रामपुर में युवक 3 साल से मौन:न हिलते हैं, न बोलते हैं...न कोई इशारा, इलाज करने में बिका घरबार

रामपुर के पड़ोसी जिले मुरादाबाद के सिरसखेड़ा गांव निवासी अशरफ अली तीन साल से कोमा में हैं। 17 दिसंबर 2020 को जब अशरफ अपनी बाइक से घर लौट रहे थे, तब अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। हादसे में उनकी हालत इतनी गंभीर हो गई कि डॉक्टरों ने बड़ी मुश्किल से उनकी जान बचाई। हालांकि, इस दुर्घटना ने उनकी जिंदगी को शून्य चेतना की अवस्था में डाल दिया। न हिलते हैं, न बोलते हैं, न कोई इशारा हादसे के बाद अशरफ अली का शरीर बिल्कुल निष्क्रिय हो गया है। न वे बोल सकते हैं, न हिल सकते हैं और न ही किसी प्रकार का इशारा कर सकते हैं। उनका खाना फूड पाइप के जरिए लिक्विड फॉर्म में दिया जाता है, और रोजाना की जरूरतों के लिए यूरीनरी पाइप लगी है। परिवार पर टूटा संकट का पहाड़ अशरफ अली ट्रक की बॉडी बनाने का काम करते थे, जिससे उनका परिवार चलता था। उनकी पत्नी रानी और दो बच्चों की जिम्मेदारी अब पूरी तरह परिवार पर आ गई है। इलाज और खर्चों के चलते अशरफ का घरबार बिक गया। रानी ने बताया कि खून बदलने की जरूरत पड़ने पर उन्हें खुद खून देना पड़ता है। सरकारी मदद का अभाव अशरफ अली के परिवार ने बताया कि इतने गंभीर हालात में भी उन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला। न इलाज के लिए कोई आर्थिक सहायता मिली, न ही कोमा से बाहर लाने के लिए कोई ठोस प्रयास हुए। तीन साल से अशरफ अली की स्थिति जस की तस है, और परिवार पर आर्थिक बोझ दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। सरकार से मदद की गुहार परिवार ने सरकार और प्रशासन से मदद की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर किसी योजना के तहत सहायता मिले या इलाज का बेहतर इंतजाम हो, तो शायद अशरफ अली की स्थिति में सुधार हो सके। परिवार को अब समाज और सरकार से आस है कि कोई उनकी मदद के लिए आगे आए।

Nov 24, 2024 - 16:20
 0  10.1k
रामपुर में युवक 3 साल से मौन:न हिलते हैं, न बोलते हैं...न कोई इशारा, इलाज करने में बिका घरबार
रामपुर के पड़ोसी जिले मुरादाबाद के सिरसखेड़ा गांव निवासी अशरफ अली तीन साल से कोमा में हैं। 17 दिसंबर 2020 को जब अशरफ अपनी बाइक से घर लौट रहे थे, तब अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। हादसे में उनकी हालत इतनी गंभीर हो गई कि डॉक्टरों ने बड़ी मुश्किल से उनकी जान बचाई। हालांकि, इस दुर्घटना ने उनकी जिंदगी को शून्य चेतना की अवस्था में डाल दिया। न हिलते हैं, न बोलते हैं, न कोई इशारा हादसे के बाद अशरफ अली का शरीर बिल्कुल निष्क्रिय हो गया है। न वे बोल सकते हैं, न हिल सकते हैं और न ही किसी प्रकार का इशारा कर सकते हैं। उनका खाना फूड पाइप के जरिए लिक्विड फॉर्म में दिया जाता है, और रोजाना की जरूरतों के लिए यूरीनरी पाइप लगी है। परिवार पर टूटा संकट का पहाड़ अशरफ अली ट्रक की बॉडी बनाने का काम करते थे, जिससे उनका परिवार चलता था। उनकी पत्नी रानी और दो बच्चों की जिम्मेदारी अब पूरी तरह परिवार पर आ गई है। इलाज और खर्चों के चलते अशरफ का घरबार बिक गया। रानी ने बताया कि खून बदलने की जरूरत पड़ने पर उन्हें खुद खून देना पड़ता है। सरकारी मदद का अभाव अशरफ अली के परिवार ने बताया कि इतने गंभीर हालात में भी उन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला। न इलाज के लिए कोई आर्थिक सहायता मिली, न ही कोमा से बाहर लाने के लिए कोई ठोस प्रयास हुए। तीन साल से अशरफ अली की स्थिति जस की तस है, और परिवार पर आर्थिक बोझ दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। सरकार से मदद की गुहार परिवार ने सरकार और प्रशासन से मदद की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर किसी योजना के तहत सहायता मिले या इलाज का बेहतर इंतजाम हो, तो शायद अशरफ अली की स्थिति में सुधार हो सके। परिवार को अब समाज और सरकार से आस है कि कोई उनकी मदद के लिए आगे आए।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow