रुपया ऑल टाइम लो पर:डॉलर के मुकाबले 25 पैसा गिरकर 87.37 पर आया, इससे इंपोर्ट महंगा होगा

भारतीय करेंसी यानी रुपया एक बार फिर अपने रिकॉर्ड ऑल टाइम लो पर आ गया है। बुधवार (5 फरवरी) को कारोबार के दौरान यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 25 पैसे गिरकर 87.37 के स्तर पर पहुंच गया। यह रुपया का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले सोमवार को यह 67 पैसे गिरकर 87.29 के स्तर पर आ गया था। रुपए में गिरावट के चार कारण ... टैरिफ को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का रुख अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 1 फरवरी को कनाडा और मेक्सिको पर 25% और चीन पर एक्स्ट्रा 10 टैरिफ का ऐलान किया था। बाद में उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया, इससे रुपए में कल स्थिरता देखी गई थी। ट्रम्प ने कई बार ब्रिक्स देशों पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी है। भारत, ब्राजील और चीन तीनों ब्रिक्स का हिस्सा हैं। इसके अलावा ट्रम्प भारत की तरफ से अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाने की शिकायत कर चुके हैं। ऐसे में भारत पर भी टैरिफ का खतरा बना हुआ था। रुपए में गिरावट से इंपोर्टेड चीजें महंगी होंगी रुपए में गिरावट का मतलब है कि भारत के लिए चीजों का इंपोर्ट महंगा होना है। इसके अलावा विदेश में घूमना और पढ़ना भी महंगा हो गया है। मान लीजिए कि जब डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू 50 थी तब अमेरिका में भारतीय छात्रों को 50 रुपए में 1 डॉलर मिल जाते थे। अब 1 डॉलर के लिए छात्रों को 86.31 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। इससे फीस से लेकर रहना और खाना और अन्य चीजें महंगी हो जाएंगी। करेंसी की कीमत कैसे तय होती है? डॉलर की तुलना में किसी भी अन्य करेंसी की वैल्यू घटे तो उसे मुद्रा का गिरना, टूटना, कमजोर होना कहते हैं। अंग्रेजी में करेंसी डेप्रिशिएशन। हर देश के पास फॉरेन करेंसी रिजर्व होता है, जिससे वह इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन करता है। फॉरेन रिजर्व के घटने और बढ़ने का असर करेंसी की कीमत पर दिखता है। अगर भारत के फॉरेन रिजर्व में डॉलर, अमेरिका के रुपयों के भंडार के बराबर होगा तो रुपए की कीमत स्थिर रहेगी। हमारे पास डॉलर घटे तो रुपया कमजोर होगा, बढ़े तो रुपया मजबूत होगा। इसे फ्लोटिंग रेट सिस्टम कहते हैं।

Feb 5, 2025 - 15:59
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रुपया ऑल टाइम लो पर:डॉलर के मुकाबले 25 पैसा गिरकर 87.37 पर आया, इससे इंपोर्ट महंगा होगा
भारतीय करेंसी यानी रुपया एक बार फिर अपने रिकॉर्ड ऑल टाइम लो पर आ गया है। बुधवार (5 फरवरी) को कारोबार
रुपया ऑल टाइम लो पर: डॉलर के मुकाबले 25 पैसा गिरकर 87.37 पर आया, इससे इंपोर्ट महंगा होगा News by indiatwoday.com रुपये की मौजूदा स्थिति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। हाल ही में, रुपये ने डॉलर के مقابل 25 पैसे की गिरावट के साथ 87.37 का नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। यह गिरावट भारतीय निर्यात और आयात दोनों पर प्रभाव डालेगी।

इस गिरावट का मुख्य कारण वैश्विक आर्थिक स्थिति और विदेशी निवेश में कमी है। बीते कुछ महीनों में, रुपये में जो अस्थिरता देखी गई है, वह महंगाई को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है। जब रुपये की वैल्यू गिरती है, तो इंपोर्ट के लिए खर्च बढ़ जाता है, जिससे उपभोक्ताओं को महंगे प्रोडक्ट्स का सामना करना पड़ सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस हालात का सामना करने के लिए भारत सरकार को कुछ कदम उठाने की आवश्यकता है। रिवर्स फेड पॉलिसी या विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी जैसे उपाय इस स्थिति को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।

आर्थिक प्रभाव और नीतिगत सुझाव

डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट का असर मुख्य रूप से आयातित वस्तुओं की कीमतों पर पडे़गा। पेट्रोल, कच्चा तेल, और अन्य इंपोर्टेड कमोडिटीज की कीमतें बढ़ने से घरेलू उपभोक्ताओं का बजट प्रभावित होगा। ऐसे में, खाद्य वस्तुओं, इलेक्ट्रॉनिक्स, और अन्य महत्वपूर्ण सामानों की महंगाई में वृद्धि के आसार हैं।

इसी के साथ, भारतीय सेंट्रल बैंक को भी अपनी नीतियों की समीक्षा करनी होगी। रुपये को स्थिर करने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए। स्थिरता को बनाए रखने के लिए, विदेशी निवेशकों का भरोसा भी आवश्यक है।

भविष्य की संभावनाएँ

आने वाले समय में, यदि रुपये की स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो भारतीय इकॉनमी पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। महंगाई दर को नियंत्रित रखने के लिए आर्थिक नीतियों में सुधार जरूरी है। भारत में निवेश के दरवाजे खोलने के लिए निर्यातकों को प्रोत्साहन देने वाली योजनाएँ भी लागू की जानी चाहिए।

कुल मिलाकर, रुपये की यह गिरावट एक चेतावनी है कि हमें अपनी आर्थिक नीतियों की पुनरावलोकन करने की आवश्यकता है। भारत की आर्थिक स्थिरता हमारी समृद्धि के लिए निरंतर आवश्यक है। Keywords: रुपया डॉलर के मुकाबले 25 पैसे की गिरावट, रुपये का ऑल टाइम लो, इंपोर्ट महंगा, डॉलर मूल्य वृद्धि, भारतीय आर्थिक स्थिति, महंगाई की समस्या, केंद्रीय बैंक की नीतियां, विदेशी निवेश में कमी, रुपये की स्थिरता, भारत का आर्थिक विकास

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