बाबा साहब की प्रतिमा को लेकर विवाद:भारत मुक्ति मोर्चा ने दिया एक सप्ताह का अल्टीमेटम, अवैध कब्जा हटाने समेत तीन मांगें रखीं
बस्ती में भारत मुक्ति मोर्चा और ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को तीन सूत्रीय ज्ञापन सौंपकर न्याय की मांग की है। सभी का कहना है कि शासन-प्रशासन की उदासीनता से मूल निवासी बहुजन समाज में रोष बढ़ता जा रहा है। प्रमुख मांगों में बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा की फिर से स्थापना सबसे महत्वपूर्ण है। ग्रामीण पिछले 6 वर्षों से इसके लिए जमीन की मांग कर रहे हैं। दूसरी मांग चारागाह भूमि से अवैध कब्जा हटाने और कब्जाधारियों पर कानूनी कार्रवाई की है। तीसरी मांग ब्राह्मण चौकी इंचार्ज राममणि उपाध्याय के खिलाफ कार्रवाई की है। जिन पर बिना उचित आदेश के प्रतिमा हटाने और महिलाओं से दुर्व्यवहार का आरोप है। मुकदमों को वापस लेने की भी मांग की गई ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में भी धरना-प्रदर्शन किया गया था। प्रशासन ने एक सप्ताह में समाधान का आश्वासन दिया था, लेकिन कोई अधिकारी गांव तक नहीं पहुंचा। अब मोर्चा ने प्रशासन को अंतिम चेतावनी दी है कि यदि एक सप्ताह में मांगें नहीं मानी गईं और कलवारी पुलिस द्वारा उत्पीड़न जारी रहा, तो वे अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू करेंगे। साथ ही ग्रामीणों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने की भी मांग की गई है।

बाबा साहब की प्रतिमा को लेकर विवाद: भारत मुक्ति मोर्चा का अल्टीमेटम
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को लेकर हाल ही में एक बड़ा विवाद सामने आया है। भारत मुक्ति मोर्चा ने इस मुद्दे पर अत्यधिक गंभीरता दिखाई है और सरकार को एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है। इस अल्टीमेटम के तहत, मोर्चा ने अवैध कब्जा हटाने समेत तीन प्रमुख मांगें रखी हैं। यह मामला न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि समाज के सभी वर्गों के लिए महत्वपूर्ण है।
विवाद की पृष्ठभूमि
बाबा साहब की प्रतिमा, जो समानता और न्याय का प्रतीक मानी जाती है, के साथ यह विवाद क्यों खड़ा हुआ, यह जानना आवश्यक है। प्रतिमा की स्थापना के समय से ही इसे घेरे में विवादित मुद्दों का सामना करना पड़ा है। विभिन्न समूहों के बीच ध्रुवीकरण और भूमि के उपयोग को लेकर हुए विवाद इस संकट का मुख्य कारण है।
भारत मुक्ति मोर्चा की मांगें
भारत मुक्ति मोर्चा ने तीन प्रमुख मांगें सरकार के समक्ष रखी हैं:
- अवैध कब्जा हटाने की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू किया जाए।
- प्रतिमा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
- बाबा साहब के विचारों और उनके योगदान पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाए।
जनता की प्रतिक्रिया
इस विवाद पर जनता की प्रतिक्रिया भी काफी तेजी से सामने आई है। लोगों का मानना है कि बाबा साहब की प्रतिमा को उचित सम्मान मिलना चाहिए। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर धरना प्रदर्शन का भी आयोजन किया है। इसके अलावा, बुद्धिजीवियों और नेताओं ने भी मोर्चा के समर्थन में अपनी आवाज उठाई है।
भविष्य की संभावनाएं
क्या सरकार इन मांगों को साकार कर पाएगी? यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है। अगर समाधान नहीं निकला तो भारत मुक्ति मोर्चा ने चेतावनी दी है कि वे इस मुद्दे को और आगे बढ़ाएंगे। यह मुद्दा अब राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा सिरदर्द बन सकता है।
अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें और जानें कि इस स्थिति का समाधान कैसे निकालना है।
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