गंगा किनारे रिकंस्ट्रक्शन की फाइल 30 दिन में होगी फाइनल:वाराणसी में गंगा के तट से 200 मीटर दायरे में जर्जर भवनों की मरम्मत के लिए VDA के हेल्प डेस्क में कर सकते हैं आवदेन

वाराणसी विकास प्राधिकरण ने गंगा किनारे 200 मीटर दायरे में मौजूद भवनों के पुनर्निर्माण के लिए आवेदन करने पर 30 दिन के भीतर अनुमति देने का दावा किया है। संपत्ति विभाग के बाबू की रिश्वतखोरी में गिरफ्तारी के बाद विकास प्राधिकरण के आला अफसर अब ऑफिस के विभिन्न पटलों की टेबल पर पड़ी लंबित फाइलों का निबटारा करने में जुट गए हैं। VDA में लंबे समय तक लंबित फाइलें ही भ्रष्टाचार की जड़ है। अगर ये कार्य कराने हैं तो VDA से अनुमति जरूरी विकास प्राधिकरण ने सूची जारी की है जिसमें उन्हीं भवन स्वामियों को अनुमति मिलेगी जिनके भवन के पुनर्निर्माण को लेकर नगर निगम की तरफ से संबंधित जारी चिट्ठा है। जर्जर होने के कारण पूरी बिल्डिंग को गिराकर रिकंस्ट्रक्शन के लिए अगर नगर निगम का जारी चिट्ठा है तो आवदेन कर सकते हैं। साथ ही भवन स्वामी को अगर वास्तुदोष मुक्ति के लिए इंटीरियर बदलाव करना है तो भी अनुमति लेनी होगी। छत, बालकनी, बरामदा में पैरापेट लगाने के लिए भी वीडीए से अनुमति आवश्यक है। इन कामों के लिए परमिशन की जरूरत नहीं आपका मकान अगर गंगा किनारे 200 मीटर के दायरे में है और आपको घर की दीवारों की पेंटिंग, प्लास्टर, वाल पुट्टी करानी है तो इसके लिए वीडीए से इजाजत की जरूरत नहीं है। फर्श के निर्माण हो या हैंडपंप लगाना हो आप कर सकते हैं। जर्जर इलेक्ट्रिक वायर को चेंज करना हो, सोलर लाइट लगवानी हो, सेप्टिक टैंक बनवाना हो तो ये कार्य आपको वीडीए से परमिशन लेने की आवश्यकता नहीं है। हेल्प डेस्क या जोनल ऑफिस में कर सकते है आवेदन VDA उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने बताया कि 200 मीटर रेंज में आने वाली बिल्डिंग के रिकंस्ट्रक्शन से संबंधित फाइलों के विभिन्न अनुभागों में दौड़ने से उसके निस्तारण में विलंब हो रहा था। अब भवन स्वामी वीडीए के हेल्प डेस्क या संबंधित जोनल ऑफिस में आवेदन कर सकते है। आवेदन के अगले दिन भवन से संबंधित अभिलेख की जांच होगी जिसकी जिम्मेदारी वार्ड के जेई की होगी। दस्तावेज की जांच के बाद जोनल अधिकारी और जेई भौतिक सत्यापन करेंगे। 30 दिन के अंदर ये सारी प्रक्रिया पूरी करनी होगी। बताना होगा नगर निगम की जमीन नहीं गंगा किनारे रहने वालों को अब अभिलेखीय जांच के दौरान अब इसका प्रमाण भी देना होगा कि जहाँ वह रह रहा है वह जमीन उसकी है, नगर निगम की नहीं। वीडीए ने नया अभिलेखीय साक्ष्य जोड़ा है क्योंकि नगर निगम इस समय अपनी कब्जे वाली संपत्ति छुड़ाने में लगा है।

Nov 28, 2024 - 01:55
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गंगा किनारे रिकंस्ट्रक्शन की फाइल 30 दिन में होगी फाइनल:वाराणसी में गंगा के तट से 200 मीटर दायरे में जर्जर भवनों की मरम्मत के लिए VDA के हेल्प डेस्क में कर सकते हैं आवदेन
वाराणसी विकास प्राधिकरण ने गंगा किनारे 200 मीटर दायरे में मौजूद भवनों के पुनर्निर्माण के लिए आवेदन करने पर 30 दिन के भीतर अनुमति देने का दावा किया है। संपत्ति विभाग के बाबू की रिश्वतखोरी में गिरफ्तारी के बाद विकास प्राधिकरण के आला अफसर अब ऑफिस के विभिन्न पटलों की टेबल पर पड़ी लंबित फाइलों का निबटारा करने में जुट गए हैं। VDA में लंबे समय तक लंबित फाइलें ही भ्रष्टाचार की जड़ है। अगर ये कार्य कराने हैं तो VDA से अनुमति जरूरी विकास प्राधिकरण ने सूची जारी की है जिसमें उन्हीं भवन स्वामियों को अनुमति मिलेगी जिनके भवन के पुनर्निर्माण को लेकर नगर निगम की तरफ से संबंधित जारी चिट्ठा है। जर्जर होने के कारण पूरी बिल्डिंग को गिराकर रिकंस्ट्रक्शन के लिए अगर नगर निगम का जारी चिट्ठा है तो आवदेन कर सकते हैं। साथ ही भवन स्वामी को अगर वास्तुदोष मुक्ति के लिए इंटीरियर बदलाव करना है तो भी अनुमति लेनी होगी। छत, बालकनी, बरामदा में पैरापेट लगाने के लिए भी वीडीए से अनुमति आवश्यक है। इन कामों के लिए परमिशन की जरूरत नहीं आपका मकान अगर गंगा किनारे 200 मीटर के दायरे में है और आपको घर की दीवारों की पेंटिंग, प्लास्टर, वाल पुट्टी करानी है तो इसके लिए वीडीए से इजाजत की जरूरत नहीं है। फर्श के निर्माण हो या हैंडपंप लगाना हो आप कर सकते हैं। जर्जर इलेक्ट्रिक वायर को चेंज करना हो, सोलर लाइट लगवानी हो, सेप्टिक टैंक बनवाना हो तो ये कार्य आपको वीडीए से परमिशन लेने की आवश्यकता नहीं है। हेल्प डेस्क या जोनल ऑफिस में कर सकते है आवेदन VDA उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने बताया कि 200 मीटर रेंज में आने वाली बिल्डिंग के रिकंस्ट्रक्शन से संबंधित फाइलों के विभिन्न अनुभागों में दौड़ने से उसके निस्तारण में विलंब हो रहा था। अब भवन स्वामी वीडीए के हेल्प डेस्क या संबंधित जोनल ऑफिस में आवेदन कर सकते है। आवेदन के अगले दिन भवन से संबंधित अभिलेख की जांच होगी जिसकी जिम्मेदारी वार्ड के जेई की होगी। दस्तावेज की जांच के बाद जोनल अधिकारी और जेई भौतिक सत्यापन करेंगे। 30 दिन के अंदर ये सारी प्रक्रिया पूरी करनी होगी। बताना होगा नगर निगम की जमीन नहीं गंगा किनारे रहने वालों को अब अभिलेखीय जांच के दौरान अब इसका प्रमाण भी देना होगा कि जहाँ वह रह रहा है वह जमीन उसकी है, नगर निगम की नहीं। वीडीए ने नया अभिलेखीय साक्ष्य जोड़ा है क्योंकि नगर निगम इस समय अपनी कब्जे वाली संपत्ति छुड़ाने में लगा है।

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