सोनभद्र में धूमधाम से मनाया गया लोहड़ी का त्योहार:गुरुद्वारे में अलाव जलाकर पंजाबी संस्कृति की विशेष परंपरा का आयोजन

सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज में स्थित गुरुद्वारे में मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर लोहड़ी का त्योहार बड़े उत्साह और परंपरागत तरीके से मनाया गया। सोमवार की शाम को गुरुद्वारे के पास अलाव जलाकर पंजाबी संस्कृति की इस विशेष परंपरा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों ने एकत्र होकर पारंपरिक लोहड़ी गीत गाए और पंजाबी संगीत की धुनों पर भांगड़ा किया। समारोह में जसवीर सिंह ने लोहड़ी के महत्व को समझाते हुए बताया कि यह त्योहार किसानों की फसल कटाई के बाद मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा है, जिस कारण यह त्योहार खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। त्योहार की परंपरा के अनुसार, तिल, गुड़, मूंगफली और रेवड़ी का सेवन किया जाता है, जो जीवन में मिठास लाने का प्रतीक माना जाता है। कार्यक्रम में रणजीत सिंह, सुरेंद्र सिंह, अजीत सिंह, देवेंद्र सिंह, दया सिंह, बलविंदर सिंह, कमलेश सिंह, रविंद्र सिंह, रवि, मनमीत सिंह, मनजीत सिंह, संतोष सिंह और अमन सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। समारोह में सभी ने एक-दूसरे को लोहड़ी की शुभकामनाएं दी। प्रेम, सहयोग और सौभाग्य की कामना की।

Jan 13, 2025 - 22:55
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सोनभद्र में धूमधाम से मनाया गया लोहड़ी का त्योहार:गुरुद्वारे में अलाव जलाकर पंजाबी संस्कृति की विशेष परंपरा का आयोजन
सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज में स्थित गुरुद्वारे में मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर लोहड़ी का त्यो

सोनभद्र में धूमधाम से मनाया गया लोहड़ी का त्योहार

लोहड़ी का त्योहार अब पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है, और सोनभद्र भी इससे अछूता नहीं रहा। यहाँ पर आयोजित कार्यक्रम ने पंजाबी संस्कृति की विशेष परंपराओं को जीवंत किया, जहां गुरुद्वारे में अलाव जलाकर लोगों ने एकजुटता के साथ इस उत्सव को मनाने का संकल्प लिया।

पंजाबी संस्कृति का उत्सव

लोहड़ी का त्योहार पंजाबी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे हर साल 13 जनवरी को मनाया जाता है। यह त्योहार एकत्रित होने, खुशियाँ मनाने और बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। सोनभद्र में लोहड़ी के मौके पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें स्थानीय निवासी, परिवार और मित्र एकत्रित होकर खुशियाँ बाँटते हैं।

गुरुद्वारे में अलाव का महत्व

गुरुद्वारे में अलाव जलाने की परंपरा इस त्योहार का मुख्य आकर्षण होती है। लोग इस अलाव के चारों ओर एकत्रित हो कर ग गाते हैं, नृत्य करते हैं और पारंपरिक भालियों का आनंद लेते हैं। यह अलाव केवल एक अग्नि नहीं है, बल्कि यह परिवार, मित्रता और सामुदायिक एकता का प्रतीक है।

समुदाय का सहयोग

इस वर्ष लोहड़ी के पर्व पर सोनभद्र के निवासियों ने एकजुटता और सहयोग का अद्भुत उदाहरण पेश किया। स्थानीय व्यापारियों ने कार्यक्रम को सफल बनाने में मदद की, जबकि युवाओं ने उत्सव की तैयारियों में सक्रिय रूप से भाग लिया। सभी ने मिलकर इस पर्व को यादगार बनाने का प्रयास किया।

उत्सव का समापन

लोहड़ी का त्योहार सोनभद्र में रंग-रंगीत के साथ समाप्त हुआ। यहाँ उपस्थित लोगों ने घरों में लोहड़ी का जश्न मनाया, मिठाइयों का वितरण किया और पारंपरिक पकवानों का आनंद लिया। इस उत्सव ने न केवल पंजाबी संस्कृति की समृद्धि को दर्शाया, बल्कि समुदाय में एकता और भाईचारे की भावना को भी बढ़ावा दिया।

इस प्रकार, सोनभद्र में लोहड़ी का त्योहार एक सफल और आनंदमयी कार्यक्रम के रूप में मनाया गया।

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