एक जिला एक औद्योगिक नीति पर चलेंगी तीनों प्राधिकरण:'सार्क एंड एसोशिएट' ने 104 पेज का तैयार किया मसौदा; मुख्य सचिव को सौंपी रिपोर्ट

14 साल के इंतजार के बाद तीनों प्राधिकरण की औद्योगिक नीति एक समान होने जा रही है। इसके लिए सार्क एंड एसोशिएट कंपनी ने 35 अध्याय और 104 पेज की एक पॉलिसी तैयार की। इस पॉलिसी को ग्रेटर नोएडा के बोर्ड में रखा गया था। जिस पर मुख्य सचिव ने तीनों प्राधिकरण से अपने सुझाव मांगे थे। साथ ही एक प्रॉपर नीति तैयार कर प्रस्तुत करने के लिए कहा था। सीईओ नोएडा प्राधिकरण लोकेश एम ने बताया कि सुझाव को कंपाइल कर मुख्य सचिव को रिपोर्ट भेज दी गई है। जल्द ही इसे पास किया जा सकता है। दरअसल तीनों प्राधिकरण की औद्योगिक नीति को एक समान इसलिए किया जा रहा है क्योंकि ये एक ही गौतमबुद्ध नगर जिले का हिस्सा है। यहां आने वाले निवेशकों को कंफ्यूजन न हो। अक्सर देखा गया है कि समय के साथ तीनों प्राधिकरण निवेश के अनुसार अलग-अलग कई अधिसूचनाएं और आदेश जारी करते है। जिससे विशिष्ट मामलों के लिए सही नीतियों की पहचान करना कठिन हो गया। इसके परिणामस्वरूप अक्सर अधिकारियों को समान स्थितियों के लिए अलग-अलग नियम लागू करने पड़े। पॉलिसी को एक समान करने का प्रयास 2010 में शुरू किया गया। इसके तहत तीनों प्राधिकरण में पात्रता मानदंड, पट्टे की शर्त, किराया संरचना और सभी प्रकार औपचारिकताओं को एक समान करना था। जिसे तीनों प्राधिकरण में एक समान लागू किया जा सके। ऐसी हो सकती है औद्योगिक आवंटन पॉलिसी सार्क एंड एसोशिएट द्वारा तैयार की गई इस नीति को भूखंड के आकार के अनुसार आवंटन श्रेणी में बांटा गया है। 8000 वर्गमीटर से अधिक के भूखंड 8,000 वर्ग मीटर से अधिक के औद्योगिक भूखंडों के आवंटन की प्रक्रिया साक्षात्कार के जरिए करने के लिए कहा गया। जिसमें आवेदक की एक स्क्रीनिंग समिति द्वारा पूरी तरह से जांच की जाए। जिसमें मानकों के अनुसार आवंटी को कुल 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करना जरुरी होगा। इसमें सर्वाधिक योग्य और नंबर प्रतिशत हासिल करने वाले आवेदक को प्लाट आवंटित किया जाएगा। यदि वो समय से प्लाट राशि का भुगतान नहीं करता तो उसकी पंजीकरण राशि के साथ आवंटन जब्त कर लिया जाएगा। 8000 वर्गमीटर तक के प्लाट 8,000 वर्ग मीटर तक के औद्योगिक भूखंड के लिए कंपनियों की जांच के बाद ई नीलामी की जाएगी। स्क्रीनिंग समिति आवेदकों के तकनीकी प्रस्तावों का मूल्यांकन करेगी। यदि वे 60% अंक की सीमा को पूरा करते हैं। वे आवंटन प्रक्रिया में शामिल होंगे। ऐसे मामलों में जहां तीन या अधिक आवेदक किसी भूखंड में रुचि रखते हैं तो ई-नीलामी की जा सकती है। यदि तीन से कम पात्र बोली दाता आवेदन करते हैं। इस स्थिति में आवेदन फेज को दो बार बढ़ाया जा सकता हे। प्रत्येक विस्तार सात दिनों तक चल सकता है। जिससे अतिरिक्त आवेदक भी इस प्रक्रिया में हिस्सा ले सकेंगे। इन विस्तार के बाद यदि अभी भी तीन से कम बोली लगाने वाले हैं। इस स्थिति में प्रतिस्पर्धा के बगैर ही उच्चतम बोली लगाने वाले को भूखंड आवंटन किया जाएगा। किसी प्रकार का डिफॉल्टर तीनों ही प्राधिकरण की किसी भी आवंटन में हिस्सा नहीं ले सकेगा। पांच कंपनियां बना सकती है कंसोर्टियम कंसोर्टियम में 10,000 वर्ग मीटर या उससे अधिक के बड़े भूखंड के लिए आवेदक अधिकतम पांच संस्थाओं के साथ कंसोर्टियम बना सकते हैं। बशर्ते एक इकाई के पास मुख्य सदस्य के रूप में कम से कम 51% इक्विटी हिस्सेदारी हो। प्रत्येक कंसोर्शियम सदस्य को कम से कम 10% हिस्सेदारी बनाए रखनी होगी। समग्र वित्तीय योग्यताएं आनुपातिक रूप से पूरी होनी चाहिए। सभी कंसोर्टियम के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओए) होना आवश्यक है। जिसमें प्रत्येक सदस्य की भूमिका, उसकी वित्त जिम्मेदारी को पूरी तरह से साफ किया गया हो। आवंटन प्रक्रिया के दौरान कंसोर्शियम को लीज डीड करने के लिए भारत में पंजीकृत एक विशेष प्रयोजन कंपनी (एसपीसी) बनानी होगी। एसपीसी पूरी परियोजना की जिम्मेदारी लेगी। परियोजना पूरी होने और प्रमाणित होने तक सभी सदस्य उत्तरदायी होंगे। 1 लाख वर्गमीटर आवंटन के लिए देना होगा प्रमाण पत्र 1 लाख वर्ग मीटर तक के भूखंड के लिए आवेदकों को वैधानिक लेखा परीक्षक द्वारा प्रमाणित कम से कम 30 करोड़ रुपए की शुद्ध संपत्ति दिखानी होगी। इस आकार से अधिक के भूखंड के लिए न्यूनतम 60 करोड़ रुपए की शुद्ध संपत्ति की आवश्यकता होगी। ये मानदंड वित्तीय रूप से सक्षम संस्थाओं को आकर्षित करने के लिए निर्धारित किए गए थे जो बड़े पैमाने पर विकास की मांगों को संभाल सकते हैं। साथ ही वह छोटे भूखंड के लिए भी बोली लगा सकता है। बशर्ते यदि वह 15,000, 10,000 या 5,000 वर्ग मीटर के छोटे भूखंड पर भी बोली लगाता है तो उसे प्रत्येक बोली से जुड़ी बयाना राशि (ईएमडी) जमा करते हैं।

Nov 24, 2024 - 06:25
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एक जिला एक औद्योगिक नीति पर चलेंगी तीनों प्राधिकरण:'सार्क एंड एसोशिएट' ने 104 पेज का तैयार किया मसौदा; मुख्य सचिव को सौंपी रिपोर्ट
14 साल के इंतजार के बाद तीनों प्राधिकरण की औद्योगिक नीति एक समान होने जा रही है। इसके लिए सार्क एंड एसोशिएट कंपनी ने 35 अध्याय और 104 पेज की एक पॉलिसी तैयार की। इस पॉलिसी को ग्रेटर नोएडा के बोर्ड में रखा गया था। जिस पर मुख्य सचिव ने तीनों प्राधिकरण से अपने सुझाव मांगे थे। साथ ही एक प्रॉपर नीति तैयार कर प्रस्तुत करने के लिए कहा था। सीईओ नोएडा प्राधिकरण लोकेश एम ने बताया कि सुझाव को कंपाइल कर मुख्य सचिव को रिपोर्ट भेज दी गई है। जल्द ही इसे पास किया जा सकता है। दरअसल तीनों प्राधिकरण की औद्योगिक नीति को एक समान इसलिए किया जा रहा है क्योंकि ये एक ही गौतमबुद्ध नगर जिले का हिस्सा है। यहां आने वाले निवेशकों को कंफ्यूजन न हो। अक्सर देखा गया है कि समय के साथ तीनों प्राधिकरण निवेश के अनुसार अलग-अलग कई अधिसूचनाएं और आदेश जारी करते है। जिससे विशिष्ट मामलों के लिए सही नीतियों की पहचान करना कठिन हो गया। इसके परिणामस्वरूप अक्सर अधिकारियों को समान स्थितियों के लिए अलग-अलग नियम लागू करने पड़े। पॉलिसी को एक समान करने का प्रयास 2010 में शुरू किया गया। इसके तहत तीनों प्राधिकरण में पात्रता मानदंड, पट्टे की शर्त, किराया संरचना और सभी प्रकार औपचारिकताओं को एक समान करना था। जिसे तीनों प्राधिकरण में एक समान लागू किया जा सके। ऐसी हो सकती है औद्योगिक आवंटन पॉलिसी सार्क एंड एसोशिएट द्वारा तैयार की गई इस नीति को भूखंड के आकार के अनुसार आवंटन श्रेणी में बांटा गया है। 8000 वर्गमीटर से अधिक के भूखंड 8,000 वर्ग मीटर से अधिक के औद्योगिक भूखंडों के आवंटन की प्रक्रिया साक्षात्कार के जरिए करने के लिए कहा गया। जिसमें आवेदक की एक स्क्रीनिंग समिति द्वारा पूरी तरह से जांच की जाए। जिसमें मानकों के अनुसार आवंटी को कुल 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करना जरुरी होगा। इसमें सर्वाधिक योग्य और नंबर प्रतिशत हासिल करने वाले आवेदक को प्लाट आवंटित किया जाएगा। यदि वो समय से प्लाट राशि का भुगतान नहीं करता तो उसकी पंजीकरण राशि के साथ आवंटन जब्त कर लिया जाएगा। 8000 वर्गमीटर तक के प्लाट 8,000 वर्ग मीटर तक के औद्योगिक भूखंड के लिए कंपनियों की जांच के बाद ई नीलामी की जाएगी। स्क्रीनिंग समिति आवेदकों के तकनीकी प्रस्तावों का मूल्यांकन करेगी। यदि वे 60% अंक की सीमा को पूरा करते हैं। वे आवंटन प्रक्रिया में शामिल होंगे। ऐसे मामलों में जहां तीन या अधिक आवेदक किसी भूखंड में रुचि रखते हैं तो ई-नीलामी की जा सकती है। यदि तीन से कम पात्र बोली दाता आवेदन करते हैं। इस स्थिति में आवेदन फेज को दो बार बढ़ाया जा सकता हे। प्रत्येक विस्तार सात दिनों तक चल सकता है। जिससे अतिरिक्त आवेदक भी इस प्रक्रिया में हिस्सा ले सकेंगे। इन विस्तार के बाद यदि अभी भी तीन से कम बोली लगाने वाले हैं। इस स्थिति में प्रतिस्पर्धा के बगैर ही उच्चतम बोली लगाने वाले को भूखंड आवंटन किया जाएगा। किसी प्रकार का डिफॉल्टर तीनों ही प्राधिकरण की किसी भी आवंटन में हिस्सा नहीं ले सकेगा। पांच कंपनियां बना सकती है कंसोर्टियम कंसोर्टियम में 10,000 वर्ग मीटर या उससे अधिक के बड़े भूखंड के लिए आवेदक अधिकतम पांच संस्थाओं के साथ कंसोर्टियम बना सकते हैं। बशर्ते एक इकाई के पास मुख्य सदस्य के रूप में कम से कम 51% इक्विटी हिस्सेदारी हो। प्रत्येक कंसोर्शियम सदस्य को कम से कम 10% हिस्सेदारी बनाए रखनी होगी। समग्र वित्तीय योग्यताएं आनुपातिक रूप से पूरी होनी चाहिए। सभी कंसोर्टियम के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओए) होना आवश्यक है। जिसमें प्रत्येक सदस्य की भूमिका, उसकी वित्त जिम्मेदारी को पूरी तरह से साफ किया गया हो। आवंटन प्रक्रिया के दौरान कंसोर्शियम को लीज डीड करने के लिए भारत में पंजीकृत एक विशेष प्रयोजन कंपनी (एसपीसी) बनानी होगी। एसपीसी पूरी परियोजना की जिम्मेदारी लेगी। परियोजना पूरी होने और प्रमाणित होने तक सभी सदस्य उत्तरदायी होंगे। 1 लाख वर्गमीटर आवंटन के लिए देना होगा प्रमाण पत्र 1 लाख वर्ग मीटर तक के भूखंड के लिए आवेदकों को वैधानिक लेखा परीक्षक द्वारा प्रमाणित कम से कम 30 करोड़ रुपए की शुद्ध संपत्ति दिखानी होगी। इस आकार से अधिक के भूखंड के लिए न्यूनतम 60 करोड़ रुपए की शुद्ध संपत्ति की आवश्यकता होगी। ये मानदंड वित्तीय रूप से सक्षम संस्थाओं को आकर्षित करने के लिए निर्धारित किए गए थे जो बड़े पैमाने पर विकास की मांगों को संभाल सकते हैं। साथ ही वह छोटे भूखंड के लिए भी बोली लगा सकता है। बशर्ते यदि वह 15,000, 10,000 या 5,000 वर्ग मीटर के छोटे भूखंड पर भी बोली लगाता है तो उसे प्रत्येक बोली से जुड़ी बयाना राशि (ईएमडी) जमा करते हैं।

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