आनंदी बेन के कुंभकर्ण को टेक्नोक्रेट बताने का सच:आशुतोष राणा ने किताब में वैज्ञानिक बताया, वाल्मीकि रामायण में यांत्रिक जैसा.. पढ़िए, पूरी कहानी

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कुंभकर्ण को एक बड़ा और ज्ञानी टेक्नोक्रेट बताया है। आनंदी बेन पटेल ने कहा कि कुंभकर्ण 6 महीने सोता है, ये केवल हवा थी, जिसे खुद रावण ने फैलाया था। जबकि कुंभकर्ण उच्च स्तर का वैज्ञानिक था। वह सोते नहीं थे, बल्कि अपने राज्य लंका के लिए हथियारों का आविष्कार करते थे। ये बात राज्यपाल ने लखनऊ के भाषा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कही। एक्सप्लेनर में जानेंगे राज्यपाल आनंदी बेन के कुंभकर्ण को वैज्ञानिक बताने की सच्चाई क्या है... तुलसीदास ने रामचरित मानस में कुंभकर्ण को लेकर क्या लिखा है... बाल कांड में लिखा है... जौं एहिं खल नित करब अहारू । होइहि सब उजारि संसारू॥ सारद प्रेरि तासु मति फेरी। मागेसि नीद मास षट केरी॥ मतलब- जो यह दुष्ट नित्य आहार करेगा, तो सारा संसार ही उजाड़ हो जाएगा। ब्रह्माजी ने सरस्वती को प्रेरित कर उसकी बुद्धि फेर दी। उसने 6 महीने की नींद मांगी। रामचरित मानस में बताया गया है कि कुंभकर्ण, ऋषि विश्रवा और राक्षसी कैकसी का पुत्र था। कुंभ का अर्थ होता है घड़ा और कर्ण अर्थात कान, बचपन से ही बड़े कान होने के कारण उसका नाम कुंभकर्ण रखा गया था। कुंभकर्ण की ऊंचाई 600 धनुष के बराबर थी और मोटाई 100 धनुष के बराबर थी। कहते हैं कि उसकी आंखें गाड़ी के पहियों जितनी बड़ी थीं। वाल्मीकि ने रामायण में कुंभकर्ण को मशीन जैसे बताया- युद्धकांड का 61/33वां श्लोक... उच्यन्ताम् वानराः सर्वे यन्त्रमेतत्समुच्छ्रितम् | इति विज्ञाय हरयो भविष्यन्तीह निर्भयाः || अर्थ: वानरों से कहिए कि यह कोइ व्यक्ति न होकर कोइ यंत्र ही उठकर आया है। ऐसा कहने से वानर डरेंगे नहीं। युद्धकांड का 67/35वां श्लोक... प्रक्षिप्ताः कुम्भकर्णेन वक्त्रे पातालसंनिभे | नासापुटाभ्यां निर्जग्मुः कर्णाभ्याम् चैव वानराः || अर्थ: भीषण युद्ध के दौरान पाताल समान कुंभकर्ण वानरों को अपने मुंह में डाल देता है। बंदर उसकी नाक और कान से सुरक्षित बाहर निकल आए। वाल्मीकि रामायण के इन दो श्लोकों से पता चलता है कि कुंभकर्ण की शारीरिक बनावट और हैरान करने वाला युद्ध उसके एक यांत्रिक चमत्कार होने की धारणा को बताता है। 'रामराज्य' में आशुतोष राणा ने कुंभकर्ण को वैज्ञानिक बताया फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा ने अपनी किताब रामराज्य में लिखा- रावण के पास दस सिर थे तो कुंभकर्ण भी कम नहीं था। ज्यादातर कथाओं में तो कुंभकर्ण का आकार प्रकार इस तरह का बताया गया है कि दूसरा कोई उसकी बराबरी का नहीं था। बहुत सारे क्षेत्रों में लोक में तो यहां तक कह दिया गया कि लंका में कोई भी 52 हाथ से कम का नहीं था। कुंभकर्ण का आकार तो बांसों में नापा गया है। आशुतोष अपनी किताब में लिखते हैं- जगत में यह कहानी फेमस हो गई है कि कुंभकर्ण की देह 600 बांस लंबी और 100 बांस चौड़ी है। हालांकि, किताब में बताया गया है कि एक बांस का मतलब पूरे बांस की लंबाई नहीं, बल्कि सवा तीन गज का होता है। इस हिसाब से भी 600 बांस कोई कम नहीं होता। आशुतोष राणा ने लिखा है- कुंभकर्ण विकट योद्धा ही नहीं, एक महान वैज्ञानिक भी था। रावण के समस्त प्रयोग, वैज्ञानिक सूत्रों, आविष्कार को मूर्त रूप प्रदान करने का कार्य कुंभकर्ण किया करता था। उसके द्वारा किए जा रहे भीषण वैज्ञानिक आविष्कारों को संसार से गुप्त रखने के लिए रावण ने संपूर्ण जगत में प्रचारित कर दिया था कि उसका भाई साल में 6 माह सोता रहता है। कुंभकर्ण विद्वान भी था, उसने रावण को श्री राम से युद्ध नहीं करने की सलाह दी थी... कुंभकर्ण के वैज्ञानिक होने के दावे पर विद्वान क्या कहते हैं... कुंभकर्ण दिव्य अस्त्रों का शोध करता था लखनऊ के लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य सेवा दास डॉ. विवेक तांगड़ी कहते हैं कि साल 2016 में श्रीलंका गया था। रामायण काल के विभिन्न स्थलों का भ्रमण करने के दौरान नुवर एलिया गया। यहां अशोक वाटिका थी। इसके ठीक सामने विशाल पर्वत श्रृंखला में कुंभकर्ण के सोने की गुफा थी। इस गुफा के बारे में मान्यता है कि ये कुंभकर्ण का शोध स्थल था। यहीं पर कुंभकर्ण दिव्य अस्त्रों का शोध करता था। रावण और उसकी सेना के दिव्य अस्त्रों को बनाने वाले कुंभकर्ण ही थे। उनके द्वारा रथ और विशेष वाहनों का भी निर्माण किया गया। रावण की लंका में नहीं थी कोई कमी, दिव्य अस्त्रों की भरमार थी हरिद्वार के रहने वाले राम कथावाचक नारायणदास जी महाराज कहते हैं कि 79 की उम्र में गोस्वामी जी ने मानस लिखना शुरू किया और 82 साल में पूरा कर दिया। कुंभकर्ण के विषय में ऐसी कोई जानकारी नहीं आई। पर दक्षिण भारत में इससे जुड़ी कोई मान्यता हो सकती है। ऐसा भी संभव है कि श्रीलंका के स्तर पर कोई ऐसी मान्यता हो। हां, ये जरूर है कि रावण की लंका में कहीं कोई कमी नहीं थी। बड़ी संख्या में दिव्य अस्त्रों का भंडार था। प्राचीनकाल में आविष्कार के क्षेत्र में काफी काम हुए ब्रह्मा से मांगा था 6 महीने नींद का वरदान इंदौर के रामचरित मानस के राम कथा मर्मज्ञ पंडित पवन कुमार त्रिपाठी कहते हैं कि रामचरित मानस के बाल कांड में स्पष्ट रूप से कुंभकर्ण का जिक्र करते हुए चौपाई है। उसने ब्रह्मा जी से जो वरदान मांगा उसमें 6 माह की नींद रही। बावजूद इसके यहां ये कहना भी जरूरी है कि रावण और कुंभकर्ण दोनों की आस्था भगवान श्री राम में थी। ऐसा मानस में गोस्वामी जी ने लिखा है। अब जानते हैं कुंभकर्ण से जुड़ी कथाएं...

Nov 20, 2024 - 05:45
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आनंदी बेन के कुंभकर्ण को टेक्नोक्रेट बताने का सच:आशुतोष राणा ने किताब में वैज्ञानिक बताया, वाल्मीकि रामायण में यांत्रिक जैसा.. पढ़िए, पूरी कहानी
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कुंभकर्ण को एक बड़ा और ज्ञानी टेक्नोक्रेट बताया है। आनंदी बेन पटेल ने कहा कि कुंभकर्ण 6 महीने सोता है, ये केवल हवा थी, जिसे खुद रावण ने फैलाया था। जबकि कुंभकर्ण उच्च स्तर का वैज्ञानिक था। वह सोते नहीं थे, बल्कि अपने राज्य लंका के लिए हथियारों का आविष्कार करते थे। ये बात राज्यपाल ने लखनऊ के भाषा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कही। एक्सप्लेनर में जानेंगे राज्यपाल आनंदी बेन के कुंभकर्ण को वैज्ञानिक बताने की सच्चाई क्या है... तुलसीदास ने रामचरित मानस में कुंभकर्ण को लेकर क्या लिखा है... बाल कांड में लिखा है... जौं एहिं खल नित करब अहारू । होइहि सब उजारि संसारू॥ सारद प्रेरि तासु मति फेरी। मागेसि नीद मास षट केरी॥ मतलब- जो यह दुष्ट नित्य आहार करेगा, तो सारा संसार ही उजाड़ हो जाएगा। ब्रह्माजी ने सरस्वती को प्रेरित कर उसकी बुद्धि फेर दी। उसने 6 महीने की नींद मांगी। रामचरित मानस में बताया गया है कि कुंभकर्ण, ऋषि विश्रवा और राक्षसी कैकसी का पुत्र था। कुंभ का अर्थ होता है घड़ा और कर्ण अर्थात कान, बचपन से ही बड़े कान होने के कारण उसका नाम कुंभकर्ण रखा गया था। कुंभकर्ण की ऊंचाई 600 धनुष के बराबर थी और मोटाई 100 धनुष के बराबर थी। कहते हैं कि उसकी आंखें गाड़ी के पहियों जितनी बड़ी थीं। वाल्मीकि ने रामायण में कुंभकर्ण को मशीन जैसे बताया- युद्धकांड का 61/33वां श्लोक... उच्यन्ताम् वानराः सर्वे यन्त्रमेतत्समुच्छ्रितम् | इति विज्ञाय हरयो भविष्यन्तीह निर्भयाः || अर्थ: वानरों से कहिए कि यह कोइ व्यक्ति न होकर कोइ यंत्र ही उठकर आया है। ऐसा कहने से वानर डरेंगे नहीं। युद्धकांड का 67/35वां श्लोक... प्रक्षिप्ताः कुम्भकर्णेन वक्त्रे पातालसंनिभे | नासापुटाभ्यां निर्जग्मुः कर्णाभ्याम् चैव वानराः || अर्थ: भीषण युद्ध के दौरान पाताल समान कुंभकर्ण वानरों को अपने मुंह में डाल देता है। बंदर उसकी नाक और कान से सुरक्षित बाहर निकल आए। वाल्मीकि रामायण के इन दो श्लोकों से पता चलता है कि कुंभकर्ण की शारीरिक बनावट और हैरान करने वाला युद्ध उसके एक यांत्रिक चमत्कार होने की धारणा को बताता है। 'रामराज्य' में आशुतोष राणा ने कुंभकर्ण को वैज्ञानिक बताया फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा ने अपनी किताब रामराज्य में लिखा- रावण के पास दस सिर थे तो कुंभकर्ण भी कम नहीं था। ज्यादातर कथाओं में तो कुंभकर्ण का आकार प्रकार इस तरह का बताया गया है कि दूसरा कोई उसकी बराबरी का नहीं था। बहुत सारे क्षेत्रों में लोक में तो यहां तक कह दिया गया कि लंका में कोई भी 52 हाथ से कम का नहीं था। कुंभकर्ण का आकार तो बांसों में नापा गया है। आशुतोष अपनी किताब में लिखते हैं- जगत में यह कहानी फेमस हो गई है कि कुंभकर्ण की देह 600 बांस लंबी और 100 बांस चौड़ी है। हालांकि, किताब में बताया गया है कि एक बांस का मतलब पूरे बांस की लंबाई नहीं, बल्कि सवा तीन गज का होता है। इस हिसाब से भी 600 बांस कोई कम नहीं होता। आशुतोष राणा ने लिखा है- कुंभकर्ण विकट योद्धा ही नहीं, एक महान वैज्ञानिक भी था। रावण के समस्त प्रयोग, वैज्ञानिक सूत्रों, आविष्कार को मूर्त रूप प्रदान करने का कार्य कुंभकर्ण किया करता था। उसके द्वारा किए जा रहे भीषण वैज्ञानिक आविष्कारों को संसार से गुप्त रखने के लिए रावण ने संपूर्ण जगत में प्रचारित कर दिया था कि उसका भाई साल में 6 माह सोता रहता है। कुंभकर्ण विद्वान भी था, उसने रावण को श्री राम से युद्ध नहीं करने की सलाह दी थी... कुंभकर्ण के वैज्ञानिक होने के दावे पर विद्वान क्या कहते हैं... कुंभकर्ण दिव्य अस्त्रों का शोध करता था लखनऊ के लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य सेवा दास डॉ. विवेक तांगड़ी कहते हैं कि साल 2016 में श्रीलंका गया था। रामायण काल के विभिन्न स्थलों का भ्रमण करने के दौरान नुवर एलिया गया। यहां अशोक वाटिका थी। इसके ठीक सामने विशाल पर्वत श्रृंखला में कुंभकर्ण के सोने की गुफा थी। इस गुफा के बारे में मान्यता है कि ये कुंभकर्ण का शोध स्थल था। यहीं पर कुंभकर्ण दिव्य अस्त्रों का शोध करता था। रावण और उसकी सेना के दिव्य अस्त्रों को बनाने वाले कुंभकर्ण ही थे। उनके द्वारा रथ और विशेष वाहनों का भी निर्माण किया गया। रावण की लंका में नहीं थी कोई कमी, दिव्य अस्त्रों की भरमार थी हरिद्वार के रहने वाले राम कथावाचक नारायणदास जी महाराज कहते हैं कि 79 की उम्र में गोस्वामी जी ने मानस लिखना शुरू किया और 82 साल में पूरा कर दिया। कुंभकर्ण के विषय में ऐसी कोई जानकारी नहीं आई। पर दक्षिण भारत में इससे जुड़ी कोई मान्यता हो सकती है। ऐसा भी संभव है कि श्रीलंका के स्तर पर कोई ऐसी मान्यता हो। हां, ये जरूर है कि रावण की लंका में कहीं कोई कमी नहीं थी। बड़ी संख्या में दिव्य अस्त्रों का भंडार था। प्राचीनकाल में आविष्कार के क्षेत्र में काफी काम हुए ब्रह्मा से मांगा था 6 महीने नींद का वरदान इंदौर के रामचरित मानस के राम कथा मर्मज्ञ पंडित पवन कुमार त्रिपाठी कहते हैं कि रामचरित मानस के बाल कांड में स्पष्ट रूप से कुंभकर्ण का जिक्र करते हुए चौपाई है। उसने ब्रह्मा जी से जो वरदान मांगा उसमें 6 माह की नींद रही। बावजूद इसके यहां ये कहना भी जरूरी है कि रावण और कुंभकर्ण दोनों की आस्था भगवान श्री राम में थी। ऐसा मानस में गोस्वामी जी ने लिखा है। अब जानते हैं कुंभकर्ण से जुड़ी कथाएं...

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