देश के 200 टोल-प्लाजा पर पायरेटेड-साफ्टवेयर से करोड़ो का गबन:12 राज्यों के 42 टोल प्लाजा पर चल रहा था ठगी का खेल, राडार पर टोल मैनेजर

यूपी एसटीएफ ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर के माध्यम से धोखाधड़ी कर करोड़ों रुपए के टोल टैक्स का गबन करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह आरोपी देश के 12 राज्यों में सरकार के समानांतर सॉफ्टवेयर के माध्यम से धोखाधड़ी की घटनाओं को काफी समय से अंजाम दे रहे थे। इसके साथ ही करोड़ों रुपए का टोल टैक्स गबन कर राष्ट्रीय राजस्व को भी नुकसान पहुंचा रहे थे। इस मामले में एसटीएफ ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में आलोक कुमार सिंह जौनपुर जिले का रहने वाला है जो की वाराणसी में रहता है जबकि मनीष मिश्रा मध्य प्रदेश का रहने वाला है तीसरा आरोपी राजीव कुमार मिश्रा प्रयागराज जिले का रहने वाला है। आरोपियों के कब्जे से दो लैपटॉप एक प्रिंटर पांच मोबाइल फोन एक मारुति कार और ₹19000 से अधिक रुपए भी बरामद किए गए हैं। इन तीनों आरोपियों को मिर्जापुर जिले के लालगंज थाना क्षेत्र के अतरौला टोल प्लाजा के पास से गिरफ्तार किया गया है। लगातार मिल रही थी धोखाधड़ी की शिकायतें यूपी एसटीएफ को राष्ट्रीय राजमार्गों के विभिन्न टोल प्लाजा पर फास्ट ट्रैक रहित और फास्ट ट्रैक अकाउंट में पर्याप्त धनराशि न होने पर उन वाहनों से टोल प्लाजा के बूथ कंप्यूटर में NHI के सॉफ्टवेयर सर्वर के अतिरिक्त अलग से सॉफ्टवेयर के माध्यम से धोखाधड़ी की लगातार शिकायतें मिल रही थी। इन्हीं शिकायतों के आधार पर यूपी एसटीएफ वाराणसी के अपर पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार सिंह और लखनऊ के अपर पुलिस अधीक्षक विमल कुमार सिंह की टीम लगातार मामले की मॉनिटरिंग में जुटी हुई थी। इसी बीच एसडीओ को सूचना मिली कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सॉफ्टवेयर में अलग से सॉफ्टवेयर बनाने और इंस्टॉल करने वाला व्यक्ति वाराणसी में है। इस सूचना पर एसटीएफ की टीम ने बाबतपुर एयरपोर्ट के पास से आलोक कुमार सिंह को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। टोल प्लाजा पर काम कर चुका है आलोक सिंह एसटीएफ की पोस्ट ऑफिस आलोक सिंह ने बताया कि वह पूर्व में टोल प्लाजा पर काम कर चुका है इसके साथ ही एमसीए भी किया हुआ है। आरोपी को सॉफ्टवेयर बनाने की अच्छी जानकारी है रिद्धि सिद्धि कंपनी के साथ पूर्व में सावंत और सुखांतु के साथ भी काम किया है। वहीं से टोल प्लाजा का ठेका लेने वाली कंपनियां के संपर्क में आया। आरोपी को यदि पता है कि भारत के सभी टोल प्लाजा पर फास्टैग अनिवार्य हैं जो वहां बिना फास्ट ट्रैक के टोल प्लाजा से गुजरते हैं। उनसे पेनाल्टी के रूप में दोगुना टोल टैक्स वसूला जाता है। डेवलप किया सॉफ्टवेयर आरोपी आलोक सिंह ने बताया कि मीणा फास्ट टैग वाले वाहनों से दोगुना शुल्क वसूली कर गबन करने के उद्देश्य से टोल प्लाजा मालिकों की मिली भगत से आलोक सिंह ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया जो टोल प्लाजा के किसी एक बूथ पर लगे सिस्टम जिसमें NHAI का सॉफ्टवेयर लगा रहता है। उसी में टोल में काम करने वाले आईटी कर्मियों की मिली भगत से ऑनलाइन और ऑफलाइन सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर दिया जाता था। जिसका सीधा एक्सेस अपने निजी लैपटॉप से आरोपी कर लेता था। ऐसे में टोल प्लाजा से गुजरने वाले फास्ट ट्रैक रहित वाहनों से लिए जाने वाले दोगुना टोल शुल्क आलोक सिंह द्वारा बनाए गए सॉफ्टवेयर के माध्यम से वसूला जाता था। उसकी भी प्रिंट पर्ची NHAI के सॉफ्टवेयर के समान ही होती थी। इसके साथ ही प्रत्येक टोल बूथ के ट्रांजैक्शन का विवरण आलोक सिंह के लैपटॉप में प्रदर्शित होता था। नियमानुसार फास्ट टैग रहित वाहनों से वसूले जाने वाले टोल टैक्स का 50% NHAI के खाते में जमा करना होता है। जबकि आलोक सिंह द्वारा इंस्टॉल किए गए सॉफ्टवेयर के माध्यम से टोल प्लाजा मालिकों द्वारा बिना फास्ट टैग वाले वाहनों से वसूली गई धनराशि का गबन कर लिया जाता था। इसके साथ ही अवैध वसूली के वाहन को वाहन शुल्क से मुक्त श्रेणी दिखाकर वाहन को जाने दिया जाता था। बिना फास्ट टैग वाले वाहनों से वसूले गए टोल टैक्स की औसतन 5% धनराशि NHAI के असली सॉफ्टवेयर से वसूली जाती है जिससे सामान्य रूप से किसी को शक ना हो कि फास्ट्रेक रहित वाहनों का टोल टैक्स खाते में नहीं जा रहा है। आपस में बांटी जाती थी गबन की धन राशि गबन की इस धनराज को टोल प्लाजा मालिकों टोल प्लाजा के आईटी कर्मियों और अन्य कर्मियों के बीच में बांट ली जाती थी। आलोक सिंह ने अभी बताया कि उसके साथ ही सावंत और सुखांतु की देखरेख में देश के 200 से अधिक टोल प्लाजा पर इस तरह के सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करके टोल टैक्स का गबन किया जा रहा है। आलोक सिंह ने देश के 42 टोल प्लाजा पर अपना सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया है। इससे जो धनराज प्राप्त होती थी उसे अपने खाते के साथ ही अपने परिजनों और ससुर के बैंक खाते में ट्रांसफर कर लेता था। मिर्जापुर के टोल प्लाजा में हो रहा था प्रतिदिन 45000 का गबन एसटीएफ की पूछताछ में आलोक ने बताया कि विगत दो वर्षों से आलोक की काम में जुड़ा हुआ है। मिर्जापुर जिले के अतरैला शिव गुलाम टोल प्लाजा लालगंज पेरिस सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किया गया है। जहां प्रतिदिन 45000 रुपए के टोल टैक्स का गबन हो रहा था। एसटीएफ का कहना है कि अन्य टोल प्लाजा के बारे में भी छानबीन की जा रही है। देश के 12 राज्यों के 42 टोल प्लाजा पर लगा था सॉफ्टवेयर एसटीएफ की पूछताछ में आरोपी ने बताया कि देश के 42 टोल प्लाजा पर यह सॉफ्टवेयर लगाया गया था। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र राजस्थान छत्तीसगढ़ असम जम्मू कश्मीर महाराष्ट्र गुजरात झारखंड हिमाचल प्रदेश उड़ीसा पश्चिम बंगाल प्रमुख रूप से शामिल हैं। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के प्रयागराज आजमगढ़ बरेली बागपत मिर्जापुर शामली गोरखपुर जिले के टोल प्लाजा पर सर्वर लगाए गए थे।

Jan 23, 2025 - 04:00
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देश के 200 टोल-प्लाजा पर पायरेटेड-साफ्टवेयर से करोड़ो का गबन:12 राज्यों के 42 टोल प्लाजा पर चल रहा था ठगी का खेल, राडार पर टोल मैनेजर
यूपी एसटीएफ ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर के माध्यम से धोखाधड़ी कर

देश के 200 टोल-प्लाजा पर पायरेटेड-साफ्टवेयर से करोड़ो का गबन

पायरेटेड सॉफ़्टवेयर का मामला

देश भर में 200 टोल-प्लाजा पर पायरेटेड सॉफ़्टवेयर का उपयोग करते हुए करोड़ों रुपये का गबन किया गया है। यह एक गंभीर मामला है जो भारतीय टोलिंग सिस्टम के लिए खतरे की घंटी है। इस घोटाले में 12 राज्यों के 42 टोल प्लाजा सीधे तौर पर शामिल थे। इन टोल प्लाजा के मैनेजर और उनके सहायक इस ठगी के खेल में संलिप्त पाए गए हैं। यह खुलासा विभिन्न जांच एजेंसियों के द्वारा किया गया है जो इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच में जुटी हुई हैं।

टोल मैनेजर की भूमिका

टोल प्लाजा के मैनेजर इस योजना के मुख्य सूत्रधार के रूप में सामने आए हैं। वे जानबूझकर इन पायरेटेड सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके टोल कलेक्शन में हेरफेर कर रहे थे, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। इस मामले में प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि टोल प्लाजा में पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित की जा सके।

मामला के चर्चित पहलू

इस ठगी का विषय विभिन्न चैनलों और समाचार पत्रों में चर्चित रहा है। विभिन्न विभाग इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं। जिन राज्यों पर अभी तक संदेहित गतिविधियों का आरोप लगा है, उनमें दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, और अन्य राज्य शामिल हैं। ऐसा लग रहा है कि यदि जल्दी ही ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह घोटाला आगे और भी फैल सकता है।

समस्या के संभावित समाधान

इस तरह की आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए नए नियमों और कड़ी निगरानी की आवश्यकता है। आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए इन सिस्टमों की सुरक्षा को मजबूत करना चाहिए। यह न केवल टोल प्लाजा के वित्तीय संकट को रोकने में मदद करेगा, बल्कि आम जनता का विश्वास भी बनाए रखेगा।

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