत्रों की माने तो सरकार ने हिमाचल में IAS-IPS की कैडर स्ट्रेंथ को कम करने के लिए यह फैसला लिया है। छोटे से राज्य हिमाचल में पहले ही 153 IAS का कैडर है। इनमें से 107 डायरेक्ट IAS और 40 प्रमोशन के लिए सीनियर HAS अफसरों में से भरे जाते हैं। बता दें कि केंद्र सरकार हर साल सभी प्रदेश से IAS-IPS की डिमांड पूछती है, ताकि उसी हिसाब से राज्यों को अधिकारी प्रदान किए जा सकें। शांता ने भी कोशिश की थी, मगर ब्यूरोक्रेसी के आगे झुके पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने भी नए IAS-IPS लेने से इनकार किया था। मगर तब ब्यूरोक्रेसी का दबाव में उन्हें फैसला पलटना पड़ा था। इस बार मुख्यमंत्री सुक्खू ने किसी की परवाह किए बगैर IAS-IPS लेने को इनकार कर दिया।

Jan 30, 2025 - 09:59
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हिमाचल को नहीं चाहिए नए IAS-IPS:केंद्र के पत्र का सरकार ने दिया जवाब; ब्यूरोक्रेसी के दबाव में शांता को पलटना पड़ा था फैसला
हिमाचल सरकार ने इस बार नए IAS-IPS को लेकर बड़ा फैसला लिया है। केंद्र द्वारा हिमाचल सरकार को भेजे गए पत्र

हिमाचल को नहीं चाहिए नए IAS-IPS: केंद्र के पत्र का सरकार ने दिया जवाब

हिमाचल प्रदेश की सरकार ने हाल ही में केंद्र सरकार के उस पत्र का जवाब दिया है जिसमें नए IAS और IPS अधिकारियों की नियुक्तियों का उल्लेख किया गया था। यह मुद्दा वर्तमान में चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि राज्य सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उसे नए अधिकारियों की आवश्यकता नहीं है। यह मुद्दा तब गरमा गया जब पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार को यह निर्णय लेना पड़ा कि राज्य में नई ब्यूरोक्रेसी के लिए दबाव नहीं डाला जाना चाहिए।

केंद्रीय पत्र का क्या था संदर्भ?

केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए पत्र में हिमाचल प्रदेश में अधिकारियों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया गया था। यह सुझाव मुख्यतः उन क्षेत्रों के लिए था जहां प्रशासनिक सुधार और विकास की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। हालांकि, राज्य सरकार ने इसे अनुचित समझते हुए अपने पुराने निर्णय को बनाए रखा।

ब्यूरोक्रेसी के दबाव पर फैसला

राज्य सरकार का यह भी कहना था कि अब तक कितनी बार ब्यूरोक्रेसी पर दबाव डालकर निर्णय लिए गए हैं, इस बार ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। शांता कुमार, जो स्वयं एक अनुभवी नेता हैं, को अपने फैसले को पलटना पड़ा। इसे एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है, जो कि राज्य की जनभावनाओं को प्रकट करता है।

स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना

हिमाचल प्रदेश के स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, राज्य सरकार ने आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और जन कल्याण पर जोर दिया है। इस निर्णय के पीछे का मूल उद्देश्य सुनिश्चित करना है कि स्थानीय प्रतिभाओं को वरीयता दी जाए और बाहरी दबावों का सामना न किया जाए।

निष्कर्ष

वर्तमान राजनीतिक माहौल में हिमाचल प्रदेश की सरकार का यह निर्णय न केवल स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि कैसे प्रशासनिक मुद्दों पर सरकार की अपने लोगों से संवाद करने की क्षमता है। आशा है कि यह निर्णय विकासशील क्रम में एक नई दिशा देगा।

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