लखनऊ में मनाया गया विश्व हिंदी दिवस:सूर्या प्रसाद बोले- विदेशों में हिंदी की स्वीकृति बढ़ी, उर्दू भी हमारे परिवार की भाषा है

लखनऊ हिन्दी संस्थान में विश्व हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन हुआ। इस अवसर पर हिंदी भाषा को लेकर लेखकों , साहित्यकारों और बुद्धिजीवी वर्ग ने चर्चा किया। समारोह में डॉ. सूर्य प्रसाद दीक्षित, डॉ. सुधाकर अदीब, डॉ.कैलाश देवी सिंह और डॉ. सूर्यकान्त विशेष रूप से शामिल हुए। समारोह में बड़ी संख्या में हिंदी प्रेमियों ने हिस्सा लिया। विश्व हिंदी दिवस पर सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा हिन्दी के सभी पहलुओं के विकास की जरूरत है। हिन्दी भाषा को विश्व के विभिन्न देशों में काम करने वाले भारतीयों ने प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मॉरीशस, सूरीनाम और साउथ अफ्रीका जैसे देशों में गिरमिटिया ( विदेशों में काम करने वाले) मजदूरों ने हिन्दी भाषा को बढ़ावा दिया । प्रवासी भारतीयों ने हिन्दी भाषा और संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई । अप्रवासी भारती भी आज विदेशों में हिंदी दिवस मना रहे हैं। हिंदी के साथ उर्दू भी हमारे ही परिवार की है भाषा है। भारत के आसपास जो पड़ोसी मुल्क है वहां अधिकतर हिंदी और उससे मिली जुली भाषा का प्रयोग होता है। डॉक्टर सुधाकर अदीब ने कहा-कबीर , तुलसी, मीरा, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र और दिनकर जैसे कवियों, कवयित्रियों ने हिंदी साहित्य में चार चांद लगा दिया। । आज हिन्दी भाषा लगातार तरक्की कर रही है। विश्व स्तर पर हिन्दी की स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है। विदेशों में तकनीकी शिक्षक और कम्प्यूटर के विशेषज्ञ हिन्दी का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। भारत में विभिन्न प्रदेशों की साहित्यिक अकादमियों और संस्थाओं ने हिंदी को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।

Jan 10, 2025 - 18:20
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लखनऊ में मनाया गया विश्व हिंदी दिवस

लखनऊ में इस वर्ष का विश्व हिंदी दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया। हिंदी भाषा की बढ़ती लोकप्रियता और इसके वैश्विक स्तर पर स्वीकृति को लेकर कई बातें की गईं। इस अवसर पर सूर्या प्रसाद ने विशेष रूप से विदेशों में हिंदी के बढ़ते असर पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "हिंदी केवल भारत की भाषा नहीं है, बल्कि यह अब पूरी दुनिया में अपना स्थान बना चुकी है।"

हिंदी की वैश्विक स्वीकार्यता

सूर्या प्रसाद ने विश्व हिंदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए बताया कि विभिन्न देशों में हिंदी बोलने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हिंदी की फिल्मों, संगीत और साहित्य ने न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी हिंदी को एक विशेष मान्यता दी है। इसके माध्यम से, लोगों ने हिंदी को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है।

उर्दू का भी महत्व

सूर्या प्रसाद ने यह भी कहा कि उर्दू भी हमारे परिवार की एक महत्वपूर्ण भाषा है। उन्होंने कहा, "हिंदी और उर्दू दोनों भाषाएँ हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं। हमें इन दोनों भाषाओं का सम्मान करना चाहिए और इसे बढ़ावा देना चाहिए।" इस प्रकार, उन्होंने यह संदेश दिया कि भाषाएँ एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं और हमें एकता के लिए भाषाई विविधता का सम्मान करना चाहिए।

भाषाई एकता का संदेश

इस बार के विश्व हिंदी दिवस का मुख्य उद्देश्य भाषाई एकता को बढ़ावा देना था। लखनऊ में समर्पित लोगों ने इस दिवस को मनाते हुए न केवल हिंदी का जश्न मनाया बल्कि अन्य भाषाओं के प्रति भी अपने प्रेम को दर्शाया। यह एक ऐसा अवसर है जब हम सभी अपने-अपने भाषाई पहचान को गर्वित होकर प्रकट कर सकते हैं।

अंत में, सूर्या प्रसाद ने इस बात पर जोर दिया कि हमें हमारी भाषाओं को सहेजते हुए आगे बढ़ना चाहिए। साथ ही, उन्होंने सभी से अपील की कि वे हिंदी को और भी अधिक सीखें और इसके माध्यम से अपना संदेश दुनिया तक पहुँचाएं। जब हम अपनी भाषाओं को बढ़ावा देते हैं, तब हम अपनी संस्कृति को भी संजोते हैं। यह असली सार्थकता है।

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