देहरादून: बच्चों से मजदूरी कराने पर प्राइमरी स्कूल की प्रधानाध्यापिका निलंबित, मामला गंभीर

रैबार डेस्क:  उत्तराखंड के स्कूलों में इन दिनों स्कूल टाइम पर बच्चों से बालश्रम करवाए... The post देहरादून: बच्चे ढोते रहे रेत बजरी, स्कूली बच्चों से मजदूरी कराने पर प्राइमरी स्कूल की प्रधानाध्यापिका सस्पेंड appeared first on Uttarakhand Raibar.

Oct 7, 2025 - 00:27
 67  7612

देहरादून: बच्चों से मजदूरी कराने पर प्राइमरी स्कूल की प्रधानाध्यापिका निलंबित, मामला गंभीर

Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - India Twoday

कम शब्दों में कहें तो, देहरादून के एक प्राइमरी स्कूल में बच्चों से बाल श्रम कराए जाने की एक गंभीर घटना सामने आई है। इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए स्कूल की प्रधानाध्यापिका को निलंबित कर दिया गया है।

उत्तराखंड के विद्यालयों में पिछले कुछ समय से स्कूली बच्चों से बाल श्रम करवाने के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। इस संदर्भ में देहरादून के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बांध विस्थापित टीएस्टेट बंजारावाला में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें स्पष्ट रूप से बच्चों को रेत ढोते और मजदूरी करते हुए देखा जा सकता है।

वीडियो में छोटे-छोटे बच्चे फावड़े, बेल्चे और तसले के साथ रेत के ढेर को साफ कर रहे हैं। यह न केवल एक अनैतिक व्यवहार है, बल्कि यह बाल श्रम कानूनों का भी गंभीर उल्लंघन है। वीडियो देख कर यह साफ होता है कि स्कूल के 6 शिक्षक भी इस दुराचार पर चुप्पी साधे रहे, जिसकी ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। यह स्थिति विचारणीय है कि क्या हमारे शिक्षा संस्थानों में बच्चों के उत्तम भविष्य की गारंटी दी जा रही है या उन्हें ऐसे कामों में बलिदान किया जा रहा है।

प्रशासन ने वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए त्वरित कार्रवाई की। मुख्य शिक्षा अधिकारी ने इसे बाल श्रम के कानूनों का उल्लंघन मानते हुए स्कूल की प्रभारी प्रधानाध्यापिका अंजू मनादुली को निलंबित किया। साथ ही, अन्य शिक्षकों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। ऐसे कदम इस दिशा में सकारात्मक संकेत देते हैं कि प्रशासन बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को गंभीरता से ले रहा है।

समाज के प्रति जिम्मेदारी

बाल श्रम एक गंभीर मुद्दा है जो शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी रुकावट डालता है। यह सिर्फ शिक्षा प्रणाली के लिए ही नहीं, बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है कि कितनी जल्दी हमें इस मुद्दे का सामना करना पड़ेगा। हमें यह पहचानना होगा कि हमारे बच्चों का शिक्षा का अधिकार उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है और इसे किसी भी परिस्थिति में बाधित नहीं किया जाना चाहिए।

अन्य शिक्षा संस्थानों के लिए संदेश

यह घटना अन्य शिक्षण संस्थानों के लिए भी एक सबक होनी चाहिए। ऐसे मामलों में लापरवाही या सहिष्णुता भविष्य में गंभीर परिणाम ला सकती है। प्रशासन को चाहिए कि सभी शैक्षणिक संस्थानों पर निगरानी बढ़ाए और सुनिश्चित करें कि बच्चे स्कूल में सिर्फ सीखने के लिए जाएं, न कि श्रमिक बनने के लिए।

अंततः, बच्चो के शिक्षा के अधिकारों को सुनिश्चित करने में सरकारी संस्थाओं, माता-पिता और समाज की भी जिम्मेदारी बनती है।

अपने समय पर बच्चों को सही शिक्षा देने की आवश्यकता है, जिससे वे एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकें। इसमें सभी का प्रयास आवश्यक है।

अधिक अपडेट्स के लिए, हमारे साथ चलते रहें और India Twoday पर विजिट करें।

Team India Twoday - साक्षी शर्मा

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow