अतिक्रमण पर दो हिंदूवादी संगठन आमने-सामने:एक ने कहा- शाम के ख़र्च के लिए की हरकत, दूसरा बोला- जैसा खुद, वैसी सोच
मुजफ्फरनगर में शहर की गोल मार्केट से अतिक्रमण हटाने को लेकर हिंदूवादी संगठनों में तकरार बढ़ गई है। शिवसेना ने अतिक्रमण हटाने को लेकर खुशी मनाई, जबकि क्रांति सेना विरोध में उतरकर व्यापारियों के साथ खड़ी नजर आई। क्रांति सेना के अध्यक्ष ललित मोहन शर्मा ने शिवसेना के जिलाध्यक्ष को लेकर विवादित बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि वह अपना 'शाम का खर्च' पूरा करने के लिए इस तरह की हरकत कर रहा है। भीड़ एवं अतिक्रमण के कारण महिलाओं से छेड़खानी के बिट्टू सिखेड़ा के आरोपों पर ललित मोहन शर्मा ने कहा कि 'ये आरोप निराधार हैं और यहां कभी ऐसा नहीं होता है। अगर होता है तो बाहर जूतों की दुकानों पर होता है। अगर कोई इस तरह का ज्ञापन देता है या आरोप लगाता है तो वह हिंदुविरोधी है।' इससे पहले गोल मार्केट से अतिक्रमण हटाए जाने पर शाम को शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने तुलसी पार्क पहुंचकर खुशी मनाई और पालिका की अधिशासी अधिकारी प्रज्ञा सिंह का आभार जताया। इसके बाद क्रांति सेना अध्यक्ष ललित मोहन शर्मा अपनी टीम के साथ शिव चौक पहुंचे और व्यापारियों के समर्थन में खड़े नजर आए। उन्होंने नगर पालिका की कार्रवाई को गलत करार दिया और कहा कि 'पहले मीनाक्षी चौक एवं शहर के अन्य हिस्सों से अतिक्रमण हटवाया जाए, उसके बाद गोल मार्केट से हटवाया जाए, हम सब साथ हैं।' उधर, ललित मोहन के 'शाम के खर्च' वाले बयान पर बिट्टू सिखेड़ा ने कहा कि 'जो जैसा होता है उसकी सोच भी वैसी ही होती है। हम शहर को साफ-सुथरा और सुव्यवस्थित देखना चाहते हैं, इसीलिए अतिक्रमण हटाने की मांग कर रहे हैं। उनके द्वारा जो भी आरोप लगाए गए हैं, वे सब निराधार और बेबुनियाद हैं।' आपको बता दें कि बुधवार को मुज़फ़्फ़रनगर नगर पालिका की ईओ प्रज्ञा सिंह का गोल मार्केट से अतिक्रमण हटवाने को लेकर व्यापारियों के विरोध का सामना करना पड़ा था। व्यापारियों ने मार्केट बंद कर अपनी दुकानों में ताला लटकाते हुए चाबी को एक बैग में एकत्र कर ली थी। जहां व्यापारी नेता राकेश त्यागी और ईओ के बीच 'हॉट टॉक' भी हुई थी।

अतिक्रमण पर दो हिंदूवादी संगठन आमने-सामने
हाल ही में, भारत में अतिक्रमण को लेकर दो प्रमुख हिंदूवादी संगठनों के बीच एक तीखी बहस छिड़ गई है। एक संगठन ने आरोप लगाया कि दूसरा संगठन अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए लड़ाई नहीं कर रहा है, बल्कि अपने निजी हितों के लिए यह सब कर रहा है। यह विवाद इस बात को लेकर गहराई से चला गया है कि कैसे अतिक्रमण के मुद्दे को राजनीतिक सहारे से उठाया जा रहा है।
दोनों संगठनों के दृष्टिकोण
इस विवाद में एक समूह ने कहा कि उनके विरोध का असली कारण यह है कि दूसरे संगठन ने "शाम के ख़र्च" के लिए यह हरकत की है। यह संगठन दावा करता है कि यह अतिक्रमण केवल अपने हितों के लिए किया जा रहा है, जिससे आम जनता की आवश्यकताओं की अनदेखी हो रही है।
वहीं, दूसरे संगठन ने इस आरोप का जोरदार खंडन किया है। उन्होंने कहा है, “जैसा खुद, वैसी सोच” का नारा देते हुए यह भी कहा कि इस मामले में राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है। उनका तर्क है कि समाज में सांस्कृतिक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है, न कि केवल निजी राजनीतिक स्वार्थों के लिए आंदोलन चलाना।
आगे की योजनाएँ
इन दोनों संगठनों ने अब इस विषय पर सार्वजनिक संवाद करने का फैसला किया है। उनका मानना है कि इस मुद्दे पर समाज के सभी वर्गों की राय सुनना जरूरी है। वे इस बात पर जोर दे रहे हैं कि केवल अतिक्रमण ही नहीं, बल्कि इसे लेकर मौजूदा नियम और कानून भी चर्चा का विषय होने चाहिए।
अतिक्रमण के इस मुद्दे के साथ-साथ, संगठन यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके विचार और दृष्टिकोण समाज में सही तरीके से पहुंचें। अतः, वे विभिन्न मंचों पर अपनी बात रखेंगे और आम जन से संवाद साधेंगे।
समाज का रुख
समाज के विभिन्न वर्गों में यह विवाद अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न कर रहा है। कुछ लोग दोनों संगठनों के दृष्टिकोण में एक संतुलन की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं, जबकि अन्य मानते हैं कि यह केवल एक राजनीतिक खेल है। ऐसे में समझौता और संवाद के माध्यम से स्थिति को बेहतर बनाने के लिए सभी को एकजुट होना होगा।
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