आंगनबाड़ी केंद्रों के पोषाहार आपूर्ति टेंडर पर रोक जारी रहेगी:लखनऊ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब; बी चन्द्रकला, आईसीडीएस की निदेशक कोर्ट में हुईं पेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाले पौष्टिक आहार से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार से एकीकृत बाल विकास सेवा योजना (आईसीडीएस स्कीम) के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाले पौष्टिक आहार की गुणवत्ता, मात्रा और योजना को कैसे चलाया जाता है के बारे में पूरी जानकारी मांगी है। कोर्ट ने अपने पहले के आदेश में बाल विकास सेवा एवं पुष्ठहार के सचिव और आईसीडीएस के निदेशक को मौजूद रहने का आदेश दिया था। जिसके अनुपालन में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार की सचिव बी चन्द्रकला और आईसीडीएस की निदेशक संदीप कौर कोर्ट में उपस्थित रहीं। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को अगली सुनवाई पर भी उपस्थित रहने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसम्बर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने प्रत्युष रावत व अन्य की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका दी। जनहित याचिका पर पिछली तारीख पर हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आदेश दिया था कि पुष्टाहार की आपूर्ति के सम्बंध में यदि किसी टेंडर को अंतिम रूप दे दिया गया है, तो उस पर कोर्ट की अनुमति के बिना अमल नहीं किया जाएगा। दरअसल कोर्ट ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 व सक्षम आंगनबाड़ी पोषण नियम, 2022 के अनुपालन की जानकारी मांगी थी। कोर्ट ने पूछा था कि गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं तथा छह माह से छह वर्ष तक के बच्चों को जो पुष्टाहार दिया जा रहा है, वह प्रावधानों के अनुरूप है या नहीं। वहीं 11 नवंबर को सुनवाई के दौरान याचियों ने कोर्ट को बताया था कि बिना प्रावधानों का सख्ती से पालन किए, राज्य सरकार के अधिकारियों ने पुष्टाहार आपूर्ति का टेंडर जारी करने के सम्बंध में प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस पर कोर्ट ने आदेश दिया कि यदि टेंडर को अंतिम रूप दे दिया गया है, तो उस पर कोर्ट की अनुमति के बिना अमल नहीं किया जाएगा।
What's Your Reaction?