बांग्‍लादेश ने करेंसी से पूर्व राष्‍ट्रपति मुजीबुर्रहमान की तस्‍वीर हटाई:नए नोट पर हिंदू-बौद्ध मंदिरों की तस्वीर; 1972 से पांच बार बदली डिजाइन

बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक ने रविवार को 1000, 50 और 20 टका नए नोट जारी किए। इन नोटों से देश के संस्‍थापक राष्‍ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान की तस्‍वीर को हटा दिया गया है। इसके अलावा, 500, 200, 100 और 10 टका के नए नोट जल्द जारी होंगे। इसे लेकर बांग्लादेश सेंट्रल बैंक के प्रवक्ता आरिफ हुसैन खान ने कहा- नई डिजाइन में किसी व्यक्ति की तस्वीर नहीं होगी, नए नोटों पर देश के पारंपरिक स्थलों को जगह मिली है। खान ने आगे कहा- नए नोट सेंट्रल बैंक के हेडक्वार्टर से और बाद में देश भर के बाकी ऑफिसेज से जारी किए जाएंगे।" हालांकि पुराने नोट और सिक्के भी चलन में बने रहेंगे। नए नोटों पर हिंदू और बौद्ध मंदिरों की तस्वीरें भी छापी जाएंगी। 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद से अब तक नोटे के डिजाइन में पांच बार (1972, 1970 के दशक, 1980-90 के दशक, 2000 के दशक, और 2025) बदलाव किए गए हैं। धार्मिक और ऐतिहासिक नजरिए से खास है नए नोट बांग्लादेश की करेंसी राजनीतिक उथल-पुथल से जुड़ी बांग्लादेशी मीडिया के मुताबिक ये राजनीतिक उथल-पुथल से जुड़ा है। बांग्लादेश की करेंसी का इतिहास समय-समय पर सत्तारूढ़ पार्टियों का असर नजर आता है। 1972 में जब बांग्लादेश ने पूर्वी पाकिस्तान से अलग होकर आजादी हासिल की, तब शुरुआती नोटों पर भौगोलिक और सांस्कृतिक चित्र थे। बाद में, शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीरें नोटों पर शामिल की गईं, खासकर जब उनकी अवामी लीग पार्टी सत्ता में थी। नई करेंसी को शेख हसीना के शासन के प्रभाव को कम करने और देश की छवि को समावे शी बनाने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है। शेख मुजीब से जुड़ी कई निशानियों पर हमला अगस्त 2024 को बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से लगातार शेख मुजीब की जुड़ी निशानियों पर हमला किया गया था। ढाका में उनकी मूर्ति को तोड़ा गया और कई सार्वजनिक स्थानों पर लगी नेमप्लेट को भी हटा दिया गया। अंतरिम सरकार ने आजादी और संस्थापक से जुड़े दिनों की 8 सरकारी छुट्टियां भी कैंसिल कर दी थी। शेख मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति थे। वह 17 अप्रैल 1971 से लेकर 15 अगस्त 1975 तक देश के प्रधानमंत्री भी रहे थे। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता मुजीबुर्रहमान ने बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी दिलाने में भी बड़ी भूमिका निभाई थी। 15 अगस्त 1975 को शेख मुजीबुर्रहमान की उनके घर पर ही हत्या कर दी गई थी। शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध का मुकदमा शुरू बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध से जुड़े आरोपों में ट्रायल शुरू हो गया है। बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) में रविवार को इन आरोपों को औपचारिक तौर पर दर्ज किया गया। चीफ प्रॉसिक्यूटर ताजुल इस्लाम ने ट्रिब्यूनल में ये आरोप दर्ज कराए हैं। ICT के प्रॉसिक्यूटर गाजी मनोवार हुसैन तमीम ने डेली स्टार को यह जानकारी दी है। 12 मई को ट्रिब्यूनल की जांच एजेंसी ने हसीना के खिलाफ अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें जुलाई 2024 में आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के पांच आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक आंदोलन के दौरान 1500 से अधिक लोग मारे गए जबकि 25 हजार से ज्यादा घायल हुए थे। आरक्षण के खिलाफ आंदोलन ने किया था तख्तापलट शेख हसीना पिछले साल 5 अगस्त को देश छोड़कर भारत आ गई थीं। दरअसल, उनके खिलाफ देशभर में छात्र प्रदर्शन कर रहे थे। बांग्लादेश में 5 जून को हाईकोर्ट ने जॉब में 30% कोटा सिस्टम लागू किया था, इस आरक्षण के खिलाफ ढाका में यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट कर रहे थे। यह आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को दिया जा रहा था। हालांकि, हसीना सरकार ने यह आरक्षण बाद में खत्म कर दिया था। इसके बाद छात्र उनके इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। बड़ी संख्या में छात्र और आम लोग हसीना और उनकी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आए। इस प्रोटेस्ट के दो महीने बाद 5 अगस्त को उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अंतरिम सरकार की स्थापना की गई। -------------------------- ये खबर भी पढ़ें... शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध का मुकदमा शुरू:बांग्लादेश में ट्रायल TV पर लाइव दिखा रहे; तख्तापलट के बाद से भारत में हैं हसीना बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध से जुड़े आरोपों में ट्रायल शुरू हो गया है। बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) में रविवार को इन आरोपों को औपचारिक तौर पर दर्ज किया गया। पूरी खबर पढ़ें...

Jun 2, 2025 - 18:27
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बांग्‍लादेश ने करेंसी से पूर्व राष्‍ट्रपति मुजीबुर्रहमान की तस्‍वीर हटाई:नए नोट पर हिंदू-बौद्ध मंदिरों की तस्वीर; 1972 से पांच बार बदली डिजाइन
बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक ने रविवार को 1000, 50 और 20 टका नए नोट जारी किए। इन नोटों से देश के संस्‍थापक

बांग्‍लादेश ने करेंसी से पूर्व राष्‍ट्रपति मुजीबुर्रहमान की तस्‍वीर हटाई: नए नोट पर हिंदू-बौद्ध मंदिरों की तस्वीर

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बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक ने हाल ही में एक बड़ा फैसला किया है जिसमें देश के संस्थापक राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर को करेंसी से हटा दिया गया है। इस बदलाव के साथ ही 1000, 50 और 20 टका के नए नोट जारी किए गए हैं, जिन पर हिंदू और बौद्ध मंदिरों की तस्वीरें शामिल की गई हैं। यह ऐतहासिक कदम 1972 से अब तक के नोटों के डिजाइन में महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।

नई करेंसी का महत्व

बांग्लादेश सेंट्रल बैंक के प्रवक्ता आरिफ हुसैन खान के अनुसार, नए नोटों में किसी व्यक्ति की तस्वीर नहीं होगी और इन पर देश के पारंपरिक स्थलों की तस्वीरें होंगी। इस बदलाव का उद्देश्य धार्मिक और सांस्कृतिक समरूपता को बढ़ाना है, जिसमें सभी धर्मों के प्रतीकों को सम्मान दिया गया है। खान ने कहा, "नए नोट केंद्रीय बैंक के हेडक्वार्टर से जारी किए जाएंगे और बाद में देश के अन्य ऑफिसेज में भी उपलब्ध होंगे।"

राजनीतिक स्थिति का प्रभाव

1971 में बांग्लादेश की आजादी के बाद से, नोटों के डिज़ाइन में कुल पांच बार बदलाव हो चुके हैं, जो सत्तारूढ़ पार्टियों के अनुकूल रहे हैं। 1972 में विशेष रूप से भौगोलिक और सांस्कृतिक चित्रों का समावेश था, लेकिन बाद में, शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीरों को प्राथमिकता दी गई, जब उनकी अवामी लीग पार्टी सत्ता में थी। अब इस नए नोट के माध्यम से शेख मुजीब के शासन के प्रभाव को कम करना और देश की छवि को सामावेशी बनाना एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

धार्मिक स्थलों का चित्रण

नए नोटों में अतीत की ऐतिहासिक और धार्मिक विशेषताओं को शामिल किया गया है, जिसमें हिंदू और बौद्ध मंदिरों की तस्वीरें प्रमुख हैं। यह धार्मिक एकता का प्रतीक है और विभिन्न समुदायों के बीच संबंधों को मजबूत करने का भी प्रयास है। बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार, यह निर्णय धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की स्थिति

हाल में, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध के आरोप भी सामने आए हैं, जिसका मुकदमा बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल में शुरू हो चुका है। इस घटनाक्रम के बीच, करेंसी परिवर्तन को जनता के बीच एक नई छवि स्थापित करने का प्रयास माना जा रहा है। अब देखना यह है कि इस बदलाव के राजनीतिक और सामाजिक परिणाम क्या होंगे।

निष्कर्ष

बांग्लादेश में चल रहे राजनीतिक परिवर्तनों के बीच नए नोटों का लॉन्च एक महत्वपूर्ण इतिहास में दर्ज किया जाने वाला बदलते दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह केवल आर्थिक पहलुओं को ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक नीतियों को भी प्रभावित करेगा। आने वाले समय में देखना होगा कि ये परिवर्तन लोगों के दिलों और दिमागों में किस प्रकार गहरे उतरते हैं।

— टीम IndiaTwoday

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