नायब सूबेदार नरेंद्र सिंह आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद:हाथरस के रहने वाले थे, छुट्टी के बाद 3 जनवरी को ज्वाइन की थी ड्यूटी
असम के जोरहाट में तैनात सादाबाद तहसील के गांव कुरसंडा के वीर सपूत नायब सूबेदार नरेंद्र सिंह (41) ने आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान अपने प्राणों की आहुति दे दी। आठ जाट रेजीमेंट में तैनात नरेंद्र सिंह हाल ही में नायब सूबेदार के पद पर पदोन्नत हुए थे। नरेंद्र सिंह 1 जनवरी को अपने गांव से छुट्टी काटकर ड्यूटी के लिए रवाना हुए थे और 3 जनवरी को जोरहाट में अपनी ड्यूटी ज्वाइन की थी। देर रात आतंकियों से हुई मुठभेड़ में उनकी शहादत की खबर सबसे पहले ग्राम प्रधान को मिली, जिन्होंने तुरंत परिवार को सूचित किया। मोहन सिंह के पुत्र नरेंद्र सिंह की शहादत की खबर मिलते ही पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। वीर सपूत के पार्थिव शरीर के आगमन की प्रतीक्षा में गांववासी एकजुट हैं। परिजन शहीद के पार्थिव शरीर को लेने जोरहाट के लिए रवाना हो गए हैं। पूरा क्षेत्र अपने वीर सपूत को श्रद्धांजलि देने के लिए एकजुट है।

नायब सूबेदार नरेंद्र सिंह आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद
नायब सूबेदार नरेंद्र सिंह ने आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में अपने जीवन का बलिदान दिया। यह घटना उनकी वीरता और देशभक्ति को दर्शाती है। नरेंद्र सिंह का जन्म और पालन-पोषण हाथरस, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने अपनी ड्यूटी के लिए अत्यधिक समर्पण दिखाते हुए छुट्टी के बाद 3 जनवरी को अपनी ड्यूटी फिर से ज्वाइन की थी।
शहीद का परिचय
नायब सूबेदार नरेंद्र सिंह की शहादत ने उनके परिवार और समाज में शोक की लहर दौड़ा दी है। उनके अदम्य साहस और बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा। नरेंद्र सिंह ने भारतीय सेना के प्रति अपनी निष्ठा दिखाते हुए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
घटनाक्रम का विवरण
मुठभेड़ की यह घटना हाल ही में उस समय घटित हुई जब नरेंद्र सिंह और उनके साथियों ने आतंकियों की एक टीम के खिलाफ ऑपरेशन में भाग लिया। इस मुठभेड़ में वह अग्रिम पंक्ति में थे और उन्होंने अपने साथी सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए साहसपूर्वक लड़ाई लड़ी। उनकी शहादत ने दिखाया कि भारतीय सेना हमेशा देश की रक्षा के लिए तत्पर है।
समाज में शोक और श्रद्धांजलि
नरेंद्र सिंह की शहादत के बाद उनके गांव में शोक का माहौल है। उनके दोस्तों, परिवार और गांव वालों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। इस शहीद ने हमेशा अपने समाज की रक्षा के लिए काम किया और उनके जाने से हर कोई दुखी है। स्थानीय प्रशासन और उनके साथी सैनिकों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देने का संकल्प लिया है।
नायब सूबेदार नरेंद्र सिंह की शहादत हमें यह याद दिलाती है कि देश की रक्षा करना एक बहुत ही महत्वपूर्ण कर्तव्य है। उनके साहस और बलिदान को कभी नहीं भुलाया जाएगा। हम सभी को अपने सिपाहियों के बलिदान को सम्मान देना चाहिए और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए।
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