रसिया-यूक्रेन युद्ध में फंसे पूर्वांचलवासियों की लौटने की उम्मीद जगी:आजमगढ़-मऊ से गए 14 में 3 की मौत, 7 परिवारों की महीनों पहले हुई 'अपनों' से बात

यूक्रेन-रूस युद्ध में रूस की सेना में भारतीयों को गलत तरीके से भर्ती किये जाने का मुद्दा फिर गर्म हो गया है। मंगलवार को युद्ध में केरल के युवक की मौत के बाद भड़के विदेश मंत्रालय ने रूसी सेना में शामिल भारतीयों को रिहा करने की बात कही है। प्रधानमंत्री ने पहले ही राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से सभी भारतीयों को वापस भेजने की अपील की थी, हालांकि तब भी रूस ने सहमति जताई थी। पुतिन के निर्देश के बाद रूस ने आधिकारिक तौर पर बताया था कि सेना में जितने भी भारतीय हैं, उन सभी को वापस भेजा जाएगा। वहीं विदेश मंत्रालय के सख्त रुख और रसिया के आश्वासन के बाद पूर्वांचल के आठ परिवारों की उम्मीद बढ़ी है। इसमें सबसे ज्यादा लोग आजमगढ़ और मऊ के 14 लोग गए थे जिसमें से तीन की मौत हो चुकी है। उधर, परिवार के लोगों ने सरकार से उनके मुखिया को सकुशल वापस लाने की गुहार लगाई है। युद्ध में फंसे इन लोगों से परिजनों ने छह महीने से बात तक नहीं की और उनके हालात भी नहीं पता हैं। हालांकि अब तक पूर्वांचल के दो लोगों की मौत हो चुकी है। सरकार के प्रयास से उनका शव तो आया लेकिन उनके साथी नहीं आ सके। आजमगढ़ से 10 और मऊ से 4 युवक गए थे रसिया भारत से कुक, गार्ड या ड्राइवर के वीजा पर कामगार बनकर गए नागरिकों को रूस में सैनिक बनाकर युद्ध में उतारने पर विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को फिर कड़े तेवर दिखाए। पीएम मोदी से ब्लादिमीर पुतिन की मुलाकात का हवाला देकर भारतीयों को अविलंब स्वदेश भेजने की बात कही। गार्ड की नौकरी के लिए ले जाए गए आजमगढ़ से कन्हैया, रामचंद्र, राकेश यादव, दीपक, धीरेंद्र, योगेंद्र, अजहरूदीन खान सहित दस लोग गए थे। इसमें आजमगढ़ निवासी राकेश यादव सुरक्षित आ गए है, जबकि कन्हैया यादव की मौत हो गई। उसका शव परिजनों की गुहार पर गांव आ सका। वहीं दीपक के परिवार को अब तक कोई सूचना नहीं दी गई । उधर, मऊ से चार युवक गए थे जिसमें चंद्रापार निवासी सुनील यादव, कोईरियापार निवासी श्याम सुंदर और चंद्रापार निवासी विनोद के साथ दुबारी के बृजेश रूस गए थे। इसमें मऊ निवासी श्याम सुंदर और सुनील की मौत हो चुकी है। बृजेश प्रशासन की मदद से लौट आया लेकिन विनोद अभी भी फंसा हुआ है। इन सभी के परिजनों ने एजेंट विनोद पर आरोप लगाते हुए प्रशासन से कार्रवाई की भी बात कही है। अब भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने इस मुद्दे को फिर से रूसी पक्ष के साथ सख्ती के साथ उठाया है, रूस ने अब जल्द ही भारतीयों को भेजने का आश्वासन दिया है। वहीं भारत की आपत्ति के बाद तब रूस की सेना के लिए भर्ती करने वाली एजेंसियों ने भारतीय युवाओं को लेना बंद कर दिया है। आजमगढ़ के परिवार की सरकार से कोशिशें जारी आजमगढ़ के सात परिवारों ने अपने पिता, भाई और बेटे को वापस लाने के लिए हर कोशिश की है। अधिकारियों से लेकर राजनेताओं तक चक्कर काटे हैं। परिजनों ने विदेश मंत्रालय तक दरवाजा खटखटाया है। इससे पहले आजमगढ़ के सांसद धर्मेंद्र, एडीजी जोन पीयूष मोर्डिया, वाराणसी में पीएम के संसदीय कार्यालय पर आकर पीड़ा बताई। रजिस्टर्ड पत्र और मेल, ट्विटर के जरिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर तक गुहार लगाई है। हालांकि सभी ने अपने-अपने स्तर पर प्रयास किए लेकिन अभी तक आजमगढ़ के लोगों की वापसी नहीं हो पाई, वहीं बात नहीं होने से उनके वर्तमान हालात का पता भी नहीं चल रहा। प्रशासनिक अफसरों की माने तो 14 लोगों में से सिर्फ 2 वापस लौटे हैं। 3 की मौत होने सूचना मिली है जिसमें एक शव भी पिछले दिनों आजमगढ़ लाया गया था। वहीं जबकि 9 का कोई अता-पता नहीं है, उनके परिवार भी बात नहीं होने के चलते परिजनों ने उनके लौटने की उम्मीद खो दी थी, भारत के बढ़ते प्रयास से आस फिर बढ़ी है। 6 महीने से नही हुई बात, जब हुई तब ये बताया आजमगढ़ के 7 परिवारों में आंसू बह रहे हैं और परिजनों को अपनों से मिलने की आस है। पिछले दिनों जब रामचंद्र, राकेश यादव, धीरेंद्र, योगेंद्र, अजहरूदीन खान फोन आया था तो यही बताया गया कि उन्हें धोखे से रूस भेजा गया और सिक्‍योरिटी गार्ड की नौकरी की बात कही गई थी, लेकिन वहां उसे युद्ध लड़ने के लिए भेज दिया गया। अब यहां चारों तरफ बम, गोली, बारूद चल रहे थे. लाशें बिखरी पड़ी हैं। हमें लग रहा है कि यह हमारी जिंदगी का अंत है,हम जिंदा हैं लेकिन यहां रहना नहीं चाहते। उनका कहना था कि हम ही नहीं कई ऐसे भारतीयों को भाषा की समझ नहीं होने से रूस-यूक्रेन युद्ध में सीधे भेज दिया गया है। एजेंट विनोद लेकर गया था 14 कामगार मऊ-आजमगढ़ जिले का एजेंट विनोद आजमगढ़ निवासी अपने जीजा कन्हैया यादव सहित 14 लोग के साथ फरवरी में रूस गया था। सुनील, श्यामसुंदर यादव समेत सात लोगों के साथ रूस में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने गया था। हर माह दो लाख वेतन का झांसा दिया गया था। विनोद से परिजनों की आखिरी बार अप्रैल में पिता से बात हुई थी। मगर, वहां पहुंचने पर सपना टूट गया और हम लोगों को 15 दिन का सैन्य प्रशिक्षण देकर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उतार दिया गया। कन्हैया की दिसंबर के पहले सप्ताह में यूक्रेन-रूस युद्ध में मौत हो गई।एजेंट की धोखेबाजी से अब तक तीन साथियों की असमय मौत हो गई, विनोद का अब तक सुराग नहीं लगा है। मऊ का बृजेश अब तक जीवित लौटा, बताए हालात मऊ जिले के मधुबन तहसील के धर्मपुर विशुनपुर निवासी बृजेश यादव ने बताया कि रूस जाना जितना आसान था, वहां से लौटना उससे कहीं अधिक कठिन है। विदेश में नौकरी और मोटी कमाई के सपने के कारण वे एक एजेंट के झांसे में फंस गए थे। उन्‍होंने बताया कि फरवरी 2024 में मऊ और आजमगढ़ के 14 युवकों को एक एजेंट ने रूस में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी का झांसा देकर भेजा था। इसमें हर महीने ₹2 लाख वेतन मिलने वाला था लेकिन वहां पहुंचते ही इनका सपना टूट गया। इन युवकों को महज 15 दिन का सैन्य प्रशिक्षण देकर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उतार दिया गया। बृजेश ने बताया कि जुलाई में उनके ग्रुप पर ड्रोन हमला हुआ. आजमगढ़ निवासी दीपक इस हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए और उनकी

Jan 15, 2025 - 02:40
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रसिया-यूक्रेन युद्ध में फंसे पूर्वांचलवासियों की लौटने की उम्मीद जगी:आजमगढ़-मऊ से गए 14 में 3 की मौत, 7 परिवारों की महीनों पहले हुई 'अपनों' से बात
यूक्रेन-रूस युद्ध में रूस की सेना में भारतीयों को गलत तरीके से भर्ती किये जाने का मुद्दा फिर गर्म

रसिया-यूक्रेन युद्ध में फंसे पूर्वांचलवासियों की लौटने की उम्मीद जगी

News by indiatwoday.com

अवगत कराना

रसिया-यूक्रेन युद्ध ने अनेक नागरिकों को प्रभावित किया है, जिनमें पूर्वांचल के निवासी भी शामिल हैं। आजमगढ़ और मऊ से गए 14 युवाओं में से 3 की जान चली गई है, जिसके चलते उनके परिवारों में चिंता और दुःख का माहौल छाया हुआ है। हालांकि, अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि कुछ परिवारों को लंबे इंतजार के बाद अपने प्रियजनों से बात करने का मौका मिला है, जिससे लौटने की उम्मीद जगी है।

कैसी है स्थिति?

युद्ध की स्थिति में फंसे हुए भारतीय नागरिकों के लिए केंद्र सरकार अनवरत प्रयास कर रही है। हाल ही में, सरकार ने कई पहल की हैं, ताकि युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और उन्हें स्वदेश लाने की प्रक्रिया को तेज किया जा सके। इस संदर्भ में पूर्वांचल के लोग भी अपनी-अपनी चिंताओं को साझा कर रहे हैं और चिंता का विषय बन गए हैं।

परिवारों की चिंता

आजमगढ़ और मऊ में रहने वाले उन परिवारों ने अपने प्रियजनों की सुरक्षा को लेकर बड़ी चिंता जताई है। कुछ परिवारों से मिली जानकारी के अनुसार, उन्हें महीनों बाद अपने रिश्तेदारों से फोन पर बात करने का मौका मिला है, जिससे उनकी चिंताओं में थोड़ी राहत आई है। ऐसे में, सभी लोग प्रार्थना कर रहे हैं कि उनके बच्चे सुरक्षित लौटें।

किन उपायों की है जरूरत?

इस कठिन परिस्थिति में, नागरिकों को सहायता देने के लिए केंद्र सरकार और स्थानीय प्रशासन को कई उपाय उठाने की आवश्यकता है। इसमें युद्ध मलिन क्षेत्रों से नागरिकों को निकालने के लिए प्रभावी कदम उठाने, और उन्हें सुरक्षित पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए काम करने की जरूरत है। स्थानीय नेताओं और समाजसेवियों को भी आगे आकर मदद करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

रसिया-यूक्रेन युद्ध में फंसे पूर्वांचलवासियों की लौटने की उम्मीद जगाना एक सकारात्मक संकेत है। आशा है कि भारत सरकार की कार्रवाई और परिवारों की प्रार्थनाएं रंग लाएंगी और सभी नागरिक जल्द ही अपने घर लौटेंगे। हमें एकजुट होकर इस कठिन समय में एक-दूसरे का सहारा बनने की आवश्यकता है।

चिंता व्यक्त करें

जो लोग इस समस्या से प्रभावित हैं, वे अपनी चिंताओं को साझा करने के लिए उचित मंचों का उपयोग कर सकते हैं। सरकार और समुदाय से अपेक्षित समर्थन के द्वारा, हम सभी मिलकर इस कठिन दौर को पार कर सकते हैं। Keywords: रसिया-यूक्रेन युद्ध, पूर्वांचलवासी, आजमगढ़-मऊ, युद्ध में फंसे लोग, परिवार की चिंता, भारत सरकार, राहत कार्य, फोन पर बात, सुरक्षा उपाय, नागरिकों की मदद

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