चुनाव आयोग का ऐतिहासिक निर्णय: डाक मतपत्रों की गिनती को पारदर्शी बनाने के नए नियम
नई दिल्ली: लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने डाक मतपत्रों की गिनती की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि डाक मतपत्रों की गिनती पूरी होने से पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की गिनती का अंतिम चरण शुरू नहीं होगा। इस …

चुनाव आयोग का ऐतिहासिक निर्णय: डाक मतपत्रों की गिनती को पारदर्शी बनाने के नए नियम
कम शब्दों में कहें तो, भारत निर्वाचन आयोग ने चुनावों में पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए डाक मतपत्रों की गिनती में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। मतगणना की प्रक्रिया को और अधिक निष्पक्ष बनाने का प्रयास किया गया है। Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - India Twoday
नई दिल्ली: लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने डाक मतपत्रों की गिनती की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि डाक मतपत्रों की गिनती पूरी होने से पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की गिनती का अंतिम चरण शुरू नहीं होगा। इस कदम से मतगणना प्रक्रिया को और अधिक निष्पक्ष और सुव्यवस्थित बनाने का प्रयास किया गया है।
नई व्यवस्था की विशेषताएँ
पहले की व्यवस्था के अनुसार, गिनती के दिन सुबह 8 बजे डाक मतपत्रों की गिनती आरम्भ होती थी और सुबह 8:30 बजे ईवीएम की गिनती शुरू हो जाती थी। यह प्रक्रिया पहले इस प्रकार थी कि डाक मतपत्रों की गिनती पूरी होने से पहले ही ईवीएम की गिनती समाप्त की जा सकती थी। लेकिन अब, आयोग ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसके तहत ईवीएम की गिनती तब तक शुरू नहीं होगी, जब तक डाक मतपत्रों की गिनती पूरी नहीं होती। इस बदलाव से मतगणना में किसी भी तरह के भ्रम या जल्दबाजी की आशंका को खत्म किया जा सकेगा।
बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार लागू
चुनाव आयोग ने यह भी घोषणा की है कि यह नई व्यवस्था सबसे पहले बिहार विधानसभा चुनावों में लागू होगी, जो नवंबर 2025 में होने वाले हैं। आयोग का कहना है कि यह निर्णय मतगणना को एकरूप, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाएगा, जिससे मतदाताओं और उम्मीदवारों के बीच विश्वास बढ़ेगा। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी कि चुनावी निष्पक्षता में किसी भी तरह की असमानता की शिकायतें उत्पन्न न हों।
संसाधनों का सुव्यवस्थित प्रबंधन
आयोग ने यह सुनिश्चित किया है कि जिन निर्वाचन क्षेत्रों में डाक मतपत्रों की संख्या अधिक होगी, वहाँ पर्याप्त संख्या में गिनती टेबल और कर्मचारियों की तैनाती की जाए। इसका मुख्य उद्देश्य गिनती में देरी को रोकना और प्रक्रिया को समयबद्ध बनाना है। विशेषकर उन क्षेत्रों के लिए यह कदम महत्वपूर्ण है, जहां डाक मतपत्रों की संख्या में वृद्धि देखी गई है।
डाक मतपत्रों की संख्या में वृद्धि
हाल ही में निर्वाचन आयोग ने दिव्यांग मतदाताओं और 85 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए घर से मतदान की सुविधा शुरू की है। इस पहल के चलते डाक मतपत्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस बढ़ती संख्या को देखते हुए गिनती की प्रक्रिया को और अधिक व्यवस्थित करने की आवश्यकता महसूस की गई थी। आयोग का यह कदम उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
पारदर्शिता और जनता का विश्वास
चुनाव आयोग का मानना है कि यह नया नियम न केवल मतगणना प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगा, बल्कि जनता और राजनीतिक दलों के बीच चुनावी प्रक्रिया पर विश्वास को और मजबूत करेगा। डाक मतपत्रों की गिनती पूरी होने तक ईवीएम की अंतिम गिनती को रोके रखने का निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि सभी वोटों की गणना में निष्पक्षता और समानता बनी रहे। यह कदम उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को यह विश्वास देता है कि मतगणना में किसी भी प्रकार की जल्दबाजी या अनियमितता नहीं होगी। बिहार विधानसभा चुनाव इस नई व्यवस्था का पहला परीक्षण होंगे, जिसके परिणाम देश के अन्य चुनावों के लिए भी दिशा-निर्देशक बन सकते हैं।
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सधन्यवाद,
Team India Twoday, स्नेहा शर्मा
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