कमलानगर जैन मंदिर में हुआ पिच्छी परिवर्तन समारोह का आयोजन:भक्तों को मिला उपाध्याय श्री विहसंतसागर जी महाराज का मंगल सानिध्य
आगरा में कमला नगर स्थित श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर डी ब्लॉक कमला नगर में पावापुरी के जलमंदिर की बनी भव्य रचना पर मेडिटेशन गुरु उपाध्याय श्री सागर महाराज एवं मुनि श्री विश्वसौम्य सागर जी महाराज ससंघ के मंगल सानिध्य में भव्य पिच्छिका परिवर्तन समारोह का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ बालिका ने सुंदर नृत्य कर मंगलाचरण की प्रस्तुति के साथ किया्।सौभाग्यशाली भक्तों ने समाधिस्थ आचार्य श्री विरागसागर जी महाराज के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्वलन किया। साथ ही शालीमार एनक्लेव कर्मयोगी एनक्लेव छीपीटोला, सदर, ताजगंज, जयपुर हाउस,मोती कटरा, कलाकुंज,अवधपुरी के जैन समाज के अलावा की विभिन्न शैलियों से पधारे जैन समाज के लोगों ने उपाध्याय श्री के चरणों में श्रीफल भेंट कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। श्रावकश्रेष्ठी ने उपाध्याय श्री के चरणों का प्रक्षालन किया| इस दौरान कमलानगर और छीपीटोला की बालिकाओं ने मनमोहक सांस्कृतियां दीं। भक्तों ने अष्ट द्रव्यों के साथ समाधिस्थ आचार्य श्री विरागसागर जी महाराज, चार्य शिरोमणि आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज और उपाध्याय श्री विहसंतसागर जी महाराज का संगीतमय पूजन किया| उपाध्याय श्री विहसंतसागर जी महाराज को नवीन पिंछी अर्पितमय पावन वर्षायोग समिति के गौरवाध्यक्ष प्रदीप जैन पीएनसी, अभिनंदन जैन, ईशू जैन पीएनसी परिवार ने भेंट की। उपाध्याय श्री की पुरानी पिंछी का सौभाग्य मनीष जैन परिवार ने प्राप्त किया। मुनिश्री विश्वसौम्य सागर जी महाराज की नवीन पिच्छी देने का सौभाग्य रोहित जैन अंहिसा परिवार को प्राप्त हुआ। मुनिश्री की पुरानी पिंछी लेने का सौभाग्य विकास जैन कमला नगर परिवार ने प्राप्त की| महाराज ने भक्तों के दिए मंगल प्रवचन उपाध्याय श्री विहसंतसागर जी महाराज ने मंगल प्रवचन में कहा कि दिगंबर जैन साधु के पास तीन उपकरण के अलावा और कुछ भी नहीं होता। पिच्छिका, कमंडल और शास्त्र अपनी जीवन भर साधना करते रहते हैं। संयमोपकरण जिसे पिच्छिका कहते हैं। यह पिच्छिका मोर पंखों से निर्मित होती है। मोर स्वतः ही इन पंखों को वर्ष में तीन बार छोड़ते हैं। उन्हीं छोड़े हुए पंखों को इकट्ठा करके श्रावकगण पिच्छिका का निर्माण करते हैं। पिच्छिका के माध्यम से मुनिराज अपने संयम का पालन करते हैं। जब कहीं उठते बैठते हैं। तब उस समय जमीन एवं शरीर का पिच्छिका के माध्यम से परिमार्जन कर लेते हैं। ताकि जो आंखों से दिखाई नहीं देते। ऐसे जीवों का घात न हो। यह पिच्छिका उस समय भी उपयोग करते हैं। जब शास्त्र या कमंडल को रखना या उठाना हो। संचालन मनोज जैन बाकलीवाल ने किया|अर्पितमय पावन वर्षायोग समिति ने मंगल चातुर्मास में व्यवस्था करने वाले सभी पदाधिकारियों का प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत अभिनंदन किया। प्रदीप जैन पीएनसी एवं मुख्य संयोजक मनोज जैन बाकलीवाल को भी सम्मानित किया गया| समापन के बाद उपाध्याय श्री विहसंत सागर जी महाराज ससंघ ने कमला नगर चातुर्मास स्थल से छीपीटोला जैन मंदिर की ओर मंगल विहार किया| इस मौके पर रही मौजूदगी इस मौके पर शशि जैन पाटनी, ख्याति जैन, प्रदीप जैन, अभिनंदन जैन, रोहित जैन, राहुल जैन, जगदीश प्रसाद जैन,सुनील जैन ठेकेदार राकेश जैन पर्दे वाले,मनोज जैन बाकलीवाल यशपाल जैन,पारस जैन,शैलेंद्र जैन रपरिया, मुकेश जैन रपरिया, अनिल जैन, पारसबाबू जैन, अनिल रईस,नरेश जैन, राजकुमार गुड्डू, प्रवीन जैन, अरुण जैन छोटू, कुमार मंगलम जैन, अंशुल जैन, समकित जैन, अनुज जैन, शुभम जैन आदि मौजूद रहे।
What's Your Reaction?