पिता बिजनेसमैन, 18 साल का बेटा कैसे बना नागा:तूफान गिरी बोले-साधु न बनता तो मेरे हाथ से 10-12 हत्या हो जाती

अगर मैं साधु नहीं बनता, तो अपराधी बन जाता। घर पर रहता तो शर्तिया 10-12 लोगों की हत्या मेरे हाथों से हो जाती। हमारे क्षेत्र में छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होते थे। कभी जमीन का विवाद, कभी रिश्तों का विवाद। मेरा मन बहुत दुखी रहता था। यह कहना है 23 साल के नागा साधु तूफान गिरी का। वह आगे कहते हैं- बिहार में इंसाफ नहीं, मैं बहुत निराश था। मैंने साधु बनकर अपने अंदर के जहर को पी लिया। प्रयागराज महाकुंभ के बाद नागा साधु संन्यासी वाराणसी के गंगा घाट पर अपना डेरा डाले हुए हैं। घाट पर आने वाले पर्यटक नागा साधुओं से आशीर्वाद ले रहे हैं। युवा कैसे नागा साधु बनते जा रहे हैं, इसको समझने के लिए दैनिक भास्कर टीम ने वाराणसी में साधुओं से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट... भगवान से जुड़ाव रहा, इसलिए परिवार का त्याग किया सबसे पहले हमारी मुलाकात 18 साल के युवा नागा संन्यासी छोटकानंद सरस्वती से हुई। हमने पूछा- आप इतनी कम उम्र पर साधु कैसे बने? वह कहते हैं- मेरे पापा बिजनेसमैन हैं, शुरू से मेरा जुड़ाव भगवान से रहा है। इसलिए कम उम्र में परिवार का मोह त्याग दिया। पहले मेरे मन में डर भी था, क्योंकि नागा संन्यासी बनना आसान नहीं होता। फिर ईश्वर को पाने के लिए मैंने शरीर, आत्मा और इस संसार की सारी सुख सुविधाओं का त्याग किया। मध्य प्रदेश के रहने वाले छोटकानंद सरस्वती ने कहा- मुझे भगवान की भक्ति में मजा आता है। मेरे परिवार में कोई संन्यासी नहीं है। इसलिए किसी को तो बनना ही था। जो भगवान से जुड़े, इसीलिए मैंने भी संन्यासी बनने का फैसला लिया। आगे चलकर मैं लोगों को जागरूक करुंगा। तूफान गिरी बोले-मैंने ईश्वर को जाना इसके बाद हमारी मुलाकात 23 साल के युवा नागा संन्यासी तूफान गिरी से हुई। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया- कुछ घटनाएं ऐसी हुईं, जिसके बाद मुझे बिहार रहने की इच्छा ही नहीं करती थी। सबसे बढ़िया यूपी है, जहां रहकर मैंने पढ़ाई की और अब संन्यासी हो गया हूं। मुझे किसी से मतलब नहीं। मैंने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से शास्त्री की डिग्री ली है। काशी अच्छी लगती है और यहीं रहकर मैंने संन्यासी बनने का मन बनाया था। तूफान गिरी ने बताया, हमारा कोई नाम नहीं होता है, हमें दो नामों से जाना जाता है, पहला-प्रेम पट, दूसरा-योगपट। मैं प्रेमपट के नाम से जाना जाता हूं। जूना अखाड़े से संबंध रखता हूं। मेरा सर्टिफिकेट शुभम गिरी नाम से है। हमने रवि गिरी महाराज से दीक्षा ली है। इस साल नागा साधु बन गया। जीवन का बदलाव कैसे आया? इस सवाल पर उन्होंने कहा- अगर किसी कार्य के लिए सोचा जाएगा, तो वह कार्य सफल जरूर होता है। हमने भगवान को जाना और 2014 से ही मैंने संन्यासी बनने का फैसला किया। अपने गुरु महाराज के आदेश अनुसार कार्य करने लगा। आइए अब जानते हैं सरस्वती महाराज ने क्या कहा नागा संन्यासी सरस्वती महाराज ने कहा-सनातनी पुरातन है और पुरातन ही सनातन है। सत्य सनातन धर्म अनादि काल से है। आज के समय में लोग ज्यादा जागरूक हुए हैं। लोगों को सनातन धर्म के प्रति ज्यादा आस्था हुई है। इसलिए युवा सबसे ज्यादा जुड़ रहे हैं। यह देश के लिए अच्छा संकेत है। तीर्थराज में महाकुंभ लगता है, जो सभी तीर्थ का राजा है। राजा का क्षेत्रफल काफी विशाल होता है। इसीलिए 55 करोड़ लोग कुंभ मेला प्रयागराज में स्नान कर चुके हैं। युवाओं को यह पता होना चाहिए कि जो सत्य सनातन धर्म की लोग फौज है, वह किस लिए है। पहले के समय में जब राजाओं के पास फौजी नहीं हुआ करती थी, तब नागा साधु कड़ी टक्कर लिया करते थे। संन्यासी विद्रोह और नागा विद्रोह हुआ बंद सरस्वती महाराज ने कहा-महाकुंभ प्रयागराज में जो महा किला है। वहां भी नागा साधुओं ने 3 महीने तक युद्ध लड़ा और मुगल शासक के छक्के छुड़ाए थे। पहले नागा विद्रोह और संन्यास विद्रोह पढ़ाया जाता था। अब देखिए 2 स्लाइड ---------------------------- ये खबर भी पढ़िए- महाकुंभ- संगम के जल पर भिड़े यूपी–दिल्ली के अफसर: CPCB ने कहा–पानी नहाने लायक नहीं, UPPCB ने झुठलाई रिपोर्ट सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) ने 3 फरवरी को NGT में एक रिपोर्ट देकर बताया कि प्रयागराज संगम का पानी नहाने के लिए उपयुक्त नहीं है। यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (UPPCB) ने 18 फरवरी को NGT में एक नई रिपोर्ट देकर सेंट्रल की रिपोर्ट को झुठला दिया है। इस रिपोर्ट में बताया है कि नाले का पानी प्रयागराज की गंगा-यमुना नदी में सीधे तौर पर नहीं गिर रहा। कुल छह पॉइंट पर पानी नहाने लायक है। सिर्फ शास्त्री ब्रिज के नीचे पानी की गुणवत्ता थोड़ी बहुत सही नहीं है और इसके जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की जा रही है। हालांकि NGT ने इस नई रिपोर्ट पर असंतोष जताया है। कहा कि अगर सेंट्रल की रिपोर्ट गलत है तो यूपी वाले एक्शन लें। NGT ने UPPCB से गंगा–यमुना के पानी की गुणवत्ता पर एक हफ्ते में नई विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इस पर अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी। पढ़ें पूरी खबर...

Feb 20, 2025 - 05:00
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पिता बिजनेसमैन, 18 साल का बेटा कैसे बना नागा:तूफान गिरी बोले-साधु न बनता तो मेरे हाथ से 10-12 हत्या हो जाती
अगर मैं साधु नहीं बनता, तो अपराधी बन जाता। घर पर रहता तो शर्तिया 10-12 लोगों की हत्या मेरे हाथों से हो

पिता बिजनेसमैन, 18 साल का बेटा कैसे बना नागा: तूफान गिरी बोले-साधु न बनता तो मेरे हाथ से 10-12 हत्या हो जाती

इस अनोखी कहानी में हम जानेंगे कि कैसे एक पिता बिजनेसमैन के बेटे ने साधु बनने का रास्ता चुना। 18 साल की उम्र में उसने नागा साधु के रूप में जीवन व्यतीत करने का फैसला किया। तूफान गिरी ने खुलासा किया कि अगर वह साधु न बनता, तो संभवतः उसके हाथों में 10 से 12 हत्याएं होतीं।

बिजनेस विद्या से साधु बनने का सफर

तूफान गिरी का जीवन एक दिलचस्प सफर है। अपने पिता के बड़े बिजनोंस की उत्तराधिकारिता के बजाय, उन्होंने आध्यात्मिकता को अपनाने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने अंदर की ध्वनि को सुना और महसूस किया कि वह किसी और दिशा में बढ़ना चाहते हैं।

नागा साधु बनने की प्रेरणा

तूफान गिरी ने साधु बनने की प्रेरणा का खुलासा करते हुए कहा कि जीवन में भटकाव और गलत रास्तों पर जाने का खतरा हमेशा बना रहता है। साधु बनने का निर्णय लेने से पहले उन्होंने अनेक बार अपने जीवन के लक्ष्यों पर विचार किया। यह एक ऐसी यात्रा थी जो उन्हें अपने भीतर की सच्चाई को जानने में मदद मिली।

संघर्ष और चुनौतियाँ

हर सफर में चुनौतियाँ होती हैं और तूफान गिरी ने भी अनुभव किया कि साधु बनना उतना आसान नहीं है जितना दिखता है। शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को तैयार करना पड़ा। उन्होंने ध्यान, साधना और अन्य आध्यात्मिक तकनीकें सीखीं जिससे उन्हें अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने में मदद मिली।

भविष्य के सपने

तूफान गिरी का सपना है कि वह समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं और लोगों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें। उनका मानना है कि अगर वे साधु बनकर एक मार्गदर्शक बन सकते हैं, तो वे दूसरों को भी गलत रास्तों से रोक सकते हैं।

यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में मोड़ आ सकते हैं और हर मोड़ पर खुद को ढूंढना जरूरी है। तूफान गिरी का उदाहरण यह दर्शाता है कि कभी-कभी अच्छे उद्देश्यों के लिए अपने अतीत को छोड़ना आवश्यक हो सकता है।

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