उत्तराखंड की हस्तशिल्प और हथकरघा कला को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने शिल्पकारों को सम्मानित किया

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड हस्तशिल्प और हथकरघा कला को बढ़ावा देने के लिए शिल्पकारों को सम्मानित किया। बुधवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में, उन्होंने प्रदेश के 11 शिल्पकारों को उत्तराखंड शिल्प रत्न पुरस्कार से नवाजा। मुख्यमंत्री ने इस …

Sep 17, 2025 - 18:27
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उत्तराखंड की हस्तशिल्प और हथकरघा कला को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने शिल्पकारों को सम्मानित किया
देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड हस्तशिल्प और हथकरघा कला को बढ़ावा देने के ल

उत्तराखंड की हस्तशिल्प और हथकरघा कला को नया जीवन

कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शिल्पकारों को सम्मानित करते हुए राज्य की हस्तशिल्प और हथकरघा कला को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र को बढ़ावा देने हेतु शिल्पकारों को सम्मानित किया। बुधवार को आयोजित एक कार्यक्रम में, जो मुख्य सेवक सदन में उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद द्वारा आयोजित किया गया, उन्होंने प्रदेश के 11 शिल्पकारों को उत्तराखंड शिल्प रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न हस्तशिल्प स्टॉलों का निरीक्षण किया और कला को बढ़ावा देने के प्रयासों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

उत्तराखंड की पारंपरिक कलाएँ: एक सांस्कृतिक धरोहर

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की बुनाई और हस्तशिल्प कला अपनी विविधता और गुणवत्ता के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। उन्होंने शिल्पकारों और बुनकरों को राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण संवाहक माना। मुख्यमंत्री ने हर्षिल की ऊनी शॉल, मुनस्यारी-धारचूला की थुलमा, अल्मोड़ा की ट्वीड, छिनका की पंखी और पिछौड़े के डिजाइनों की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि ये शिल्पकार उत्तराखंड को राष्ट्रीय और वैश्विक बाजार में पहचान दिलाने में सफल रहे हैं। आजकल भांग और बांस के रेशों से बने वस्त्रों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है।

आपदा पीड़ितों को मुख्यमंत्री की संवेदना

कार्यक्रम की शुरुआत में, मुख्यमंत्री ने हाल ही में प्रदेश में आई आपदा के दौरान जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि अर्पित की और प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्वास कार्यों को तेजी और संवेदनशीलता के साथ पूरा करने के लिए कार्य किया जाएगा।

“वोकल फॉर लोकल” का उत्साह

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई “वोकल फॉर लोकल”, “लोकल टू ग्लोबल” और “मेक इन इंडिया” जैसे अभियानों की सराहना की। उनका कहना है कि ये पहलें शिल्पियों और बुनकरों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रही हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना और राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम जैसी योजनाओं का भी जिक्र किया, जो कारीगरों के मुस्तकबिल के लिए सहायक हैं।

आत्मनिर्भर उत्तराखंड की ओर ठोस कदम

मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि राज्य सरकार शिल्पी पेंशन योजना, बुनकर क्लस्टर सशक्तिकरण, कौशल विकास प्रशिक्षण और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दें, ताकि आत्मनिर्भर भारत का संकल्प और मजबूत हो सके। मुख्यमंती ने विश्वास जताया कि उत्तराखंड के शिल्पकार और बुनकर अपनी रचनात्मकता से राज्य को आत्मनिर्भर और राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

सम्मानित शिल्पकारों की सूची

कार्यक्रम में उत्तराखंड शिल्प रत्न पुरस्कार से सम्मानित होने वाले शिल्पकारों की सूची में शामिल हैं:

  • उत्तरकाशी से जानकी देवी, भागीरथी देवी और महिमानंद तिवारी
  • बागेश्वर से इंद्र सिंह
  • अल्मोड़ा से लक्ष्मण सिंह और भूपेंद्र सिंह बिष्ट
  • हल्द्वानी (नैनीताल) से जीवन चंद्र जोशी और मोहन चंद्र जोशी
  • नारायण नगर मल्लीताल नैनीताल से जानकी बिष्ट
  • क्वालिटी कॉलोनी हल्दूचौड़ हल्द्वानी से जगदीश पांडे
  • चमोली से श्री प्रदीप कुमार और गुड्डी देवी

इस प्रकार, मुख्यमंत्री का यह कदम उत्तराखंड की संस्कृति और हस्तशिल्प कला को एक नया जीवन देने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

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सादर, टीम इंडिया टुडे - राधिका शर्मा

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