पहलगाम हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि:लखनऊ में सैकड़ों लोगों ने कैंडल मार्च निकाला, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए
लखनऊ के विकल्प खंड दो में श्री भोलेश्वर महादेव मंदिर पर शोक सभा का आयोजन किया गया। यहां पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए भारतीय नागरिकों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।गजेंद्र सिंह चौहान के नेतृत्व में मंदिर से कैंडल मार्च निकाला गया। इस दौरान लोगों ने भारत माता की जय और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की गई। कैंडल मार्च में राजेंद्र सिंह कनवाल, एसबीके त्रिपाठी, सुरेश चंद्र मिश्रा, आर एन मिश्रा, एस एन गुप्ता, यू पी सिंह, केके तिवारी, मुन्ना जायसवाल, नीरज गुप्ता, सुनीता कनवाल और विद्या रानी मिश्रा समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए। सभी ने इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा की।

पहलगाम हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि
लखनऊ में सैकड़ों लोगों ने हाल ही में हुए पहलगाम हमले में मारे गए innocents की याद में कैंडल मार्च निकाला। यह मार्च शहर के प्रमुख चौराहे से शुरू हुआ और लोगों ने एकजुटता एवं शोक प्रकट करते हुए पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। ऐसे समय में जब देश के नागरिकों के बीच एकता इस संकट की घड़ी में महत्वपूर्ण है, यह कैंडल मार्च एक सशक्त संदेश देने का प्रयास था।
कैंडल मार्च का आयोजन
कैंडल मार्च का आयोजन विभिन्न सामाजिक संगठनों और समुदायों द्वारा किया गया था, जिसमें स्थानीय नेता, छात्र, और आम नागरिक शामिल हुए। मार्च का मुख्य उद्देश्य शहीदों को श्रद्धांजलि देना और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता व्यक्त करना था। उपस्थित लोगों ने न केवल कैंडल जलाए, बल्कि शांति और एकता का संदेश भी फैलाया।
भावनात्मक क्षण
इस अवसर पर कई वक्ताओं ने अपनी भावनाएं साझा कीं और शहीदों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। आयोजकों ने कहा कि ऐसे हमलों के खिलाफ सभी को एकजुट होना चाहिए और आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एकजुटता की आवश्यकता है। कैंडल मार्च के दौरान कई लोग आँसुओं के साथ अपने प्रियजनों को याद कर रहे थे, जिन्होंने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में अपनी जान गंवाई।
समुदाय की एकता
लोगों का मानना है कि इस तरह के मार्च से समाज में जागरूकता बढ़ती है और लोग एकजुट होकर अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं। लखनऊ के नागरिकों ने यह स्पष्ट किया कि वे आतंकवाद के खिलाफ हैं और ऐसा कोई भी प्रयास नहीं होने देंगे जो उनके देश को कमजोर करे।
यह कैंडल मार्च न केवल पीड़ितों के लिए श्रद्धांजलि था, बल्कि एक चेतावनी भी थी कि लोग अपने अधिकारों के लिए खड़े हो सकते हैं और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ सकते हैं।
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