पूर्व US NSA बोले- ट्रम्प को क्रेडिट लेने की आदत:भारत-पाक सीजफायर पर अमेरिकी राष्ट्रपति का दवा खारिज किया, भारत को सपोर्ट किया
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने बुधवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें ट्रम्प ने कहा था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोकने में बड़ी भूमिका निभाई। बोल्टन ने कहा कि "यह ट्रम्प की आदत है, वह हर चीज का क्रेडिट खुद लेना चाहते हैं।" बोल्टन ने भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ की गई 'ऑपरेशन सिंदूर' की कार्रवाई को पूरी तरह सही ठहराया। उन्होंने कहा कि कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी, के बाद भारत को आत्मरक्षा में कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है। समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए बोल्टन ने कहा कि पाकिस्तान को अपने देश के अंदर चल रहे आतंकी गतिविधियों पर रोक लगानी चाहिए। अगर पाकिस्तान ऐसा नहीं करता है तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। जॉन बोल्टन ने कहा, "भारत को अपने बचाव में पाकिस्तान के उन इलाकों पर कार्रवाई करने का पूरा हक था, जहां से आतंकी हमले की योजना बनी और उसे अंजाम दिया गया। यह एक गंभीर मामला है जब कोई देश अपने यहां हो रही आतंकी गतिविधियों पर काबू नहीं पा सकता, या शायद खुद भी उसमें शामिल होता है। भारत की कार्रवाई पूरी तरह सही थी। लेकिन यह सवाल जरूर उठता है कि क्या पाकिस्तान की सरकार को यह समझाया जा सकता है कि यह उनके हित में नहीं है। अगर पाकिस्तान ने इस पर नियंत्रण नहीं किया, तो इसका अंजाम उनके लिए और भी बुरा हो सकता है।" उन्होंने यह भी कहा कि ट्रम्प का भारत और पाकिस्तान के बीच शांति समझौते का श्रेय लेना "भारत के खिलाफ कुछ नहीं था"। बोल्टन ने कहा, "डोनाल्ड ट्रम्प ऐसे ही हैं, वह हर चीज का क्रेडिट लेना चाहते हैं... यह ट्रम्प की आदत है कि वह सबसे पहले आगे आकर खुद ही श्रेय ले लेते हैं, इससे पहले कि कोई और ले सके। यह कई लोगों को चिढ़ा सकता है, लेकिन इसका मतलब भारत के खिलाफ कुछ भी नहीं है, बस ट्रम्प का तरीका ऐसा ही है।" हालांकि, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जॉन बोल्टन ने यह भी कहा कि ऐसा हो सकता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जेडी वांस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो से फोन पर बात की हो, क्योंकि "दूसरे देश भी यह जानने के लिए कॉल कर सकते हैं कि वे क्या मदद कर सकते हैं।" उन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाए जाने पर भी टिप्पणी की और इसे "चिंता का विषय" बताया। "पाकिस्तान में आंतरिक असहमति को दबा दिया जाता है. इमरान खान अभी भी जेल में हैं. मुझे नहीं लगता कि यह पाकिस्तान के हित में है। अमेरिका को इस मुद्दे पर दबाव बनाना चाहिए," उन्होंने कहा। बोल्टन ने भारत के उस फैसले का समर्थन किया जिसमें सभी दलों के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल प्रमुख साझेदार देशों में भेजा गया है, ताकि यह बताया जा सके कि भारत आतंकवाद के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के लोगों को यह समझाना जरूरी है कि यह आतंकी हमला कितना गंभीर था, क्योंकि निर्दोष लोगों को डराना और नुकसान पहुंचाना बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जा सकता। भारत-पाक सीजफायर पर ट्रम्प के अब तक 7 दावे पहला: 10 मई- सीजफायर पर पहला बयान, जंग रोकने का दावा किया भारत और पाकिस्तान सीजफायर के लिए राजी हो गए हैं। मैं दोनों देशों को कॉमनसेंस, समझदारी से भरा फैसला लेने के लिए बधाई देता हूं। दूसरा: 11 मई- कश्मीर मुद्दे पर हल निकालने की कोशिश करूंगा मुझे भारत और पाकिस्तान की मजबूत लीडरशिप पर बहुत गर्व है, जिन्होंने ताकत, समझदारी और हिम्मत दिखाकर यह फैसला लिया कि अब मौजूदा तनाव को रोकने का समय है। साथ ही, मैं दोनों के साथ मिलकर यह देखने की कोशिश करूंगा कि क्या 'हजार साल' बाद कश्मीर मुद्दे का कोई हल निकाला जा सकता है। तीसरा: 12 मई- मैंने भारत-PAK के बीच परमाणु जंग रोकी मैंने परमाणु जंग रोक दी है। अमेरिका ने दोनों देशों के बीच सीजफायर कराने में मदद की है। मुझे यकीन है कि यह सीजफायर स्थायी होगा। दोनों देशों के पास बहुत सारे परमाणु हथियार हैं, इससे एक भीषण परमाणु जंग छिड़ सकती थी। पूरी खबर यहां पढ़ें... चौथा: 13 मई- सीजफायर के लिए बिजनेस का इस्तेमाल किया दोनों देशों के बीच सीजफायर में मध्यस्थता के लिए मैंने काफी हद तक बिजनेस का इस्तेमाल किया। मेरा सबसे बड़ा सपना शांति स्थापित करने का है। मैं विभाजन नहीं, एकता चाहता हूं। पांचवां: 15 मई- सीजफायर नहीं कराया, सिर्फ मदद की मैंने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता नहीं कराई, लेकिन मैंने मदद की है। मैं ये नहीं कहता कि ये मैंने किया, लेकिन ये पक्का है कि पिछले हफ्ते भारत-पाकिस्तान के बीच जो हुआ, मैंने उसे सेटल करने में मदद की। पूरी खबर यहां पढ़ें... छठा- 16 मई- भारत-PAK न्यूक्लियर वॉर मैंने रुकवाया दोनों देशों के बीच हालात बहुत गंभीर हो गए थे। अगला कदम क्या होता, आप जानते हैं… ‘N वर्ड’। यानी न्यूक्लियर वॉर। मैंने दोनों देशों को जंग रोकने के बदले उनके साथ ट्रेड करने का प्रस्ताव रखा था। पूरी खबर यहां पढ़ें... सातवा -22 मई- मैंने बिजनेस के जरिए से विवाद सुलझाया 'मुझे लगता है कि मैंने बिजनेस के जरिए से विवाद सुलझाया है। अमेरिका, भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ बड़ा सौदा कर रहा है।' पूरी खबर यहां पढ़ें...

पूर्व US NSA बोले- ट्रम्प को क्रेडिट लेने की आदत: भारत-पाक सीजफायर पर अमेरिकी राष्ट्रपति का दावा खारिज किया, भारत को सपोर्ट किया
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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जॉन बोल्टन ने बुधवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोकने में निभाई गई भूमिका के दावे को खारिज कर दिया। बोल्टन ने कहा कि "यह ट्रम्प की आदत है, वह हर चीज का क्रेडिट खुद लेना चाहते हैं।" इस मामले में उनकी टिप्पणियाँ महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह दर्शाता है कि अमेरिका में राजनीतिक समीकरण किस कदर बदल रहे हैं और यह भारत-पाक रिश्तों पर कैसे प्रभाव डाल सकता है।
बोल्टन का भारत के प्रति समर्थन
बोल्टन ने भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ की गई 'ऑपरेशन सिंदूर' की कार्रवाई को उचित ठहराते हुए कहा कि कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत को आत्मरक्षा में कार्यवाही का पूर्ण अधिकार है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि पाकिस्तान अपने देश के भीतर चल रही आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम नहीं लगाता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
जॉन बोल्टन ने कहा, "भारत को अपने बचाव में पाकिस्तान के उन इलाकों पर कार्रवाई करने का पूरा हक था, जहां से आतंकी हमले की योजना बनी और उसे अंजाम दिया गया।" उनका यह बयान दर्शाता है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को व्यापक समर्थन की आवश्यकता है और यह भी महत्वपूर्ण है कि दूसरे देशों को इस समस्या के गंभीरता को समझना चाहिए।
ट्रम्प का दावा और उसकी हकीकत
बोल्टन ने ट्रम्प के उस दावे का भी उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि यह ट्रम्प की आदत है कि वह हर चीज का श्रेय खुद लेने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा, "यह कई लोगों को चिढ़ा सकता है, लेकिन इसका मतलब भारत के खिलाफ कुछ भी नहीं है, बस ट्रम्प का तरीका ऐसा ही है।"
अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध
उन्होंने पाकिस्तान में आंतरिक असहमति को दबी हुई स्थिति में बताया और कहा कि इमरान खान अभी भी जेल में हैं। बोल्टन ने अमेरिका से इस मुद्दे पर पाकिस्तान पर दबाव बनाने की आवश्यकता जताई, ताकि वहां की राजनीतिक स्थिति को स्थिर किया जा सके।
बोल्टन का यह बयान पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाए जाने पर भी चिंताओं को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि "पाकिस्तान की सरकार को इस पर नियंत्रण नहीं मिला है, तो इसका अंजाम उनके लिए और भी बुरा हो सकता है।"
भारत द्वारा लिए गए कदम
भारत ने सभी दलों के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल प्रमुख साझेदार देशों में भेजने का निर्णय लिया है, ताकि यह बताया जा सके कि भारत आतंकवाद के खिलाफ निरंतर लड़ाई लड़ रहा है। बोल्टन ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि दुनिया भर के लोगों को यह समझाना जरूरी है कि यह आतंकी हमला कितना गंभीर था और निर्दोष लोगों को डराना और नुकसान पहुंचाना स्वीकार्य नहीं है।
संकर्षण का समय
इस तरह हालात को देखते हुए यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत को अपनी सुरक्षा के मामले में आगे बढ़ना होगा, और अमेरिका के सहयोग की आवश्यकता के साथ-साथ अपनी आंतरिक स्थिति को भी मजबूत करना होगा।
बोल्टन के ये बयान एक ऐसे समय में आए हैं जब भारत और पाकिस्तान के संबंधों में तनाव बढ़ा है। यह स्पष्ट है कि अमेरिका की भूमिका और उसकी विदेश नीति भारत की सुरक्षा दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
अंततः, यह एक महत्वपूर्ण समय है, जब भारत को अपनी दुविधाओं का समाधान करके आगे बढ़ने की आवश्यकता है। अमेरिका की रणनीतियों को समझना और उस पर नकारात्मक प्रभावों को कम करना आवश्यक है।
समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए बोल्टन ने कहा, "दुनिया की नजर अब भारत पर है, और सभी की उम्मीदें दिखती हैं कि भारत इस चुनौती का सामना करेगा।" इस तरह की टिप्पणियों से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत- पाकिस्तान संबंधों में अमेरिका के दृष्टिकोण में भी बदलाव आया है।
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