मौत होने के बाद भी 3 दिन भर्ती रखा मरीज:बहराइच के निजी अस्पताल पर आरोप, पैसों के लिए करते रहे इलाज का दिखावा
बहराइच में एक निजी अस्पताल पर गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। दरगाह थाना क्षेत्र स्थित बीटाना निजी अस्पताल में एक मरीज की कथित तौर पर तीन दिन पहले ही मौत हो गई थी, लेकिन अस्पताल प्रशासन पैसे के लिए इलाज का दिखावा करता रहा। मामला रिसिया थाना क्षेत्र के फतना गांव के रहने वाले पट्टे नाम के व्यक्ति का है, जिन्हें 12 दिन पहले एक पिकअप वाहन ने टक्कर मार दी थी। गंभीर रूप से घायल पट्टे को परिजन मल्हीपुर मार्ग स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था शनिवार को परिजनों ने मौत के बाद भी इलाज करने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। परिजनों का आरोप है कि मरीज की मौत तीन दिन पहले ही हो चुकी थी, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने पैसे के लालच में इलाज का नाटक जारी रखा। हंगामे की सूचना पर पहुंची दरगाह थाना पुलिस ने मृतक को जिला अस्पताल भिजवाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अस्पताल प्रशासन ने परिजनों के आरोपों को निराधार बताया है। पुलिस ने परिजनों को मामले की जांच का आश्वासन देकर स्थिति को शांत किया। इस घटना से अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल बन गया और अन्य मरीजों में भी दहशत का माहौल रहा।

मौत होने के बाद भी 3 दिन भर्ती रखा मरीज: बहराइच के निजी अस्पताल पर आरोप
बहराइच के एक निजी अस्पताल ने हाल ही में एक चौंकाने वाला विवाद पैदा किया है, जहाँ आरोप लगाया गया है कि मरीज की मौत के बाद भी उसे तीन दिन तक भर्ती रखा गया। यह मामला उस समय सामने आया जब परिवार वालों ने अस्पताल के कर्मियों पर पैसों के लिए इलाज का दिखावा करने का आरोप लगाया। इस घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था की पारदर्शिता और नैतिकता पर सवाल उठाते हुए एक नई बहस छेड़ दी है।
घटनाक्रम की शुरुआत
पिछले सप्ताह एक मरीज को गंभीर बीमारी के चलते बहराइच के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिवार के सदस्यों का कहना है कि अस्पताल में भर्ती होने के कुछ ही घंटों बाद संबंधित व्यक्ति की मौत हो गई। इसके बावजूद, अस्पताल प्रशासन ने मरीज का इलाज जारी रखा और उनके शरीर को अस्पताल के बिस्तर पर तीन दिनों तक रखा।
परिवार का आरोप
मृतक के परिवार ने आरोप लगाया है कि अस्पताल के कर्मचारियों ने इलाज का दिखावा किया ताकि पैसों का लेन-देन किया जा सके। परिवार ने इस बात की भी पुष्टि की है कि अस्पताल ने निष्क्रिय स्थिति में अस्पताल में मरीज की देखभाल करने के नाम पर अतिरिक्त धन की मांग की। यह मामला उन सवालों पर रोशनी डालता है कि क्या निजी अस्पताल सही तरीके से कार्य कर रहे हैं या फिर लाभ कमाने के लिए अनैतिक तरीके अपनाने लगे हैं।
सरकारी दखल की आवश्यकता
इस घटना के बाद चिकित्सा विशेषज्ञों और संगठनों ने कहा है कि एक स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है। वे इस तरह की घटनाओं पर तुरंत नियंत्रण पाने और सुधार लाने के लिए सरकारी कार्रवाई का समर्थन कर रहे हैं। डॉक्टरों और स्वास्थ्य अधिकारियों को इस प्रकार की अनियमितताओं की रोकथाम के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी करने की आवश्यकता है।
समाज की जिम्मेदारी
इस मामले ने हम सभी को यह सोचने पर मजबूर किया है कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और मरीज के अधिकारों का क्या होगा। समाज को चाहिए कि वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें और ऐसे मामलों में आवाज उठाएं। चिकित्सा सेवाओं के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए हमें एकजुटता से काम करना होगा।
इन आरोपों के बावजूद, यह आशा की जा रही है कि प्रशासन जल्द ही इस मामले पर दिशा-निर्देश जारी करेगा और नागरिकों को उचित स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में सहायता करेगा।
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